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पापकर्मों पर ब्याज

13 अप्रैल 2015

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featured imageक्या आपने कभी सोचा है कि जाने-अनजाने में किए जाने वाले पापकर्माें पर कितना प्रतिशत ब्याज लगाने के उपरान्त प्रतिफल के रूप में उन पापकर्माें का दण्ड भुगतना पड़ता है? हमने इस प्रकरण पर व्यापक शोध किया और चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। जानबूझकर किए जाने वाले पापकर्माें पर कितना प्रतिशत ब्याज लगता है- इस पर शोधकार्य अभी जारी है, किन्तु यह सुनकर आप सभी का पसीना छूट जाएगा कि सिर्फ़ अनजाने में किए जाने वाले पापकर्माें पर लगभग 322 प्रतिशत ब्याज के साथ पापी को अपने पापकर्माें का दण्ड भुगतना पड़ता है। हमारे शोधकार्य को गपाष्टक और कपोल-कल्पित समझने की भूल भी न करिएगा, आगे पढि़ए- कुरुक्षेत्र के मैदान में घटित महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से प्रथम सेनापति के रूप में भीष्म पितामह ने सबसे अधिक दस दिनों तक युद्ध किया था। भीष्म पितामह युद्ध के दौरान प्रतिदिन दस हज़ार सैनिकों का वध करके पाण्डवों की सेना को तहस-नहस करने लगे। इच्छामृत्यु का वरदान होने के कारण भीष्म पितामह पर विजय प्राप्त करना असम्भव जानकर पाण्डव बन्धु श्रीकृष्ण के सुझाव पर सायंकाल युद्ध समाप्ति के उपरान्त श्रीकृष्ण के साथ भीष्म पितामह से मिलने पहुँचे और भीष्म पितामह को प्रणाम करके ससम्मान पूछा- ‘‘आपने अब तक जिस दृढ़ता के साथ युद्ध किया है, वैसा ही युद्ध यदि आप करते रहेंगे तो हम लोग कभी विजयी नहीं हो सकते। अतएव ऐसा उपाय बताइए- आपका वध कैसे हो सकता है?’’ भीष्म पितामह ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘‘मैं जिस समय हाथ मे अस्त्र लेकर युद्ध करता हूँ उस समय मुझे देवता तक जीत नहीं सकते। मेरे हथियार रख देने पर ही वे मुझ पर विजय पा सकते हैं। जिसके पास शस्त्र कवच और ध्वजा नहीं है, जो गिर पड़ा हो, भाग रहा हो अथवा डर गया हो मैं उस पर हाथ नहीं उठाता। इसके अतिरिक्त स्त्री-जाति, स्त्री सदृश नामधारी, अंगहीन, एकमात्र पुत्र के पिता तथा शरणागत व्यक्ति के साथ भी मैं युद्ध नहीं करता। अमंगल-चिन्ह-युक्त ध्वज को देखकर भी युद्ध न करने का मैंने नियम किया था। तुम्हारी सेना में एक महारथी शिखण्डी है। वह पहले स्त्री था, अब पुरुष बन गया है। उसको आगे करके अर्जुन मेरे ऊपर प्रहार करे। शिखण्डी से मैं युद्ध करूँगा नहीं और अर्जुन की चोटें मेरे ऊपर कारगर हो जाएँगी। बस, विजय-प्राप्ति का यही उपाय है।’’ इस प्रकार भीष्म पितामह ने पाण्डवों को अपनी ही मृत्यु का राज़ बता दिया और अगले दिन अर्जुन ने युद्ध में शिखण्डी को अपने सामने करके भीष्म पितामह पर बाणों की वर्षा करके उन्हें ज़मींदोज़ कर दिया। महाभारत युद्ध के समापन और सभी मृतकों को तिलांजलि देने के उपरान्त पांडवों के साथ श्री कृष्ण भीष्म पितामह से आशीर्वाद लेकर हस्तिनापुर वापस जाने लगे तो उस समय श्रीकृष्ण को रोक कर भीष्म पितामह ने श्रीकृष्ण से पूछा-‘‘मधुसूदन, मेरे कौन से कर्म का फल है जो मैं शर-शैया पर पड़ा हुआ हूँ?’’ श्रीकृष्ण ने मुस्कुराते हुए पूछा- ‘‘पितामह, आपको अपने पूर्वजन्मों का कुछ ज्ञान है?’’ इस पर भीष्म पितामह ने कहा- ‘‘हाँ श्रीकृष्ण, मुझे अपने सौ पूर्व जन्मों का ज्ञान है और मैंने किसी व्यक्ति का कभी अहित नहीं किया!’’ इस पर श्रीकृष्ण मुस्कराए और बोले- ‘‘पितामह, आपने ठीक कहा कि आपने अपने सौ पूर्वजन्मों में कभी किसी को कोई कष्ट नहीं दिया, किन्तु एक 101वें पूर्वजन्म में आज की तरह आपने तब भी राजवंश में जन्म लिया था और अपने पुण्य कर्मों के कारण आप बार-बार राजवंश में जन्म लेते रहे। अपने 101वें पूर्वजन्म में जब आप युवराज थे- एक बार शिकार खेलकर आप जंगल से निकल रहे थे, तभी आपके घोड़े के अग्रभाग पर एक करकैंटा एक वृक्ष से नीचे गिरा। आपने अपने बाण से करकैंटा को उठाकर अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया। करकैंटा बेरी के पेड़ पर जा कर गिरा और बेरी के काँटे उसकी पीठ में धंस गये क्योंकि करकैंटा बेरी के पेड़ पर पीठ के बल ही जाकर गिरा था। करकेंटा जितना निकलने की कोशिश करता उतना ही काँटे उसकी पीठ में चुभ जाते और इस प्रकार करकेंटा अट्ठारह दिनों तक तड़पता हुआ जीवित रहा और ईश्वर से प्रार्थना करता रहा- ‘हे युवराज! जिस तरह से मैं तड़प-तड़प कर मृत्यु को प्राप्त हो रहा हूँ, ठीक इसी प्रकार तुम भी होना।’ तो, हे पितामह भीष्म! आपके अनवरत पुण्य कर्मों के कारण आज तक आप पर करकैंटा का श्राप लागू नहीं हो पाया, किन्तु हस्तिनापुर की राजसभा में द्रोपदी का चीर-हरण होने के समय आप मूक दर्शक बने देखते रहे। अबला द्रौपदी पर हो रहे अत्याचार को रोकने में आप पूर्णरूपेण सक्षम थे, किन्तु आपने दुर्योधन और दुःःशासन को नहीं रोका। जिसके कारण पितामह, आपके सारे पुण्यकर्म क्षीण हो गये और करकैंटा का श्राप आप पर लागू हो गया। अतः पितामह, प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्मों का फल कभी न कभी तो भुगतना ही पड़ता है। प्रकृति सर्वोपरि है, इसका न्याय सर्वोपरि और प्रिय है। इसलिए पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक प्राणी व जीव जन्तु को भी भोगना पड़ता है और कर्मों के ही अनुसार ही जन्म होता है।’’ महाभारत की कथा के अनुसार सूर्य दक्षिणायण होने और इच्छामृत्यु का वरदान होने के कारण भीष्म अपनी मृत्यु के लिए सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा शर-शैया पर 58 दिनों तक करते रहे थे। महाभारत की इस कथा से यह निर्विवाद रूप से प्रमाणित हुआ कि अपने 101वें पूर्वजन्म में करकैंटा को अनजाने में 18 दिनों तक तड़पाने के पाप का फल अनवरत रूप से पुण्यकर्मों को करने के उपरान्त भी भीष्म पितामह को 101 जन्मों के उपरान्त 58 दिनों तक शर-शैया पर तड़पने के दण्ड के रूप में प्राप्त हुआ। इन परिस्थितियों में जानबूझकर किए गए पापकर्माें का दण्ड कितना मिलता होगा, यह अनुमान लगाना कठिन है। इसके अतिरिक्त महाभारत की इस कथा से यह तथ्य भी निर्विवाद रूप से सिद्ध हुआ कि एक सौ जन्मों तक अनवरत रूप से किए गए पुण्यकर्माें का प्रभाव मात्र द्रौपदी के चीर-हरण को न रोकने के ज़ुर्म के कारण समाप्त हो गया। इस कथा से यह तथ्य भी निर्विवाद रूप से स्पष्ट हुआ कि जब स्त्री पर हो रहे अत्याचार को न रोकने का प्रयत्न करना भी बहुत बड़ा पापकर्म है, तो स्त्री पर अत्याचार करने वालों को कितना दण्ड मिलता होगा? हो सकता है- कुछ लोगों को अपने पूर्वजन्मों के पुण्यकर्माें के कारण इस जन्म में अपने किए गए पापकर्माें का दण्ड न मिलता हो, किन्तु किसी न किसी जन्म में तो अवश्य प्राप्त होता है।
पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

