रोग मन मेंं है़
-मोह हमें संसार में बांधे रखने का काम करता है ।
-जब प्रेम कुछ लोगों से होता है, हद में होता है, सीमित होता है, तब वह मोह कहलाता है।
-हम चाह कर भी मोह को नहीं छोड़ पाते।
-मोह का मतलब होता है आसक्ति, जो गिने-चुने उन लोगों या चीजों से होती है जिन्हें हम अपना बनाना चाहते हैं, जिनके पास हम ज्यादा-से-ज्यादा समय गुजारना चाहते हैं। मोह वहां होता है जहां हमें सुख मिलने की उम्मीद हो या सुख मिलता हो।
- सांसारिक प्रेम मोह कहलाता है ।
- मोह की वजह से व्यक्ति कभी सुखी, तो कभी दुखी होता रहता है।
-मोह की वजह से बनीं कब्ज के कारण से दाद जैसे कष्टदायी रोग उत्पन्न हो जाते है़ ।
- दाद खुजलाने में पहले खुशी और बाद में दर्द होता है।
-मोह में किसी वस्तु की प्राप्ति में पहले सुख परन्तु प्राप्त न होने पर मन में बहुत दु:ख होता है़ ।
- मोह से ही सारे मानस रोग उत्पन्न होते है।