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विश्व तरबूज़ दिवस

23 मार्च 2015

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featured image‘‘हद हो गई भई। क्या ‘विश्व तरबूज़ दिवस’ भी मनाया जाने लगा?’’- कहकर सिर पकड़ने वालों से हमारा तर्क यह है कि जब ‘सन्त वालन्ताइन दिवस’ और ‘मूर्ख दिवस’ जैसे दिवस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा सकते हैं तो ‘विश्व तरबूज़ दिवस’ क्यों नहीं मनाया जा सकता? और कुछ सूत्रों के अनुसार 3 अगस्त विश्व तरबूज़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। अब 3 अगस्त को विश्व तरबूज़ दिवस किस कठबैठी के आधार पर मनाया जाता है यह तो हमें नहीं पता, किन्तु यदि विश्व के किसान मुझसे परामर्श लेने आते तो मैं इसे अगस्त में नहीं, मार्च के महीने में मनाने का सुझाव देता। इसके पीछे दो कारण हैं- पहला कारण यह है कि होली के बाद ही गर्मी पड़नी शुरू होती है और होली प्रायः मार्च में ही पड़ती है। गर्मी के साथ ही गर्म-गर्म मौसम में ठण्डा-ठण्डा तरबूज़ खाने का मौसम शुरू होता है। दूसरा कारण यह है कि तरबूज़ के किसानों को विश्व तरबूज़ दिवस मनाता देखकर खरबूजा के किसान क्या हाथ पर हाथ धरकर चुप बैठते? वे हमसे लड़ाई करने के लिए आ जाते कि हमें भी विश्व खरबूजा दिवस मनाने के लिए कोई अच्छी सी तारीख निकालकर दीजिए। विश्व तरबूज दिवस और विश्व खरबूजा दिवस मनाने में लगे किसानों के बीच आपसी वैमनस्य के कारण हाथापाई न हो जाए, इसलिए यह आवश्यक होता कि विश्व तरबूज़ दिवस और विश्व खरबूजा दिवस के बीच में कम से कम छः महीने का अन्तर हो। अतः मार्च में छः महीना जोड़कर सितम्बर में विश्व खरबूजा दिवस मनाने की सलाह हम खरबूजा के किसानों को देते। सन्दर्भवश यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि तर्कमेनिस्तान में अगस्त माह में पड़ने वाले द्वितीय रविवार को खरबूजा दिवस मनाया जाता है। वैसे तो विश्व तरबूज़ दिवस इतना धूमधाम से नहीं मनाया जाता, किन्तु हमारी राय में तो इसे बहुत ही ज़ोरदार तरीके से बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाना चाहिए। यही नहीं, तरबूज़ की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रदर्शनी लगाकर विश्व के सभी तरबूज़ के किसानों को अपने-अपने खेत में उगाए गए उन्नत किस्म के तरबूजों को तरबूज़प्रेमियों के लिए प्रदर्शित करना चाहिए। तरबूज के पक्ष में हमारा ज़ोरदार लेख पढ़कर दूसरे फलों के प्रेमी हमारे ऊपर यह आरोप लगा सकते हैं कि हम तरबूज के वृहत् आकार को देखकर तरबूज़ का पक्ष ले रहे हैं। इस आरोप के खण्डन में हमारा यह कथन है कि हम तरबूज़ का पक्ष तरबूज़ के वृहत् आकार के आधार पर नहीं, अपितु तरबूज़ के व्यापक गुणों के आधार पर ले रहे हैं। जर्नल आफ न्यूट्रिशनल बायोकैमेस्ट्री के अनुसार तरबूज वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इससे रक्त वाहिकाओं के भीतर चर्बी नहीं जमती। शोधकर्ताओं का मानना है कि तरबूज के पोषक तत्वों का राज उसके रस में पाए जाने वाले रसायन साईट्रलीन एमिनो एसिड में छुपा है। साईट्रलीन में 64 प्रतिशत वसा कम करने की क्षमता है। तरबूज रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। खाना खाने के उपरान्त तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। तरबूज़ खाने से नींद भी अच्छी आती है। तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि तरबूज़ खाने से कैंसर के मरीज़ों को लाभ होता है, क्योंकि तरबूज़ में लायकोपिन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह कैरोटिनॉयड है। जो एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करता है। तरबूज़ में साइट्रोलीन एमिनो एसिड पाया जाता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त तरबूज में विटामिन सी भी रहता है, जो हमारे शरीर को ऊर्जा के साथ रोग से लड़ने में सहायता करता है। तरबूज हार्ट अटैक को रोकने में भी सहायक होता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। पोटेशियम ब्लड प्रेशर सामान्य रखने में मदद करता है, जिससे हार्ट अटैक होने की आशंका कम हो जाती है। तरबूज आंखों की बीमारी से भी बचाव करता है, क्योंकि इसमें विटामिन ‘ए’ पाया जाता है। आँखों से सम्बन्धित बीमारियाँ विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण ही होती हैं।