wow बहुत गहन जानकारी है आपके इस लेख में रजत जी और पाप और पुण्य का पूरा हिसाब किताब रख दिया है आपने इस लेख में और सही भी है यदि एक नारी को यूँ अपमानित होते हुए कुटुंब के बुजुर्ग देखते रहे तो पाप के भागीदार तो बनाना ही था उन्हें पर इस एक पाप ने उनके १०० जन्मो के पुण्य को धो डाला ये सबको समझने वाली बात है और आज के युवा को खास इस बात पर ध्यान देना चहिये की कहीं भी कोई बेटी बहन मुसीबत में हो तब उन्हें उसी समय उसकी सहायता करनी चहिये न की अनदेखा करके वहां से पलायन करना चहिये . .... अति सुन्दर लेख .. ,,,धन्यवाद

13 अप्रैल 2015

Rajat Vynar

Rajat Vynar

धन्यवाद संगठन जी.

13 अप्रैल 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

रजत जी, बहुत सुन्दर लेख ! आभार!

13 अप्रैल 2015

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कुतर्क

20 मार्च 2015
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निर्भया प्रकरण पर बने वृत्तचित्र पर विवाद उठने के बाद लगे प्रतिबन्ध के पक्ष और विपक्ष में विवाद निरन्तर जारी है। कुछ लोगों का काम ही बकना होता है और हम भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं। जहाँ कुछ बकने का अवसर मिला टप से बक दिया। विश्व में बहुत से लोग इस बकने की अनोखी बीमारी से ग्रस्त हैं और इसका कोई इल

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வோட் கீ ராஜநீதி

20 मार्च 2015
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தென்னிந்தியப் பெண்களின் நிறம் குறித்து ஐக்கிய ஜனதா தள கட்சித் தலைவர் சரத் யாதவின் கருத்து அடுத்து வருடம் வருகிற தமிழ்நாடு சட்டசபை தேர்தல் முடிவுகளை கடுமையாக பாதிக்ககூடும். தமிழக பெண்களின் ஆதரவு சரத் யாதவின் பக்கம் திரும்பினால் மற்ற கட்சிகளின் நிலை என்ன ஆகும்? சரத் யாதவ் தனது பேச்சால் தென்னிந்தியப்

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मेलजोल

20 मार्च 2015
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सन्त कबीरदास यदि आज जीवित होते तो यह दोहा ज़रूर कहते- ‘कबीरा मेल बढ़ाय के, कबहुँ न करै लड़ाई। पत्रकार पोलीस नेता गुण्डा वकील हैं भाई।।’ अर्थ स्पष्ट है- पत्रकार, पुलिस, नेता, क्रिमिनल और वकील आपस में भाई-भाई समान होते हैं, अर्थात् इनमें आपस में बड़ी मिलीभगत होती है। इसलिए इनसे कभी लड़ाई नहीं करनी च

