एक राजा के घर एक राजकुमार ने जन्म लिया
राजकुमार स्वभाव से ही कम बोलते थे।
राजकुमार जब युवा हुआ तब भी अपनी उसी आदत के साथ मौन ही रहता था। राजा अपने
राजकुमार की चुप्पी से परेशान रहते थे की आखिर ये बोलता क्यों नहीं है। राजा ने कई
ज्योतिषियों,साधु-महात्माओ एवं चिकित्सकों को उन्हें दिखाया परन्तु कोई हल नहीं निकला।
संतो ने कहा कि ऐसा लगता है पिछले जन्म में ये राजकुमार कोई साधु थे जिस वजह से इनके संस्कार इस जन्म में भी साधुओं के मौन व्रत जैसे हैं। राजा ऐसी बातों से संतुस्ट नहीं हुए।
एक दिन राजकुमार को राजा के मंत्री बगीचे में
टहला रहे थे। उसी समय एक कौवा पेड़ कि डाल पे बैठ कर काव - काव करने लगा।
मंत्री ने सोचा कि कौवे कि आवाज से राजकुमार परेशान होंगे इसलिए मंत्री ने कौवे को गोली मार दी।
गोली लगते ही कौवा जमीन पर गिर गया। तब
राजकुमार कौवे के पास जा कर बोले कि यदि
तुम नहीं बोले होते तो नहीं मारे जाते। इतना
सुन कर मंत्री बड़ा खुश हुआ कि राजकुमार आज
बोले हैं और तत्काल ही राजा के पास ये खबर
पहुंचा दी। राजा भी बहुत खुश हुआ और मंत्री
को खूब ढेर - सारा उपहार दिया।
कई दिन बीत जाने के बाद भी राजकुमार चुप ही
रहते थे। राजा को मंत्री कि बात पे संदेह हो गया और गुस्सा कर राजा ने मंत्री को फांसी पे लटकाने का हुक्म दिया। इतना सुन कर मंत्री दौड़ते हुए राज कुमार के पास आया और कहा कि उस दिन तो आप बोले थे परन्तु अब नहीं बोलते हैं।
मैं तो कुछ देर में राजा के हुक्म से फांसी पे लटका
दिया जाऊंगा। मंत्री कि बात सुन कर राजकुमार बोले कि यदि तुम भी नहीं बोले होते तो आज तुम्हे भी फांसी का हुक्म नहीं होता बोलना ही बंधन है।
जब भी बोलो उचित और सत्य बोलो अन्यथा मौन रहो। जीवन में बहुत से विवाद का मुख्य कारन अत्यधिक बोलना ही है। एक चुप्पी हजारो कलह का नाश करती है। राजा छिप कर राजकुमार कि ये बातें सुन रहा था,उसे भी इस बात का ज्ञान हुआ और राजकुमार को पुत्र रूप में प्राप्त कर गर्व भी हुआ।
उसने मंत्री को फांसी मुक्त कर दिया।