*खाई औऱ ब्रिज*
*दो सगे भाई* साथ साथ खेती करते थे। साथ में भागीदारी में मशीनों और अनाज का व्यवसाय भी किया करते थे।
*चालीस साल के साथ के बाद एक छोटी सी ग़लतफहमी की वजह से उनमें पहली बार झगडा हो गया था झगडा दुश्मनी में बदल गया था।*
एक सुबह *एक बढई बड़े भाई से काम मांगने आया. बड़े भाई ने कहा “हाँ ,मेरे पास तुम्हारे लिए काम हैं।*
उस तरफ देखो, वो मेरा पडोसी है, यूँ तो वो मेरा भाई है, पिछले हफ्ते तक हमारे खेतों के बीच घास का मैदान हुआ करता था पर *मेरा भाई बुलडोजर ले आया और अब हमारे खेतों के बीच ये खाई खोद दी।*
जरुर *उसने मुझे परेशान करने के लिए ये सब किया है अब मुझे उसे मजा चखाना है।*
*तुम खेत के चारों तरफ बाड़ बना दो ताकि मुझे उसकी शक्ल भी ना देखनी पड़े."*
*बढई ने कहा “ठीक हैं”*,
*बड़े भाई ने बढई को सारा सामान लाकर दे दिया और खुद शहर चला गया,* शाम को लौटा तो *बढई का काम देखकर भौंचक्का रह गया,*
बाड़ की जगह *वहाँ खाई पर एक पुल था* जो खाई को एक तरफ से दूसरी तरफ जोड़ता था.
इससे पहले की *बढई कुछ कहता, उसका छोटा भाई आ गया।*
*छोटा भाई बड़े भाई से बोला “तुम कितने दरियादिल हो , मेरे इतने भला बुरा कहने के बाद भी तुमने हमारे बीच ये पुल बनाया,*
*कहते कहते उसकी आँखे भर आईं और दोनों एक दूसरे के गले लग कर रोने लगे*. जब दोनों भाई सम्भले तो देखा कि बढई जा रहा है।
बड़ा भाई बोला रुको! मेरे पास तुम्हारे लिए और भी कई काम हैं,
*मुझे रुकना अच्छा लगता ,पर मुझे ऐसे कई पुल और बनाने हैं,*
*बढई मुस्कुराकर बोला* और अपनी राह को चल दिया.
*दिल से मुस्कुराने के लिए जीवन में पुल की जरुरत होती हैं खाई की नहीं। छोटी छोटी बातों पर अपनों से न रूठें..!!*