़ तरबूज़ मानसिक तनाव व घबराहट से भी मुक्ति देता है, क्योंकि इसमें विटामिन बी6 व पोटेशियम पाया जाता है। पोटेशियम मस्तिष्क में ऑक्सीजन के संचार में सहायता करता है जिससे नर्वस सिस्टम सन्तुलित रहता है। तरबूज़ खाने से किडनी में सूजन व मूत्र-समस्या से भी छुटकारा मिलता है। तरबूज़ में 92 प्रतिशत पानी होता है, इसलिए यूरिन द्वारा शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है। तरबूज़ में पाया जाने वाला लायकोपिन शरीर के अंदर गुणसूत्र को टूटने से बचाता है। अतः आपका डीएनए सुरक्षित रहता है। तरबूज़ में विटामिन बी6, मैग्नीशियम और पोटेशियम होने के कारण यह मानसिक क्षमता व एकाग्रता को बनाए रखता है। अतः तरबूज़ विद्यार्थियों के लिए भी लाभदायक है। त्वचा की सुंदरता बढ़ाने के लिए तरबूज का लेप लगाने से इसके कसैले गुण व पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण कील-मुहांसे, त्वचा की झुर्रियां और धब्बे को मिटाने में मदद करता है। तरबूज बढ़ती उम्र को रोकने में भी सहायक होता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है जो शरीर में होने वाले रोगों से बचाता है। तरबूज़ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है, क्योंकि इसमें पोटेशियम पाया जाता है जो उच्च रक्तचाप को संतुलित करने की प्राकृतिक दवा है। डायबिटीज के मरीज़ों के लिए भी तरबूज एक वरदान है। डायबिटीज के मरीज यदि तरबूज एक-एक प्लेट करके दिन में पाँच बार खाएँ तो यह ब्लड शुगर को नहीं बढ़ाता और इसमें पाया जाने वाला अरजीनीन, सिटूलीन एवं लाइकोपीन डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। तरबूज महिलाओं के लिए भी एक लाभदायक फल है। गर्भावस्था में इसे खाने से शरीर में पानी की मात्रा सन्तुलित रहती है, जिससे बदन में ऐंठन तथा साँस फूलने की परेशानी नहीं होती है। अब हम बताने जा रहे हैं तरबूज़ का बहुत ही ख़ास गुण जिसे पढ़कर आपके कान खड़े हो जाएँगे। तरबूज़ यौन शक्ति भी बढ़ाता है। यही कारण है- आजकल तरबूज की सम्पूर्ण अमेरिका में धूम मची है। सभी बड़े होटलों में ब्रेकफास्ट के समय इसका उपलब्ध रहना लगभग अनिवार्य माना जा रहा है। इसका बड़ा कारण पिछले पाँच वर्षो में कुछ नए शोधों द्वारा तरबूज के नए फायदों का खुलासा होना है। नए शोध के अनुसार तरबूज में वियाग्रा दवा जैसा गुण है। यदि यौन शक्ति में कमी है, इरेक्शन की समस्या है या यौन इच्छा का अभाव है, तो प्रतिदिन पाँच बार तरबूज खाने का परामर्श दिया गया है। न्यूट्रीशन मेडिकल जरनल एवं साइंस डेली पत्रिका में छपे शोध के अनुसार तरबूज में सिटूलीन नामक जैव रसायन होता है, जो शरीर में जाकर अरजीनीन नामक एमीनो एसिड में परिवर्तित हो जाता है। अरजीनीन की सही मात्रा शरीर में रहे तो नाइट्रिक आक्साइड प्रचुर मात्रा में बनता है। तरबूज खाने से नाइट्रिक एसिड की मात्रा संतुलित हो जाती है तथा यौन अंगों में नाइट्रिक एसिड बनने से वहाँ का रक्त प्रवाह सही हो जाता है जो वियाग्रा जैसा प्रभाव उत्पन्न करता है। सिटूलीन की अधिकता से शरीर की प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है और शरीर का विष बाहर निकल जाता है। अब आप ही बताइए- तरबूज़ के इतने व्यापक गुणों को देखते हुए हमारा तरबूज़ का पक्ष लेना उचित है या नहीं और विश्व तरबूज़ दिवस बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाना चाहिए या नहीं? देश-विदेश के तरबूज़ के किसानों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ तरबूज़ के पक्ष में हमारा स्लोगन है- ‘जब तक है जान। तरबूज़ का करें सम्मान।’
अनंत

अनंत

लाभदायक जानकारी... प्रस्तुतीकरण मजेदार...

26 मार्च 2015

Rajat Vynar

Rajat Vynar

वाह क्या बात कही आपने, शालिनी जी- 'तरबूज भी आपका आभारी रहेगा.' आपमें सेंस ऑफ़ ह्यूमर गजब का है!

24 मार्च 2015

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

बिलकुल सही लिखा है रजत जी .तरबूज भी आपका आभारी रहेगा .

23 मार्च 2015

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कुतर्क

20 मार्च 2015
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निर्भया प्रकरण पर बने वृत्तचित्र पर विवाद उठने के बाद लगे प्रतिबन्ध के पक्ष और विपक्ष में विवाद निरन्तर जारी है। कुछ लोगों का काम ही बकना होता है और हम भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं। जहाँ कुछ बकने का अवसर मिला टप से बक दिया। विश्व में बहुत से लोग इस बकने की अनोखी बीमारी से ग्रस्त हैं और इसका कोई इल

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வோட் கீ ராஜநீதி

20 मार्च 2015
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தென்னிந்தியப் பெண்களின் நிறம் குறித்து ஐக்கிய ஜனதா தள கட்சித் தலைவர் சரத் யாதவின் கருத்து அடுத்து வருடம் வருகிற தமிழ்நாடு சட்டசபை தேர்தல் முடிவுகளை கடுமையாக பாதிக்ககூடும். தமிழக பெண்களின் ஆதரவு சரத் யாதவின் பக்கம் திரும்பினால் மற்ற கட்சிகளின் நிலை என்ன ஆகும்? சரத் யாதவ் தனது பேச்சால் தென்னிந்தியப்

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मेलजोल

20 मार्च 2015
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सन्त कबीरदास यदि आज जीवित होते तो यह दोहा ज़रूर कहते- ‘कबीरा मेल बढ़ाय के, कबहुँ न करै लड़ाई। पत्रकार पोलीस नेता गुण्डा वकील हैं भाई।।’ अर्थ स्पष्ट है- पत्रकार, पुलिस, नेता, क्रिमिनल और वकील आपस में भाई-भाई समान होते हैं, अर्थात् इनमें आपस में बड़ी मिलीभगत होती है। इसलिए इनसे कभी लड़ाई नहीं करनी च

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ग़रीबों के मसीहा

19 मार्च 2015
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लोकसभा में 7 बार निर्वाचित होने के अतिरिक्त वर्ष 2014 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार प्राप्त जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख और सीनियर लीडर शरद यादव ने मतदान के बाद मतदाता को ईवीएम मशीन से मतदान की रसीद मिलने की व्यवस्था को लेकर राज्यसभा में यह सवाल उठाकर कि ‘अगर एक जनरल स्टोर पर ट्रांजिक्शन पूरी होने के

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बस में रेप

20 मार्च 2015
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यदि आज मैं उपरोक्त शीर्षक पर अपनी कोई रचना लिख दूँ तो शायद लोग इस बात पर गला फाड़कर बहुत हल्ला-गुल्ला मचाने लगें कि रचना का नाम ‘बस में रेप’ क्यों है? रचना के शीर्षक में ‘रेप’ शब्द आने से देश में बलात्कार की घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है। रचना का शीर्षक पढ़कर भारतीय समाज भ्रष्ट हो जाएगा और देश में बला

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चाय में मक्खी

23 मार्च 2015
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धर्म एक चाय की तरह है जिसमें मक्खी गिरी हुई है. कुछ लोग चाय में मक्खी गिरने पर समूची चाय फेंक देते हैं. कुछ लोग मक्खी फेंककर चाय पी जाते हैं किन्तु धर्म की चाय में गिरी मक्खी को बिना निकाले आस्तिक चाय की चुस्की लेते रहते हैं. यदि कोई इस मक्खी के बारे में बताता है तो आस्तिक कुपित हो जाते हैं. आस्तिको

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खण्डन

23 मार्च 2015
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किसी प्रकरण पर आरोप लगने और उसपर विवाद उठने के उपरान्त खण्डन प्रस्तुत करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। खण्डन प्रस्तुत करने के इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक अछूते नहीं रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का यह बयान कि उन्होंने ‘पी॰के॰ मूवी इण्टरनेट से डाउनलोड करके

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विश्व तरबूज़ दिवस

23 मार्च 2015
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रंगे हाथ

24 मार्च 2015
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नववर्ष मनाने के लिए जब हम गोवा पहुँचे तो हमने बीच पर किसी को रंगे हाथ पकड़ लिया जिसे नववर्ष की नई कविता के रूप में यहाँ पर प्रस्तुत किया जा रहा है- नववर्ष की पूर्वसंध्या पर, एक विदेशी लेखिका को, हमने रंगे हाथ पकड़ा। अपनी आँखों के कैमरे में जकड़ा। जब वह गोवा के बीच पर, दारू के नशे में धुत थी, और अना

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लो बैटरी? नो प्रॉब्लम!

