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भूत-प्रेत

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  16वी सदी भारत..हिल हाउस टाउन.... "क्या हुआ अब्दुल तुम बहुत परेशान लग रहे हो तुम्हारे बेटे की तबीयत सही हुई कि नहीं हुई" "क्या बताऊं पंडित जी जब से यह महामारी यहां पर फैली है तब से दिन-रात हराम

बाहर चारों तरफ कोहरे का आलम था धूप हल्की-हल्की निकल रही थी नीलो अपने गार्डन मैं बैठी हुई चाय का आनंद ले रही थी मगर आरिफ उसी गार्डन में बैठा हुआ आसमान की तरफ देख रहा था वो खोया खोया सा था... तभी आरिफ क

"आखिर तुम कहना क्या चाहते हो आमिर क्या तुम मुझ पर कोई इल्जाम लगा रहे हो" "मेरी बात का गलत मतलब मत लो आलिया " "तो फिर तुम्हारी बात का क्या मतलब आज हमारी शादी को 10 साल हो गए इन 10 सालों में तुमने मुझसे

जैसे ही साहिल की नजर अपने सामने खड़े हमशक्ल पर पड़ी साहिल उसे हक्का-बक्का देखने लगा उसकी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था..... साहिल ने देखा सामने खड़ा उसका हमशक्ल उसे देखकर मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराह

कहते हैं अतीत इंसान की परछाई होती है और परछाई इंसान के पीछे हमेशा चलती है हमारा भविष्य भी हमारे अतीत पर ही निर्भर करता है हम अपने अतीत में जो भी कर्म करते हैं हमारा भविष्य उन्हीं कर्मों के आधार पर बनत

आधी रात से ज्यादा वक्त गुजर चुका था.... तूफान अभी तक खामोश नहीं हुआ था हवाएं और तूफान अपनी चरम सीमा पर थे हवा इतनी तेज चल रही थी कि पेड़ जड़ से उखड़ जाने को बेताब थे... और बारिश भी थमने का नाम नही

आज बहुत दिनों के बाद हिल हाउस टाउन में बहुत अच्छी धूप निकली थी और सर्दी का असर भी थोड़ा कम था... अफसाना अपने बेडरूम में बैठी हुई नीलो से बात कर रही थी आज का मौसम बहुत अच्छा है बाजी धुप भी बहुत अच्छी न

"झील की परछाई" "मैं कुछ समझा नहीं अम्मा जी" साहिल ने चौकते हुए मोहिनी से पूछा... "हां बेटा झील की परछाई" साहिल बड़ी गौर से मोहिनी को देखने लगा.. मोहिनी साहिल को देख कर कहने लगी.. "क्या बात है बेटा तुम

वो लड़की साहिल कि बात सुन कर साहिल को प्यार भरी नज़रो से देखने लगी.. साहिल उस के ऐसे देखने से सोच मे पड़ गया "क्या सोच रहे हो मुझे यहां से बाहर निकालो" "ठीक है लेकिन तुम्हें मैं बाहर कैसे निकालूँ क्या

शाम के करीब पांच बजे का वक्त होगा डॉ गुप्ता की  डोरबेल कोई बहुत देर से बजा रहा था...... बजाने वाला ऐसा लगता था जैसे डॉक्टर गुप्ता से उसे मिलने की बहुत जल्दी हो....... डॉ गुप्ता का यह वक्त अ

"भागो यहाँ से और कभी यहाँ वापस मत आना" आलिया ने जैसे ही ये आवाज़ सुनी वो बड़ी फुर्ती के साथ बाहर भागने लगी... आलिया के अंदर जितनी ताकत थी आलिया उतनी ही रफ़्तार से दौड़ रही थी वो बस हिल हाउस से दूर हो जाना

"यह कैसी बातें कर रहे हैं आप लोग क्या आप मुझे नहीं पहचानते आमिर तुम तो मुझे पहचानो मैं तुम्हारी बीवी हूं" "तुम मेरी कोई बीवी नहीं हो तुम जाओ यहां से" आलिया यह सारा मंज़र फटी फटी आंखों से देख रही थी उसक

रात का सन्नाटे मे ठंडी हवा का तूफान ज़ोरो पर था चारो तरफ बर्फ के सिवा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था... ऐसा लगता था जैसे हिल हाउस टाउन मे आज की रात सिर्फ बर्फ का कब्ज़ा था... एक पहाड़ी पर एक बहुत पुरानी ईमारत

                "आप कैसी बातें कर रहे हैं डॉक्टर गुप्ता मैंने तो कुछ और ही सुना है मैंने सुना है वह झील बहुत ही खूबसूरत है उसकी सुंदरता देखने काबिल है" डॉ

"तुम्हारी बात सही है साहिल.. आज का दौर विज्ञानं का दौर है. मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है पर इसी दुनिया मे बहुत कुछ ऐसा भी होता है कि विज्ञानं भी अपना सर खुजाता है और बहुत से मामलो मे आज का तुम्

"आलिया...... ये क्या हुआ है आप को... वहां कोई नहीं है" आलिया सहमी नज़रो से उस तरफ देखने लगी... जहाँ अभी थोड़ी देर पहले एक घर बना हुआ था.. "बाजी मैं सच कह रही हूं " "आलिया चलिए तुम्हारी तबियत मुझे सही नह

आलिया की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था.सच तो यह है कि वह उस तस्वीर को देखकर अंदर तक बुरी तरह से डर गई थी....मगर उसने अपना डर नीलो के सामने जाहिर नहीं किया..."भाभी क्या हुआ आप ठीक तो है ना किस सोच में ग

'क्या हुआ डॉक्टर ये बेहोश कैसे हो गयी" "कुछ नहीं मिस्टर आरिफ बीपी थोड़ा लो हो गया है लगता हैँ इन्होने सुबह से कुछ खाया नहीं है इन्हें टोटल बेड रेस्ट दीजिये" "ओह्ह आरिफ मैं ठीक हूं.. बस थोड़ा सा सर घूम ग

दूसरे दिन सब ही लोग एक साथ बैठ कर नाश्ता कर रहे थे..............आलिया खामोश हो कर सब के चेहरे देख रही थी....................आलिया ने अपने साथ हुई कल की घटना के बारे मे आमिर को अभी तक नहीं बताया था ये

आलिया घर पर पहुंची ही थी....कि अचानक उस की नज़र गार्डन मे एक नयी चमचमाती हुई गाडी पर पड़ी आलिया समझ गयी कोई मेहमान वहां पर आया है..... अंदर जा कर आलिया ने देखा एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बैठी थी उस की उम्र

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