*गुस्से पर नियंत्रण*
*एक वकील ने सुनाया हुआ एक हृदय स्पर्शी किस्सा ।*
*मैं अपने चेंबर में बैठा हुआ था , एक आदमी दनदनाता हुआ अन्दर घुसा । हाथ में कागज़ो का बंडल , धूप में काला हुआ चेहरा , बढ़ी हुई दाढ़ी , सफेद कपड़े जिनमें पांयचों के पास मिट्टी लगी थी ।*
*उसने कहा -*
*उसके पूरे फ्लैट पर स्टे लगाना है । बताइए , क्या क्या कागज और चाहिए ? क्या लगेगा खर्चा ?*
*मैंने उन्हें बैठने का कहा । "रग्घू, पानी दे इधर" मैंने आवाज़ लगाई । वो कुर्सी पर बैठे ।*
*उनके सारे कागजात मैंने देखे। उनसे सारी जानकारी ली । आधा पौना घंटा गुजर गया। "मैं इन कागज़ो को देख लेता हूँ । आप के केस पर विचार करेंगे । आप ऐसा कीजिए बाबा , शनिवार को मिलिए मुझसे ।"*
*चार दिन बाद वो फिर से आए । वैसे ही कपड़े । बहुत डेस्परेट लग रहे थे ।*
*अपने छोटे भाई पर गुस्सा थे बहुत । मैंने उन्हें बैठने का कहा । ऑफिस में अजीब सी खामोशी गूँज रही थी ।*
*मैंने बात की शुरुआत की । " बाबा , मैंने आपके सारे पेपर्स देख लिए । आप दोनों भाई , एक बहन । माँ बाप बचपन में ही गुजर गए । तुम नौवीं पास , छोटा भाई इंजीनियर ।*
*आपने कहा कि छोटे भाई की पढ़ाई के लिए आपने स्कूल छोड़ा । लोगो के खेतों में दिहाड़ी पर काम किया । कभी अंग भर कपड़ा और पेटभर खाना आपको मिला नहीं । पर भाई के पढ़ाई के लिए पैसा कम नहीं होने दिया ।"*
*"फिर आपका भाई इंजीनियरिंग में अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले पाया । आपका दिल खुशी से भरा हुआ था । फिर आपने मरते दम तक मेहनत की । 80,000 की सालाना फीस भरने के लिए आपने रात दिन एक कर दिया । बीवी के गहने गिरवी रख के, कभी साहूकार से पैसा ले कर आपने उसकी हर जरूरत पूरी की ।"*
*फिर भाई मास्टर्स के लिए हॉस्टल पर रहने गया । वो मास्टर्स पास हुआ, फिर भाई की नौकरी लगी , तीन साल पहले उसकी शादी हुई , अब तुम्हारा बोझ हल्का होने वाला था ।*
*"पर किसी की नज़र लग गई आपके इस प्रेम को । शादी के बाद भाई ने आना बंद कर दिया । पूछा तो कहता है मैंने बीवी को वचन दिया है । घर पैसा देता नहीं , पूछा तो कहता है कर्ज़ा सिर पे है । पिछले साल शहर में फ्लैट खरीदा । पैसे कहाँ से आए पूछा तो कहता है कर्ज लिया है । अब तुम्हारा भाई चाहता है गाँव की आधी खेती बेच कर उसे पैसा दे दे। "*
*इतना कह कर मैं रुका । रग्घू ने लाई चाय की प्याली मैंने मुँह से लगाई ।*
*" तुम चाहते हो भाई ने जो माँगा वो उसे ना दे कर उसके ही फ्लैट पर स्टे लगाया जाए । क्या यही चाहते हो तुम ?"*
*वो तुरंत बोला, "हाँ ।"*
*मैंने कहा -*
*हम स्टे लेे सकते हैं । भाई की प्रॉपर्टी में हिस्सा भी माँग सकते है ।*
*पर….*
*तुमने उसके लिए जो खून पसीना एक किया है वो नहीं मिलेगा !*
*तुमने उसके लिए जो ज़िन्दगी खर्च की है वो भी वापस नहीं मिलेगी ! !!*
*मुझे लगता है इन सब चीज़ों के सामने उस फ्लैट की कीमत शून्य है । भाई की नीयत फिर गई , वो अपने रास्ते चला गया । अब तुम भी उसी कृतघ्न सड़क पर मत जाना ।*
*वो भिखारी निकला , तुम दिलदार थे । दिलदार ही रहो …..!*
*तुम्हारा हाथ ऊपर था , ऊपर ही रखो ।*
*कोर्ट कचहरी करने की बजाय बच्चों को पढ़ाओ लिखाओ ।*
*पढ़ाई कर के तुम्हारा भाई बिगड़ गया , इसका मतलब बच्चे भी ऐसा करेंगे , ऐसा तो नहीं होता !*
*वो मेरे मुँह को ताकने लगा । उठ के खड़ा हुआ , सब काग़ज़ात उठाए और आँखें पोंछते हुए कहा , "चलता हूँ वकील साहब ।" उसकी रूलाई फूट रही थी और वो मुझे वो दिख ना जाए ऐसी कोशिश कर रहा था ।*
*इस बात को अरसा गुजर गया । कल वो अचानक मेरे ऑफिस में आया । कलमों में सफेदी झाँक रही थी उसके । साथ में एक नौजवान था , हाथ में थैली ।*
*मैंने कहा , "बाबा , बैठो ।"*
*उसने कहा, "बैठने नहीं आया वकील साहब , मिठाई खिलाने आया हूँ। ये मेरा बेटा ! बैंगलोर रहता है , कल आया है गाँव । अब दो मंजिला मकान बना लिया है वहाँ । थोड़ी थोड़ी कर के कुछ खेती खरीद ली है अब ।" मैं उसके चेहरे से टपकते हुए खुशी को महसूस कर रहा था ।*
*"वकील साहब, आपने मुझ से कहा था , कोर्ट कचहरी के चक्कर में मत लगो , बरबाद हो जाओगे । गाँव में सब लोग मुझे भाई के खिलाफ उकसा रहे थे । मैंने उनकी नहीं , आपकी बात सुन ली ।*
*मैंने अपने बच्चों को तालीम दिलायी और भाई के पीछे अपनी ज़िंदगी बरबाद नहीं होने दी ।*
*मेरे हाथ का पेड़ा हाथ में ही रह गया ! !! मेरे आँसू टपक ही गए आखिर. .. !*
*गुस्से को यदि योग्य दिशा में मोड़ा जाए तो वास्तव में कभी पछताने की जरूरत नहीं पड़ेगी ! !!*
*सदैव प्रसन्न रहिए ! जो प्राप्त है , वही पर्याप्त है ! !!*
*जिसका मन मस्त है , उसके पास समस्त है ! !!*