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ग़रीबों के मसीहा

19 मार्च 2015
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लोकसभा में 7 बार निर्वाचित होने के अतिरिक्त वर्ष 2014 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार प्राप्त जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख और सीनियर लीडर शरद यादव ने मतदान के बाद मतदाता को ईवीएम मशीन से मतदान की रसीद मिलने की व्यवस्था को लेकर राज्यसभा में यह सवाल उठाकर कि ‘अगर एक जनरल स्टोर पर ट्रांजिक्शन पूरी होने के

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बस में रेप

20 मार्च 2015
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यदि आज मैं उपरोक्त शीर्षक पर अपनी कोई रचना लिख दूँ तो शायद लोग इस बात पर गला फाड़कर बहुत हल्ला-गुल्ला मचाने लगें कि रचना का नाम ‘बस में रेप’ क्यों है? रचना के शीर्षक में ‘रेप’ शब्द आने से देश में बलात्कार की घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है। रचना का शीर्षक पढ़कर भारतीय समाज भ्रष्ट हो जाएगा और देश में बला

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चाय में मक्खी

23 मार्च 2015
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धर्म एक चाय की तरह है जिसमें मक्खी गिरी हुई है. कुछ लोग चाय में मक्खी गिरने पर समूची चाय फेंक देते हैं. कुछ लोग मक्खी फेंककर चाय पी जाते हैं किन्तु धर्म की चाय में गिरी मक्खी को बिना निकाले आस्तिक चाय की चुस्की लेते रहते हैं. यदि कोई इस मक्खी के बारे में बताता है तो आस्तिक कुपित हो जाते हैं. आस्तिको

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खण्डन

23 मार्च 2015
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किसी प्रकरण पर आरोप लगने और उसपर विवाद उठने के उपरान्त खण्डन प्रस्तुत करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। खण्डन प्रस्तुत करने के इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक अछूते नहीं रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का यह बयान कि उन्होंने ‘पी॰के॰ मूवी इण्टरनेट से डाउनलोड करके

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विश्व तरबूज़ दिवस

23 मार्च 2015
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‘‘हद हो गई भई। क्या ‘विश्व तरबूज़ दिवस’ भी मनाया जाने लगा?’’- कहकर सिर पकड़ने वालों से हमारा तर्क यह है कि जब ‘सन्त वालन्ताइन दिवस’ और ‘मूर्ख दिवस’ जैसे दिवस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा सकते हैं तो ‘विश्व तरबूज़ दिवस’ क्यों नहीं मनाया जा सकता? और कुछ सूत्रों के अनुसार 3 अगस्त विश्व तरबूज़ दिवस क

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रंगे हाथ

24 मार्च 2015
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नववर्ष मनाने के लिए जब हम गोवा पहुँचे तो हमने बीच पर किसी को रंगे हाथ पकड़ लिया जिसे नववर्ष की नई कविता के रूप में यहाँ पर प्रस्तुत किया जा रहा है- नववर्ष की पूर्वसंध्या पर, एक विदेशी लेखिका को, हमने रंगे हाथ पकड़ा। अपनी आँखों के कैमरे में जकड़ा। जब वह गोवा के बीच पर, दारू के नशे में धुत थी, और अना

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लो बैटरी? नो प्रॉब्लम!

1 अप्रैल 2015
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कुछ सप्ताह पूर्व हमारे कुछ पाठकों ने हमसे शिकायत की थी कि हमारी रचनाओं से उनके ज्ञान में अपरिमित वृद्धि नहीं हो रही है। हमें इस बात का परामर्श भी दिया गया था कि हास्य का कूड़ा लिखने के लिए दिमाग का घोड़ा सरपट दौड़ाने के स्थान पर कुछ ‘साथर्क लेखन’ के निमित्त दिमाग़ का घोड़ा दौड़ाया जाए जिससे पाठकों क

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सर्कस की शेरनी (भाग-2)