1 अप्रैल 2015
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कुछ सप्ताह पूर्व हमारे कुछ पाठकों ने हमसे शिकायत की थी कि हमारी रचनाओं से उनके ज्ञान में अपरिमित वृद्धि नहीं हो रही है। हमें इस बात का परामर्श भी दिया गया था कि हास्य का कूड़ा लिखने के लिए दिमाग का घोड़ा सरपट दौड़ाने के स्थान पर कुछ ‘साथर्क लेखन’ के निमित्त दिमाग़ का घोड़ा दौड़ाया जाए जिससे पाठकों क

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सर्कस की शेरनी (भाग-2)

9 अप्रैल 2015
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बेतुकी रचनाएँ लिखने में हमारा भी कोई जवाब नहीं। इसका एक कारण है। यदि आप किसी विषय पर दस तरीके से सोच सकते हैं तो हम उसी विषय पर एक हज़ार तरीके से सोच सकते हैं। यह समझने की भूल भी न करिएगा कि बीसवीं सदी के सबसे धीमी गति से सोचने वाले ख्यातिप्राप्त फि़ल्मी लेखक, निर्देशक और अभिनेता अबरार अलवी की तरह ह

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पापकर्मों पर ब्याज

13 अप्रैल 2015
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क्या आपने कभी सोचा है कि जाने-अनजाने में किए जाने वाले पापकर्माें पर कितना प्रतिशत ब्याज लगाने के उपरान्त प्रतिफल के रूप में उन पापकर्माें का दण्ड भुगतना पड़ता है? हमने इस प्रकरण पर व्यापक शोध किया और चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। जानबूझकर किए जाने वाले पापकर्माें पर कितना प्रतिशत ब्याज लगता है- इस

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भीष्म-प्रतिज्ञा

13 अप्रैल 2015
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‘पापकर्माें पर ब्याज’ लिखते समय हमें भीष्म पितामह के पात्र से ईर्ष्या होने लगी। यह सोचकर हमारा कलेजा जलने-फुँकने लगा कि पाण्डव बन्धु भीष्म से कितना प्रेम करते थे और उनपर कितना भरोसा करते थे कि भीष्म पितामह से ही उनकी मृत्यु का राज़ पूछने चले गए। आज के युग में है किसी में इतनी हिम्मत जो जाकर किसी से

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चालू लड़कियाँ, बेवकूफ़ लड़के

14 अप्रैल 2015
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अभी कुछ दिनों पहले कौशल जी ने अपने एक लेख ‘आजकल का प्यार तो ये है’ में यह कहकर अपनी चिन्ता व्यक्त की थी कि ‘प्रेमिका प्यार के नाम पर सौदे कर रही है। कहीं प्रेमी से अपने फोन का बिल भरवा रही है तो कहीं महँगे-महँगे उपहार खरीद रही है।’ पढ़कर हमारे एक नहीं, दोनों कान खड़े हो गए और हमारे मन में विचार आया

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कॉपीराइट

20 अप्रैल 2015
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रचनाकारों को आलसी नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि आपकी कलम से निकलने वाले खूबसूरत शब्द किसी दूसरे की कलम से पहले निकल जाएँ!

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डंक अभियान का खौफ़

20 अप्रैल 2015
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पिछले दिनों विभिन्न डंक अभियान अर्थात् स्टिंग ऑपरेशन के जरिए आम आदमी पार्टी और उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल की खूब छीछालेदर हुई। कांग्रेस नेता आसिफ मोहम्मद के अनुसार उन्होंने अपनी घड़ी के जरिए एक स्टिंग किया जिससे यह पता चलता है कि आम आदमी पार्टी के चरित्र और चाल में बहुत फर्क है. स्टिंग म

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कितने सुरक्षित हैं आप?

