9 अप्रैल 2015
शब्दनगरी संगठन द्वारा लिखित "संस्कृत 'देववाणी' है" और "पाकिस्तान से मैच जीतने का मजा ही कुछ और है" जैसी उत्कृष्ट रचनाएँ मील का पत्थर हैं और निःसंदेह देववाणी की महत्ता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं, वह भी उन परिस्थितियो में जबकि देववाणी के जानकार अब कुछ गिने-चुने लोग ही बचे हैं! देववाणी विज्ञ होने के कारण आपको यह तो ज्ञात ही होगा कि हम धन्यवाद देना पसन्द नहीं करते।
10 अप्रैल 2015
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9 अप्रैल 2015
रजत जी, लेख अच्छा लगा, आभार!
9 अप्रैल 2015