* आप क्रोध करना छोड़ दीजिए, तो क्रोध आना बंद हो जाएगा चूंकि क्रोध आता नहीं आप करते हैं... ।
इसका सबसे बड़ा उपाय है कि आप हर परिस्थिति में अनुकूल रहने का प्रयास कीजिए । जब भी आप को लगे कि आप के इच्छानुसार कार्य नहीं हुआ और आप का धैर्य जवाब देने लगा .... यानी कि जब भी आपको लगे कि अब मेरा गुस्सा बढेगा और क्रोध विकराल रूप धारण करने वाला है, तो बस .. अपने परमात्मा को स्मरण करें और यह विचार करें कि भगवान् आपकी परीक्षा ले रहे है. . और अगर आप उस समय क्रोधित हो गये तो समझिए कि आप परीक्षा में असफल हो गये।
क्रोध का एक कारण अहंकार भी है। अहंकार इतना सूक्ष्म होता है कि चुपके से कब हमारे जीवन में प्रवेश करता रहता है, हमें कभी पता भी नहीं चलता। वास्तव में हम पता करना भी नहीं चाहते। अहंकार हो सकता है धन का, बल का, रूप का, पद का, ज्ञान का और स्वयं को प्राप्त किसी सुख का। आश्चर्य यह है कि जिसे भी होता है, उसे कभी पता ही नहीं चलता कि उसका कितना अनिष्ट हो रहा है।
*आज के लिए जीवन के छोटे निर्देश*
जो व्यक्ति क्रोध, अहंकार, दुष्कर्म, अति-उत्साह, स्वार्थ, उद्दंडता इत्यादि दुर्गुणों की और आकर्षित नहीं होते, वे ही वास्तव में बुद्धिमान एवं परमज्ञानी हैं। इसलिए, मन ही मन मुस्कुराइए और क्रोध और अहंकार के ऊपर विजय पाइए ।