‘‘हद हो गई भई। क्या ‘विश्व तरबूज़ दिवस’ भी मनाया जाने लगा?’’- कहकर सिर पकड़ने वालों से हमारा तर्क यह है कि जब ‘सन्त वालन्ताइन दिवस’ और ‘मूर्ख दिवस’ जैसे दिवस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा सकते हैं तो ‘विश्व तरबूज़ दिवस’ क्यों नहीं मनाया जा सकता? और कुछ सूत्रों के अनुसार 3 अगस्त विश्व तरबूज़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। अब 3 अगस्त को विश्व तरबूज़ दिवस किस कठबैठी के आधार पर मनाया जाता है यह तो हमें नहीं पता, किन्तु यदि विश्व के किसान मुझसे परामर्श लेने आते तो मैं इसे अगस्त में नहीं, मार्च के महीने में मनाने का सुझाव देता। इसके पीछे दो कारण हैं- पहला कारण यह है कि होली के बाद ही गर्मी पड़नी शुरू होती है और होली प्रायः मार्च में ही पड़ती है। गर्मी के साथ ही गर्म-गर्म मौसम में ठण्डा-ठण्डा तरबूज़ खाने का मौसम शुरू होता है। दूसरा कारण यह है कि तरबूज़ के किसानों को विश्व तरबूज़ दिवस मनाता देखकर खरबूजा के किसान क्या हाथ पर हाथ धरकर चुप बैठते? वे हमसे लड़ाई करने के लिए आ जाते कि हमें भी विश्व खरबूजा दिवस मनाने के लिए कोई अच्छी सी तारीख निकालकर दीजिए। विश्व तरबूज दिवस और विश्व खरबूजा दिवस मनाने में लगे किसानों के बीच आपसी वैमनस्य के कारण हाथापाई न हो जाए, इसलिए यह आवश्यक होता कि विश्व तरबूज़ दिवस और विश्व खरबूजा दिवस के बीच में कम से कम छः महीने का अन्तर हो। अतः मार्च में छः महीना जोड़कर सितम्बर में विश्व खरबूजा दिवस मनाने की सलाह हम खरबूजा के किसानों को देते। सन्दर्भवश यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि तर्कमेनिस्तान में अगस्त माह में पड़ने वाले द्वितीय रविवार को खरबूजा दिवस मनाया जाता है। वैसे तो विश्व तरबूज़ दिवस इतना धूमधाम से नहीं मनाया जाता, किन्तु हमारी राय में तो इसे बहुत ही ज़ोरदार तरीके से बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाना चाहिए। यही नहीं, तरबूज़ की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रदर्शनी लगाकर विश्व के सभी तरबूज़ के किसानों को अपने-अपने खेत में उगाए गए उन्नत किस्म के तरबूजों को तरबूज़प्रेमियों के लिए प्रदर्शित करना चाहिए। तरबूज के पक्ष में हमारा ज़ोरदार लेख पढ़कर दूसरे फलों के प्रेमी हमारे ऊपर यह आरोप लगा सकते हैं कि हम तरबूज के वृहत् आकार को देखकर तरबूज़ का पक्ष ले रहे हैं। इस आरोप के खण्डन में हमारा यह कथन है कि हम तरबूज़ का पक्ष तरबूज़ के वृहत् आकार के आधार पर नहीं, अपितु तरबूज़ के व्यापक गुणों के आधार पर ले रहे हैं।
जर्नल आफ न्यूट्रिशनल बायोकैमेस्ट्री के अनुसार तरबूज वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इससे रक्त वाहिकाओं के भीतर चर्बी नहीं जमती। शोधकर्ताओं का मानना है कि तरबूज के पोषक तत्वों का राज उसके रस में पाए जाने वाले रसायन साईट्रलीन एमिनो एसिड में छुपा है। साईट्रलीन में 64 प्रतिशत वसा कम करने की क्षमता है। तरबूज रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। खाना खाने के उपरान्त तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। तरबूज़ खाने से नींद भी अच्छी आती है। तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि तरबूज़ खाने से कैंसर के मरीज़ों को लाभ होता है, क्योंकि तरबूज़ में लायकोपिन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह कैरोटिनॉयड है। जो एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करता है।
तरबूज़ में साइट्रोलीन एमिनो एसिड पाया जाता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त तरबूज में विटामिन सी भी रहता है, जो हमारे शरीर को ऊर्जा के साथ रोग से लड़ने में सहायता करता है।
तरबूज हार्ट अटैक को रोकने में भी सहायक होता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। पोटेशियम ब्लड प्रेशर सामान्य रखने में मदद करता है, जिससे हार्ट अटैक होने की आशंका कम हो जाती है।
