धरती पर उगी हुई घास को देखो! वह आँधी से टकराती नहीं, वरन् हवा चलने पर उसी दिशा में मुड़ जाती है, जिधर को हवा का रुख होता है। इस परिस्थिति को परखने वाली घास का कोई आँधी-तूफान कुछ बिगाड़ नहीं सकता। जो पेड़ अकड़े खड़े रहते हैं, वही आँधी से उखड़ते देखे गए हैं। बेंत की बेल जो सदा झुकी रहती है, वह आँधी-तूफान से बच जाती है।जीवन एक समझौता है सिर उठाकर चलने में सिर कटने का खतरा है। समझौता ही जीवन का प्रधान आधार है। यदि तुम अड़ियल और जिद्दी बनकर अपने ही मत की श्रेष्ठता प्रतिपादित करते रहोगे, तो कुछ ही दिन में अपने को अकेला पड़ा हुआ और असफलता के गर्त में गिरता हुआ पाओगे।नवकर चलो! मत कहो कि हम ही सही हैं और हमारी बात सबको माननी चाहिए। मत समझो कि तुम ही सबसे श्रेष्ठ, निर्दोष और बुद्धिमान हो! दूसरे लोग भी अपने दृष्टिकोण के अनुसार सही हो सकते हैं और हो सकता है जिन परिस्थितियों में वे रह रहे हैं, उनमें उनके लिए वैसा ही सोचना, बनना, करना भी स्वाभाविक हो। इसीलिए दूसरों को समझने की कोशिश करो! उनके दृष्टिकोण की, उनकी परिस्थितियों की भिन्नता को स्वीकार करो! इस दुनियाँ का सारा कारोबार एक दूसरे को समझने और सहन करने की नींव पर ठहरा हुआ है।
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