"देखिये मिस्टर राजेश मैं उस हिल हाउस के आप को 50 करोड़ देने को तैयार हूं" "आरिफ तुम समझते क्यों नहीं मैं वो बेचना नहीं चाहता" "क्यों नहीं मैं तुम्हें मुँह मांगी कीमत देने को तैयार हूं यार" "आरिफ सवाल प
"आलिया...आलिया..आँखें खोलो आलिया... ऑंखें खोलो" आलिया के कानो मे आमिर की आवाज़ सुनाई दी अचानक आलिया उठ कर बैठ गयी... "क्या हुआ था तुम्हें आलिया"? आलिया ने देखा वो इस वक़्त उसी कमरे थी.. जहाँ पर वो सोई थ
आलिया ने कमरे का एक एक कोना छान मारा मगर वहां कोई मौजूद नहीं था......... आलिया थक कर फिर दोबारा बेड पर लेट गयी..... उस ने फैसला कर लिया था की आमिर से इस बारे मे ज़ुरूर बात करेंगी..... आलिया ने घड़ी देखि
आलिया ने देखा मरसिडीज़ एक सडक पर चल रही थी... सडक के दोनों तरफ पहाड़ ही पहाड़ थे जो बड़े खूबसूरत लग रहे थे............................................................. मरसिडीज़ ने अब एक टाउन की तरफ रुख कर
आलिया को बेहोश होता देखकर आमिर और ज्यादा घबरा गया.... वह दौड़ता हुआ आलिया के पास आया और आलिया को थाम लिया फिर उसने वॉचमैन की तरफ इशारा किया पानी लाने के लिए... तब तक आमिर ने आलिया को बेडरूम में
घर पहुँच कर आलिया ने आमिर के लिए कॉफ़ी बनायी.. वो आमिर को बहुत गौर से देख रही थी. आमिर कॉफ़ी पीने के बाद आलिया को मुस्करा कर देखने लगा.. और बड़े थके अंदाज़ मे बोला.. " मुझे नींद आ रही है आलिया" "कोई बात न
दूसरे दिन आमिर बहुत देर तक सोता रहा.. "उठो ना आमिर ग्यारह बज गए हैँ एक बजे हमारी डॉक्टर के साथ अपॉइंमेंट है" आमिर के कानो मे आलिया कि आवाज़ सुनाई दी.. आमिर ने ऊँघते हुए कहा.. "थोड़ी देर और सोने दो यार"
खर्राटों से मुक्ति पायेंकई लोगों को खर्राटे की समस्या रहती है।यह समस्या स्ट्रेस, गलत डाइट प्लान, नशा और हॉर्मोनल में बदलाव आदि के कारण होती है।खर्राटों से न सिर्फ खुद खर्राटे लेने वाला बल्कि उसके आसपा
शाम के छह बज गए थे आलिया अपने बँगले के गार्डन मे बहुत तेज़ी से टहल रही थी वो तेज़ी के साथ अपने गार्डन के चक्कर लगा रही थी...... चारो तरफ कोहरा अब फैलने लगा था सर्दी अब और ज़्यादा बढ़ने लगी थी........ मगर
डॉक्टर गुप्ता अभी अभी घर पहुंचे ही थे कि अचानक उन के मोबाइल कि घंटी बज उट्ठी डॉ गुप्ता ने मोबाइल स्क्रीन पर देखा कोई अनजान नंबर था वो इस वक़्त घर पर अकेले थे अभी कुछ दिन पहले ही वो हिल हाउस टाउन मे सेट
मै हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी में ऑपरेटर का काम करता हु। मेरा घर कंपनी से 10 किमी दूर है।मेरे पास एक बाइक जिससे मै अपना घर से कम्पनी और कम्पनी से घर का सफर पूरा करता हु। एक दिन ऑफिस से घर जा रहा था तो
८. पुस्तैनी बंगला भाग 1आयशा के लिए ओम की हर बात समझ से बाहर थी। उसका चेहरा आश्चर्य से भरा हुआ था और ओम तथा अनिरुद्ध उसे मुस्कुराते हुए देख रहे थे।" साला अपुन को......."आयशा झुंझलाहट में अपने पुराने ढं
मुरादाबाद के पंडित सीतानाथ चौबे गत 30 वर्षों से वहाँ के वकीलों के नेता हैं। उनके पिता उन्हें बाल्यावस्था में ही छोड़कर परलोक सिधारे थे। घर में कोई संपत्ति न थी। माता ने बड़े-बड़े कष्ट झेलकर उन्हें पाल
अच्छा तो बच्चों कैसा लगा घर?
समीर ने सारांश और कृतज्ञता से पूछा।।
निशि डाक दहशत है जो अक्सर गांव में सुनने को मिलती है। वैसे कई लोग इसे भ्रम और अफवाह के तौर पर मानते
भाग 41