*धन्य घड़ी सोई जब सतसंगा..*
*जीवन में संग का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। किसी व्यक्ति के जीवन को देखकर यह समझा जा सकता है , कि उसने जीवन में किस प्रकार का संग किया होगा।*
*हमारे जीवन निर्माण में संग की अहम भूमिका होती है । इत्र का संग मिलने से तो काँच भी महक उठता है।*
*पारस मणि का संग पाकर लोहा भी स्वर्ण बन जाता है! उसी प्रकार श्रेष्ठ का संग करने से जीवन मूल्यवान एवं श्रेष्ठ अवश्य बन जाता है।*
*अन्न, धन, ऐश्वर्य, वैभव, पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान, बल, बुद्धि भले ही जीवन में सब हो, लेकिन सुसंग न हो,यह सब कुछ होने के बाद यदि कुसंग ही है तो सब रावण की सोने की लंका के समान ही है।*
*"धन्य घड़ी सोई जब सतसंगा"*
*वही घड़ी धन्य है जिस घड़ी मनुष्य सत्संग का आश्रय ले रहा हो।*
*वस्तुएं होते हुए भी वस्तुओं का श्रेष्ठतम उपयोग करना , ये हमें सत्संग ही सिखाता है । ब्रह्मास्त्र अश्वत्थामा ने भी चलाया , और अर्जुन ने भी ,लेकिन अश्वत्थामा, दुर्योधन अथवा कुसंग से प्रेरित था , तो उसने अधर्म के लिए उसका उपयोग किया , और अर्जुन, श्रीकृष्ण अथवा सत्संग से प्रेरित था तो उसने धर्म के रक्षण के लिए उसका उपयोग किया।*
*सत्संग वो चिकित्सालय है , जहाँ मन के समस्त विकारों, मन के समस्त रोगों का पूर्ण निवारण किया जाता है।*
*आप सत्संग प्रेमी बनो ! वो आपको उस प्रभु का और सबका प्रिय बना देगा।*