*दो अनमोल रत्न*
एक साधु था। वह रोज घाट के किनारे बैठकर चिल्लाया करता था, 'जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे।" बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे, पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था। और सब उसे पागल कहते थे। एक दिन एक युवक वहां से गुजरा। उसने उस साधु की आवाज सुनी, 'जो चाहेगा सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे" और ऐसा सुनते ही वह उसके पास चला गया। उसने साधु से पूछा, 'महाराज, आप बोल रहे थे की जो चाहोगे सो पाओगे, तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो में चाहता हूं?
साधु उसकी बातों को सुनकर बोला, 'हां बेटा, तुम जो कुछ भी चाहते हो में उसे जरूर दूँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये बताओ की तुम्हे आखिर चाहिए क्या?
युवक बोला 'मेरी एक ही ख्वाहिश हे की में हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूं।
साधु बोला, 'कोई बात नहीं, में तुम्हे एक हिरा और एक मोती देता हूं, उससे तुम जितने भी हीरे-मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे।" और ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा, 'पुत्र में तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं। लोग इसे समय कहते हे, इसे तेजी से अपनी मुटठी में पकड़ ली और इसे कभी मत गवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हों।
युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसकी दूसरी हथेली पकड़ते हुए बोला पुत्र इसे पकड़ो यह दुनिया का सब से कीमती मोती हे, लोग इसे धैर्य कहते हे। जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम न मिले, तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना। याद रखना जिसके पास ये दो मोती हे, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है। युवक ने गंभीरता से साधु की बातों पर विचार किया और निश्चय किया कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा। ऐसा सोचकर उसने हीरो के एक बहुत बड़े व्यापारी क्र यहाँ काम शुरू किया और अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बन गया। दोस्तों समय की कद्र और धैर्य का धारण दो ऐसे गुण है जिसके बिना सफलता केवल एक सपना है। जो भी सफलता के शिखर पर पहुँचना चाहता हो वह समय की कद्र करे और धैर्य रखें सफलता और संतुष्टि के लिए यह आवश्यक ही नहीं जरुरी भी हे। अपने जीवन में सिर्फ दो कीमती मोती धारण करे और जीवन में वह सब पा ले, जो पाना चाहते है..!!