आपकी सबसे बुरी आदत
"कल करूँगा", "कुछ दिनों में करूँगा" या "एक बार बस ऐसा हो जाए, फिर करूँगा", यदि एक क्षण को रुक कर आप यह सोचेंगें कि अपने जीवन में आप इन वाक्यों का कितना प्रयोग करते हैं तो आप भी चौंक जाएँगे!
इसी से जुड़ी है हमारी सबसे बुरी आदत, जानते हैं कौनसी?
जीवन में जो चीजें हम जानते हैं कि सही हैं उन्हें तो हम कल पर टालते रहते हैं। और जो कुछ भी इच्छाओं की पूर्ति के लिए होता है वो सब जल्द-से-जल्द करना चाहते हैं। अब इस पूरी भागदौड़ में कब जीवन बीत जाता है उसका हमें कभी पता ही नहीं चलता। जो 'आवश्यक' है, वो 'चाहत' के आगे छुप जाता है।
इसका कारण और समाधान समझते हैं महाभारत की एक कहानी से:
एक बार युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछा, "समय के साथ जैसे जीवन बीतता जाता है ऐसे में व्यक्ति एक सही जीवन जीने के लिए क्या कर सकता है?"
इस प्रश्न के उत्तर के तौर पर पितामह ने उन्हें एक संवाद के विषय में बताया जिसे 'पुत्र गीता' कहा जाता है। यह संवाद 'मेधावी' नाम के बालक और उसके पिता के बीच हुआ था।
इसी संवाद से कुछ श्लोक आपके साथ साझा करते हैं:
11. जब एक-एक रात बीतने के साथ ही आयु बहुत कम होती चली जा रही है, तब छिछले जल में रहने वाली मछली के समान कौन सुख पा सकता है?
12. जिस रात के बीतने पर मनुष्य कोई शुभ कर्म न करे, उस दिन को विद्वान् पुरुष 'व्यर्थ ही गया' समझे। मनुष्य की कामनाएँ पूरी भी नहीं होने पातीं कि मौत उसके पास आ पहुँचती है।
13. जैसे घास चरते हुए भेड़ों के पास अचानक शेरनी पहुँच जाती है और उसे दबोचकर चल देती है, उसी प्रकार मनुष्य का मन जब दूसरी ओर लगा होता है, उसी समय सहसा मृत्यु आ जाती है और उसे लेकर चल देती है।
14. इसलिए जो शुभ कार्य हो, उसे आज ही कर डालिए। आपका यह समय हाथ से निकल न जाए; क्योंकि सारे काम अधूरे ही पड़े रह जाएँगे और मौत आपको खींच ले जाएगी।
15. कल किया जाने वाला काम आज ही पूरा कर लेना चाहिए। जिसे सायंकाल में करना है, उसे प्रात:काल में ही कर लेना चाहिए; क्योंकि मौत यह नहीं देखती कि इसका काम अभी पूरा हुआ या नहीं।
22. कोई दुर्बल हो या बलवान, शूरवीर हो या डरपोक तथा मूर्ख हो या विद्वान, मृत्यु उसकी समस्त कामनाओं के पूर्ण होने से पहले ही उसे उठा ले जाती है।
काल की गति कुछ ऐसी ही है! कैसे बचेंगे?