9 अप्रैल 2015
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बेतुकी रचनाएँ लिखने में हमारा भी कोई जवाब नहीं। इसका एक कारण है। यदि आप किसी विषय पर दस तरीके से सोच सकते हैं तो हम उसी विषय पर एक हज़ार तरीके से सोच सकते हैं। यह समझने की भूल भी न करिएगा कि बीसवीं सदी के सबसे धीमी गति से सोचने वाले ख्यातिप्राप्त फि़ल्मी लेखक, निर्देशक और अभिनेता अबरार अलवी की तरह ह

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पापकर्मों पर ब्याज

13 अप्रैल 2015
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क्या आपने कभी सोचा है कि जाने-अनजाने में किए जाने वाले पापकर्माें पर कितना प्रतिशत ब्याज लगाने के उपरान्त प्रतिफल के रूप में उन पापकर्माें का दण्ड भुगतना पड़ता है? हमने इस प्रकरण पर व्यापक शोध किया और चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। जानबूझकर किए जाने वाले पापकर्माें पर कितना प्रतिशत ब्याज लगता है- इस

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भीष्म-प्रतिज्ञा

13 अप्रैल 2015
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‘पापकर्माें पर ब्याज’ लिखते समय हमें भीष्म पितामह के पात्र से ईर्ष्या होने लगी। यह सोचकर हमारा कलेजा जलने-फुँकने लगा कि पाण्डव बन्धु भीष्म से कितना प्रेम करते थे और उनपर कितना भरोसा करते थे कि भीष्म पितामह से ही उनकी मृत्यु का राज़ पूछने चले गए। आज के युग में है किसी में इतनी हिम्मत जो जाकर किसी से

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चालू लड़कियाँ, बेवकूफ़ लड़के

14 अप्रैल 2015
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अभी कुछ दिनों पहले कौशल जी ने अपने एक लेख ‘आजकल का प्यार तो ये है’ में यह कहकर अपनी चिन्ता व्यक्त की थी कि ‘प्रेमिका प्यार के नाम पर सौदे कर रही है। कहीं प्रेमी से अपने फोन का बिल भरवा रही है तो कहीं महँगे-महँगे उपहार खरीद रही है।’ पढ़कर हमारे एक नहीं, दोनों कान खड़े हो गए और हमारे मन में विचार आया

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कॉपीराइट

20 अप्रैल 2015
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रचनाकारों को आलसी नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि आपकी कलम से निकलने वाले खूबसूरत शब्द किसी दूसरे की कलम से पहले निकल जाएँ!

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डंक अभियान का खौफ़

20 अप्रैल 2015
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पिछले दिनों विभिन्न डंक अभियान अर्थात् स्टिंग ऑपरेशन के जरिए आम आदमी पार्टी और उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल की खूब छीछालेदर हुई। कांग्रेस नेता आसिफ मोहम्मद के अनुसार उन्होंने अपनी घड़ी के जरिए एक स्टिंग किया जिससे यह पता चलता है कि आम आदमी पार्टी के चरित्र और चाल में बहुत फर्क है. स्टिंग म

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कितने सुरक्षित हैं आप?

27 अप्रैल 2015
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नेपाल में यमराज के अपने वाहन भैंसे पर सवार होकर इधर-उधर भागने के कारण भैंसे के खुर की धमक जब भारतीय क्षेत्र में पहुँची तो यहाँ के लोगों के कलेजे दहल गए। पहले तो हमें ऐसा लगा कि हमारी तबियत अचानक ख़राब हो रही है और हमारा सिर घूम रहा है, किन्तु अगले ही क्षण अपनी विशिष्ट बुद्धि के प्रयोग द्वारा हम समझ ग

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शह या मात?

