*"संघर्ष" इंसान को मज़बूत बनाता है, फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों ना हो…*
*वक्त ने छीना है तो, वक्त देगा भी ,बस ख़ुद को हालातों से हारने मत देना…*
*"क्षमता" और "ज्ञान" गुरु के समान होते हैं, इन्हें अपना गुरु बनाना चाहिए, ग़ुरूर, क्षमता, शारीरिक और मानसिक, ईश्वर-प्रदत्त होती है, जिसका हम जीवनोपरांत किंचित मात्र उपयोग ही कर पाते हैं, वैज्ञानिक शोध बतलाते हैं कि, हम अपनी कुल मानसिक क्षमता का कोई चौथाई हिस्सा ही अपने जीवन में उपयोग में ला पाते हैं, इसी तरह हमारी शारीरिक क्षमता का पता तो हमें केवल किसी के आभास करवाने पर अथवा अथाह परिस्थिति का सामना करने पर ही चल पाता है, इसका ग़ुरूर क्या करना, ? ज्ञान महादेव (गुरु)-प्रदत्त होता है, जो हम तभी जागृत कर सकते हैं, जब हम "अहंकार" छोड़ पूर्णरूपेण उनकी शरणागत हो जाते हैं, इसके जागृत हो जाने पर यदि हम पुनः अहंकार का आवरण ओढ़ लेते हैं, तो यह ज्ञान दूषित हो जाता है, अतः क्षमता और ज्ञान का ग़ुरूर कर के हम उन्हें खो देंगे, उन्हें गुरु बना कर हम अधिक "क्षमतावान" बन सकेंगे...*
*जो ज्ञानी होता है, उसे*
*समझाया जा सकता है,*
*जो अज्ञानी होता है, उसे भी समझाया जा सकता है, किन्तु जो अभिमानी होता है,*
*उसे तो कोई भी नहीं समझा सकता, उसे सिर्फ वक़्त ही समझा सकता है.....*