तरबूज आंखों की बीमारी से भी बचाव करता है, क्योंकि इसमें विटामिन ‘ए’ पाया जाता है। आँखों से सम्बन्धित बीमारियाँ विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण ही होती हैं।़
तरबूज़ मानसिक तनाव व घबराहट से भी मुक्ति देता है, क्योंकि इसमें विटामिन बी6 व पोटेशियम पाया जाता है। पोटेशियम मस्तिष्क में ऑक्सीजन के संचार में सहायता करता है जिससे नर्वस सिस्टम सन्तुलित रहता है।
तरबूज़ खाने से किडनी में सूजन व मूत्र-समस्या से भी छुटकारा मिलता है। तरबूज़ में 92 प्रतिशत पानी होता है, इसलिए यूरिन द्वारा शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है।
तरबूज़ में पाया जाने वाला लायकोपिन शरीर के अंदर गुणसूत्र को टूटने से बचाता है। अतः आपका डीएनए सुरक्षित रहता है।
तरबूज़ में विटामिन बी6, मैग्नीशियम और पोटेशियम होने के कारण यह मानसिक क्षमता व एकाग्रता को बनाए रखता है। अतः तरबूज़ विद्यार्थियों के लिए भी लाभदायक है।
त्वचा की सुंदरता बढ़ाने के लिए तरबूज का लेप लगाने से इसके कसैले गुण व पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण कील-मुहांसे, त्वचा की झुर्रियां और धब्बे को मिटाने में मदद करता है।
तरबूज बढ़ती उम्र को रोकने में भी सहायक होता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है जो शरीर में होने वाले रोगों से बचाता है।
तरबूज़ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है, क्योंकि इसमें पोटेशियम पाया जाता है जो उच्च रक्तचाप को संतुलित करने की प्राकृतिक दवा है।
डायबिटीज के मरीज़ों के लिए भी तरबूज एक वरदान है। डायबिटीज के मरीज यदि तरबूज एक-एक प्लेट करके दिन में पाँच बार खाएँ तो यह ब्लड शुगर को नहीं बढ़ाता और इसमें पाया जाने वाला अरजीनीन, सिटूलीन एवं लाइकोपीन डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। तरबूज महिलाओं के लिए भी एक लाभदायक फल है। गर्भावस्था में इसे खाने से शरीर में पानी की मात्रा सन्तुलित रहती है, जिससे बदन में ऐंठन तथा साँस फूलने की परेशानी नहीं होती है।
अब हम बताने जा रहे हैं तरबूज़ का बहुत ही ख़ास गुण जिसे पढ़कर आपके कान खड़े हो जाएँगे। तरबूज़ यौन शक्ति भी बढ़ाता है। यही कारण है- आजकल तरबूज की सम्पूर्ण अमेरिका में धूम मची है। सभी बड़े होटलों में ब्रेकफास्ट के समय इसका उपलब्ध रहना लगभग अनिवार्य माना जा रहा है। इसका बड़ा कारण पिछले पाँच वर्षो में कुछ नए शोधों द्वारा तरबूज के नए फायदों का खुलासा होना है। नए शोध के अनुसार तरबूज में वियाग्रा दवा जैसा गुण है। यदि यौन शक्ति में कमी है, इरेक्शन की समस्या है या यौन इच्छा का अभाव है, तो प्रतिदिन पाँच बार तरबूज खाने का परामर्श दिया गया है। न्यूट्रीशन मेडिकल जरनल एवं साइंस डेली पत्रिका में छपे शोध के अनुसार तरबूज में सिटूलीन नामक जैव रसायन होता है, जो शरीर में जाकर अरजीनीन नामक एमीनो एसिड में परिवर्तित हो जाता है। अरजीनीन की सही मात्रा शरीर में रहे तो नाइट्रिक आक्साइड प्रचुर मात्रा में बनता है। तरबूज खाने से नाइट्रिक एसिड की मात्रा संतुलित हो जाती है तथा यौन अंगों में नाइट्रिक एसिड बनने से वहाँ का रक्त प्रवाह सही हो जाता है जो वियाग्रा जैसा प्रभाव उत्पन्न करता है। सिटूलीन की अधिकता से शरीर की प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है और शरीर का विष बाहर निकल जाता है।
अब आप ही बताइए- तरबूज़ के इतने व्यापक गुणों को देखते हुए हमारा तरबूज़ का पक्ष लेना उचित है या नहीं और विश्व तरबूज़ दिवस बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाना चाहिए या नहीं? देश-विदेश के तरबूज़ के किसानों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ तरबूज़ के पक्ष में हमारा स्लोगन है-
‘जब तक है जान। तरबूज़ का करें सम्मान।’