27 अप्रैल 2015
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नेपाल में यमराज के अपने वाहन भैंसे पर सवार होकर इधर-उधर भागने के कारण भैंसे के खुर की धमक जब भारतीय क्षेत्र में पहुँची तो यहाँ के लोगों के कलेजे दहल गए। पहले तो हमें ऐसा लगा कि हमारी तबियत अचानक ख़राब हो रही है और हमारा सिर घूम रहा है, किन्तु अगले ही क्षण अपनी विशिष्ट बुद्धि के प्रयोग द्वारा हम समझ ग

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शह या मात?

30 अप्रैल 2015
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पिछले कुछ दिनों से हम नेट न्यूट्रलिटी में निहित दाँव-पेंचों को समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि इस सन्दर्भ में अपना सुविचार अन्तर्जाल की जनता के सामने रख सकें कि तभी कौशल जी के आलेख 'अमर उजाला दैनिक समाचारपत्र भारतीय दंड संहिता-१८६० के अधीन दोषी' को पढ़कर हमारे दोनों कान खड़े हो गए। अपने आलेख में कौशल

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उड़ान

8 मई 2015
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कुछ दिनों के लिए यदि हम अन्तर्जाल से अदृष्य हो जाएँ तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक बसे हमारे पाठकों में हड़कम्प मच जाता है। हमारे कहे इस वचन को सत्य समझकर तुरन्त कूदकर इस नतीजे पर न पहुँच जाइएगा कि भारत अब सम्पूर्ण हिन्दी राष्ट्र हो गया है और दक्षिण भारत के सभी राज्यों में सभी लोग हिन्दी बोलने लगे हैं।

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मन्दिर बन्द (भाग-2)

10 मई 2015
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इस बात पर मन्दिर नम्बर तीन की देवी ने क्रुद्ध होकर शीतला देवी के मन्दिर के पुजारी को खूब खरी-खोटी सुनाई। शीतला देवी के मन्दिर के पुजारी ने मन्दिर नम्बर तीन की देवी को समझाते हुए कहा- ‘‘शीतला देवी ने चुहल में जो कुछ कहा, उसमें सत्यता कहाँ थी? वह स्टोरी-लाइन तो मेरी ही बनाई हुई थी। अतः कृपया शान्त हो

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योगाशक्ति

19 जून 2015
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प्रधानमंत्रीजी की योगा प्रचार योजना का जनता पर इतना गहरा असर पड़ा कि लोग मिथक का शिकार होकर योगा को हर मर्ज़ की रामबाण औषधि समझने लगे। हमारे पड़ोसी गड्ढा जी को अचानक योगा करते देखकर हमारे दोनों कान खडे़ हो गए। पूछने पर गड्ढा जी ने प्रसन्नतापूर्वक बताया कि वे कार खरीदने के लिए योगा कर रहे हैं। योगा

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युगान्तर

19 जून 2015
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द्वापर में- हे खग मृग हे मथुकर श्रेणी। तुम देखी सीता मृगनयनी।। कलियुग में- हे ह्वाट्सऐप वीचाट हे हाइक। हैव यू सीन मा डियर वाइफ़।।

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वरदान की काट

19 जून 2015
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सुबह-सुबह झपकी लग गई तो स्वप्न में ईश्वर आकर प्रकट हो गए। बडे़ क्रोधित लग रहे थे। कुपित स्वर में बोले- 'दैवीय मामलों पर अपनी टाँग फँसाना तुरन्त बन्द करो। अपनी कलम से देवी-देवताओं की धज्जियाँ उड़ा देते हो। हमें बहुत बुरा लगता है।' ईश्वरीय आदेश की अवहेलना करने का सवाल ही नहीं उठता था। नहीं तो मन्दिर

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लिंग-निरपेक्ष

21 जून 2015
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धर्म-निरपेक्ष शब्द से तो आप भली-भाँति परिचित होंगे, किन्तु लिंग-निरपेक्ष के नाम पर आप बुरी तरह चौंके होंगे। चौंकने की बात ही है क्योंकि इस शब्द का आविष्कार हमने किया है अौर इस शब्द को खासतौर से उन लोगों के लिए बनाया है जो समाज में अथवा अन्तर्जाल में यह घोषित करना चाहते हैं कि वे स्त्री-पुरुषों में क

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महायमराज

24 अगस्त 2015
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यमराज के नाम से कौन परिचित नहीं है? बड़ों की तो बात छोड़िए, बच्चे भी यमराज का नाम सुनकर भय से थर-थर काँपने लगते हैं। धरतीलोक में यमराज जितना बदनाम हैं उतना बदनाम कोई अन्य देवी या देवता नहीं। इसीलिए कोई अपने बच्चों का नाम यमराज रखना पसन्द नहीं करता। यमराज का कोई विकल्प नहीं। यमराज का कोई बॉस नहीं। यमरा

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