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भूत-प्रेत

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 राकेश श्मशान में मधु से मिला ।  राकेश ने दूसरी पूर्णिमा की रात का इंतजार किया। मधु के बारे में जानकर वह पागल सा हो गया था। उसने हर चीज में रुचि खो दी थी । उसने दाढ़ी बनाना बंद कर दिया था । इसलिए मध

 मधु की दुविधा  एक जीवित महिला के वेश में रहते हुए और राकेश की दोस्ती में मधु अपने असली स्व को भूल गयी  थी। लेकिन जब राकेश ने उसे शादी के लिए प्रपोज किया तो उसे याद आया कि यह संभव नहीं था क्योंकि व

 राकेश हैरान था  राकेश मधु के व्यवहार से हैरान था । वह उसके प्रस्ताव को अस्वीकार करने का कारण नहीं समझ सका। वह कारण पूछने के लिए मधु के अपार्टमेंट में गया, लेकिन अपार्टमेंट में ताला लगा हुआ था और प

दिन के दौरान मुलाकात राकेश के रूम पार्टनर ने देखा कि राकेश काम से  देरी सेआया था। उसने राकेश से पूछा, "क्या आप काम पर ओवरटाइम कर रहे  हैं?" राकेश ने कहा,"नहीं, तुमने क्यों पूछा?" प्रदीप ने कहा,"क्

    अगली रात  उस रात राकेश ठीक से सो नहीं पाया। उस रात भयानक दुःस्वप्न आते रहे थे। तथ्य यह भी था कि वह उस युवती का भयानक रूप सामने आने से पहले वाली उसकी सुंदर और आकर्षक मुस्कान को नहीं भूल सका था ।

 बरसात की रात     राकेश 24  साल का सुन्दर युवक था। वह 6' लंबा, गोरा और कसरती शरीर का स्वामी था। वह कुंवारा था और एक पुरुष छात्रावास में रहता था। वह  बिजली के स्विच बनाने के कारखाने में काम करता था

सुंदर नगर मे एक  बड़ी हवेली  कई वर्षों से खाली पड़ी थी , इसलिए कस्बे की सभी बस्तियों के भूत उस एक ही हवेली में जमा हो गए थे। वह एक भुतहा हवेली बन गयी थी। इन भूतों में एक युवा मृत राजकुमारी भी थी। वह एक

आज सुबह-सुबह नहा धोकर जब मैं पूजा करने अपने घर के पास के मंदिर गई तो वहाँ मुझे एक बुजुर्ग बाबा जी बैठे मिले। वे मंदिर के बाहर अकेले बैठे थे। मैं जैसे ही पूजा कर मंदिर से जल्दी घर की ओर निकली तो उन्हों

भाग 26 बाबा त्रिलोकी नाथ के अक्षत फेकते ही , हाल में हंगामा सा मच जाता है ,सभी दीवालें हिलने लगती ऐसा लगता है जैसे पूरा महल गिर पड़ेगा ,"!!त्रिलोकी नाथ कहता है ,*" कोई भी घबराकर  गोल  द

भाग 25 अंदरके कमरे से चीख की आवाज सुनाई पड़ती हैं तो सभी चौक कर उस ओर देखते हैं ,"!!बाबा त्रिलोकी नाथ और माधवेंद्र दास सबको वहीं रुकने के लिए इशारा करते हैं और दोनो ही अंदर की ओर जाते हैं ,अंदर उ

आपने कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि कैसे राजा उस फल को पा लेता है और अपने महल में ले आता है पर रानी उसे खाती नहीं है और उसे एक कुएं में फेंकवा देती है जिसके बाद कुएं का भूत परेशान करता है और तरह तरह की

गोपाल नगर  नाम का एक नगर था । वहाँ के सभी लोग बहुत अच्छे और सच्चे थे , गोपाल नगर के राजा वीर सिंह अपनी प्रजा को बहुत प्रेम करते थे और उनकी रानी उमा भी प्रजा के बीच अपने उदार और दानी स्वाभव

दोस्तों आज फिर से एक रियल कहानी लेकर आया हूं। उम्मीद है आपको पसंद आएगी। मन अभी भी मानने को तैयार नही है पर सत्य तो सत्य ही होता है। बात वर्ष 1981 की है। पहली बार घर से दूर लॉ ग्रेजुएशन के लिये देहरादू

यह कहानी मेरे एक मित्र ने मुझे बताई थी जो कि एक रियल कहानी है इस कहानी को सुनने के बाद मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई थी। हुआ कुछ ऐसा था कि शिवम नाम का लड़का जो जम्मू में काम करता था उसकी वहां पर नई-नई प

भाग 24 सुबह सुबह कल्पेश , मोहन और प्रोफेसर जी साथ जाकर प्रोफेसर जी के गुरुदेव को और त्रिलोकी नाथ और उनके शिष्यों को  लेकर आते हैं , उनके आने के कुछ देर पहले बाकी लोग उठकर फ्रेश होकर बैठे थे

भाग  23  भूरी  काकी  पर पानी पड़ते ही वह  उपमा के रूप में आ जाती है ,तभी अंदर खड़े प्रेत अपनी शक्ति से कुछ पत्थर उनकी ओर फेकते हैं तो प्रोफेसर और उसके साथी घबरा कर पीछे ह

भाग 22सुंदरी आकर सभी को प्रणाम करती है ,वह सभी की ओर देखती है ,और विशेष कर कल्पेश को  उसका दिल कल्पेश पर आ रहा था , ,*"!!मोहन कहता है,*" सुंदरी तुम्हारे लिए आज भी भोग लाएं हैं,*!!वह नीचे खाली पड़

भाग 21  हरिया प्रेत कहता है ,*" तुम उस पूर्व गांव के महल के बारे में बात कर रहे हो ,जो बड़े तालाब के पास है ,*"!!बाबा त्रिलोकी नाथ कहते हैं ,*" हां वही पूर्व गांव ,क्यों इतना आश्चर्य को हो र

भाग  20 बटुक दास कहते हैं,*" आइए मोहन बाबू हम तो मज़ाक कर रहे थे ,ये आश्रम आपका ही है ,आप बाबा त्रिलोकी नाथ के परम भक्तो में से एक हैं ,और हमारे भी मित्रवत हैं इसीलिए थोड़ी हसी ठिठोली कर लेत

भाग  19सभी खाना पीना खा कर अपने अपने कमरे में सो जाते हैं ,*"!!!प्रोफेसर कल्पेश के साथ उसके कमरे में लेटे  थे पर नींद नहीं आ रही थी , वह धीरे से उठकर छत की ओर जाते हैं क्योंकी उन्हें इनकी बा

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