*जांच करे... हम कितने सच्चे मित्र साथी है*
*✍️......जीवन में सुख दुख तो आते ही रहते हैं । जब सुख आता है , तो लोग खुश हो जाते हैं । और जब दुख आता है , तो लोग परेशान हो जाते हैं । सुख का समय तो आसानी से बीत जाता है । परंतु जब दुख आता है ,तब समय काटे नहीं कटता।*
*ऐसे समय में व्यक्ति उन कठिनाइयों को पार करने के लिए कुछ मित्र साथी ढूंढता है । दुख के समय , जब व्यक्ति साथियों को ढूंढता है , जो उसकी सहायता करें , तब बहुत कम साथी मिलते हैं , जो उसे दुख से पार लगाएं, अथवा दुख से छूटने के लिए सहयोग करें ।*
*इसी समय सच्चे मित्रों तथा साथियों की परीक्षा होती है, कि अब तक जो हमारे मित्र साथी बने हुए थे , वे वास्तव में सच्चे मित्र थे ? या केवल मित्र होने का नाटक कर रहे थे।*
*ऐसा भी संभव है जिन्हें आप अपने सबसे समीप समझते थे, वही मुख मोड़ कर आप से दूरी बना ले। इतना ही नहीं वे आपकी जीवन यात्रा में कई तरह के व्यवधान और अड़चनें पैदा करके आपको हतोत्साहित ( Discourage )करके निराशा के गड्ढे में धकेल सकते हैं, और आप भी अपने उद्देश्य को छोड़, दिशा विहीन हो जाते हैं! कई बारी ऐसा कदम वह देह अभिमान अथवा अज्ञानता के कारण स्वयं की झूठी संतुष्टि के लिए करते हैं।*
*सुख के समय तो कोई भी साथी बन सकता है , और सैकड़ों लोग बन ही जाते हैं। सच्चे मित्रों की परीक्षा तो दुख के समय होती है ।*
*समय रहते दूसरे मित्रों की परीक्षा भी करें, और दूसरों के दुख में साथ देकर अपनी परीक्षा भी करें , कि हम कितने सच्चे मित्र साथी हैं, जीवन यात्रा का यह प्रयोग ना केवल यात्रा को सुखद बनाएगा अपितु आपकी परखने की शक्ति को भी जागृत करेगा!!-*
*याद रहे, रिश्ता प्यार का होगा तो लौटकर आएगा, और रिश्ता स्वार्थ का होगा तो छोड़कर जाएगा !!*