30 अप्रैल 2015
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पिछले कुछ दिनों से हम नेट न्यूट्रलिटी में निहित दाँव-पेंचों को समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि इस सन्दर्भ में अपना सुविचार अन्तर्जाल की जनता के सामने रख सकें कि तभी कौशल जी के आलेख 'अमर उजाला दैनिक समाचारपत्र भारतीय दंड संहिता-१८६० के अधीन दोषी' को पढ़कर हमारे दोनों कान खड़े हो गए। अपने आलेख में कौशल

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उड़ान

8 मई 2015
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कुछ दिनों के लिए यदि हम अन्तर्जाल से अदृष्य हो जाएँ तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक बसे हमारे पाठकों में हड़कम्प मच जाता है। हमारे कहे इस वचन को सत्य समझकर तुरन्त कूदकर इस नतीजे पर न पहुँच जाइएगा कि भारत अब सम्पूर्ण हिन्दी राष्ट्र हो गया है और दक्षिण भारत के सभी राज्यों में सभी लोग हिन्दी बोलने लगे हैं।

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मन्दिर बन्द (भाग-2)

10 मई 2015
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इस बात पर मन्दिर नम्बर तीन की देवी ने क्रुद्ध होकर शीतला देवी के मन्दिर के पुजारी को खूब खरी-खोटी सुनाई। शीतला देवी के मन्दिर के पुजारी ने मन्दिर नम्बर तीन की देवी को समझाते हुए कहा- ‘‘शीतला देवी ने चुहल में जो कुछ कहा, उसमें सत्यता कहाँ थी? वह स्टोरी-लाइन तो मेरी ही बनाई हुई थी। अतः कृपया शान्त हो

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योगाशक्ति

19 जून 2015
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प्रधानमंत्रीजी की योगा प्रचार योजना का जनता पर इतना गहरा असर पड़ा कि लोग मिथक का शिकार होकर योगा को हर मर्ज़ की रामबाण औषधि समझने लगे। हमारे पड़ोसी गड्ढा जी को अचानक योगा करते देखकर हमारे दोनों कान खडे़ हो गए। पूछने पर गड्ढा जी ने प्रसन्नतापूर्वक बताया कि वे कार खरीदने के लिए योगा कर रहे हैं। योगा

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युगान्तर

19 जून 2015
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द्वापर में- हे खग मृग हे मथुकर श्रेणी। तुम देखी सीता मृगनयनी।। कलियुग में- हे ह्वाट्सऐप वीचाट हे हाइक। हैव यू सीन मा डियर वाइफ़।।

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वरदान की काट

19 जून 2015
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सुबह-सुबह झपकी लग गई तो स्वप्न में ईश्वर आकर प्रकट हो गए। बडे़ क्रोधित लग रहे थे। कुपित स्वर में बोले- 'दैवीय मामलों पर अपनी टाँग फँसाना तुरन्त बन्द करो। अपनी कलम से देवी-देवताओं की धज्जियाँ उड़ा देते हो। हमें बहुत बुरा लगता है।' ईश्वरीय आदेश की अवहेलना करने का सवाल ही नहीं उठता था। नहीं तो मन्दिर

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लिंग-निरपेक्ष

21 जून 2015
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धर्म-निरपेक्ष शब्द से तो आप भली-भाँति परिचित होंगे, किन्तु लिंग-निरपेक्ष के नाम पर आप बुरी तरह चौंके होंगे। चौंकने की बात ही है क्योंकि इस शब्द का आविष्कार हमने किया है अौर इस शब्द को खासतौर से उन लोगों के लिए बनाया है जो समाज में अथवा अन्तर्जाल में यह घोषित करना चाहते हैं कि वे स्त्री-पुरुषों में क

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महायमराज

24 अगस्त 2015
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यमराज के नाम से कौन परिचित नहीं है? बड़ों की तो बात छोड़िए, बच्चे भी यमराज का नाम सुनकर भय से थर-थर काँपने लगते हैं। धरतीलोक में यमराज जितना बदनाम हैं उतना बदनाम कोई अन्य देवी या देवता नहीं। इसीलिए कोई अपने बच्चों का नाम यमराज रखना पसन्द नहीं करता। यमराज का कोई विकल्प नहीं। यमराज का कोई बॉस नहीं। यमरा

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