*"यदि संसार के लोग अपने कर्तव्य तथा अकर्तव्य को समझकर, कर्तव्य का पालन करें, एवं अकर्तव्य को छोड़ दें, तो यह संसार स्वर्ग बन सकता है।"*
कर्तव्य किसे कहते हैं? *"जो काम करना चाहिए, उसे कर्तव्य कहते हैं."* अकर्तव्य किसे कहते हैं? *"जो काम नहीं करना चाहिए, उसे अकर्तव्य कहते हैं।"*
कौन सा काम करना चाहिए? *"जिस काम को करने से आपका और दूसरों का सुख बढ़े, उसे करना चाहिए। उसी का नाम कर्तव्य है."* इसी प्रकार से, कौन सा काम नहीं करना चाहिए? *"जिस काम को करने से आपका और दूसरों का दुख बढ़े, उसे नहीं करना चाहिए। उसी का नाम अकर्तव्य है।"*
उदाहरण के लिए, *"रात को जल्दी सोना चाहिए। सुबह जल्दी उठना चाहिए। अपनी आयु बल क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ व्यायाम भी अवश्य करना चाहिए। ईश्वर का ध्यान और प्रतिदिन यज्ञ भी करना चाहिए। माता पिता की सेवा करनी चाहिए। उनका सम्मान करना चाहिए क्योंकि माता पिता के उपकार आपके ऊपर बहुत अधिक हैं। ऐसे ही गुरुजनों का सम्मान भी करना चाहिए। उन्होंने भी आपको बहुत विद्या पढ़ाई, और आपको धन कमाने लायक बनाया। बहुत सी योग्यताएं आपके अंदर उत्पन्न की, जिन योग्यताओं के कारण, आप आज सब प्रकार से सुखी एवं संपन्न हैं। इसलिए इन सब बड़ों का आदर सम्मान करना चाहिए।"*
इसके अतिरिक्त, गौ घोड़ा कुत्ते आदि प्राणियों को भोजन चारा आदि खिलाकर इनकी रक्षा करनी चाहिए। *"क्योंकि इनकी सहायता से आपका जीवन सुखमय ढंग से चल रहा है। ये सब आपके कर्तव्य हैं।"*
*"यदि आप इन सब कर्तव्यों का पालन करेंगे, तो इससे आपका आनंद तो बढ़ेगा ही, साथ ही साथ इससे आपका स्वास्थ्य भी बढ़ेगा। और दूसरों की भी रक्षा तथा उन्नति होगी। सबको सुख मिलेगा। इसलिए इन सब कर्तव्यों का पालन करना ही चाहिए।"*
और जो बुरे काम हैं, जो आपका और सब का दुख बढ़ाने वाले हैं, वे अकर्तव्य कहलाते हैं। उनको छोड़ देना चाहिए। *"जैसे झूठ बोलना चोरी करना छल कपट करना धोखा देना अन्याय करना किसी का शोषण करना लूटमार करना रिश्वतखोरी करना, डकैती करना, स्मगलिंग करना ब्लैक मार्केटिंग करना इत्यादि।" "इन सब बुरे कामों को छोड़ देने से आपका और सब का दुख दूर होगा। तथा ऊपर बताए कर्तव्यों का पालन करने से आपका और सबका सुख बढ़ेगा। इसलिए ऐसा ही करने का प्रयत्न करें।"*