shabd-logo

चाहत नहीं है बाकी

26 फरवरी 2023

17 बार देखा गया 17

चाहत नहीं है बाकी, मुझको अब और जीने की,
ख्वाब मेरे सुहाने यूंही टूटते चले गए,
हिम्मत नहीं रही साथी, अब और गम पीने की,
गमों के पैमाने फिर भी छलकते रहे!

बेकद्री इस कदर हुई है मेरी साकी,
वह सब बोलते रहे और हम बस सुनते रहे,
तार-तार हुआ दामन, आरजू नहीं अब सीने की,
कितना मलहम लगाऊं, जख्म वो बार-बार मिलते रहे!

उन हसीन लम्हों की अभी कुछ है यादें बाकी,
उनके दिलों में नफरत के अंगारे ही सुलगते रहे,
शायद मिल भी जाते, पर अब उम्मीद भी नहीं बाकी,
साथ होकर भी हम अलग ही चलते रहे!

कोई उनसे कह दे, क्योंकि उनकी नजर है दागी,
प्यार की मेरे हर कदम वो आजमाइश करते रहे,
सोने से दमकते रिश्ते की नहीं लिया करते कसौटी,
वह शक हमपर करते रहे लेकिन हम उन पर मरते रहे!

2
रचनाएँ
दर्दे दिल की दास्तां
0.0
गम तो और भी दुनिया में हैं बाकी, लेकिन टूटे हुए दिल की आवाज दूर तलक जाती है। दुआ ही निकलती है फिर भी टूटे हुए दिल से, जो हर हाल में अपने प्यार की सलामती चाहती है।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए