*संपूर्ण विश्व में भारत देश को महान एवं विश्वगुरु माना जाता था | विश्व में अकेला ऐसा देश भारत है जिसे देवभूमि कह कर पुकारा जाता है | भारत यदि विश्वगुरु बना था तो यहां के महापुरुषों के कृत्यों एवं उनकी संस्कृति के आधार पर | भारत की संस्कृति संपूर्ण विश्व में एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती रही है |
*इस सृष्टि में परमात्मा की अनुपम कृति मनुष्य कहीं गयी है | इससे सुंदर शायद कोई रचना परमात्मा ने नहीं किया | सभी प्राणियों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ इसलिए है क्योंकि ईश्वर ने उसको सोचने समझने की शक्ति दी है , और हमारे महापुरुषों ने स्थान - स्थान पर मनुष्य को सचेत करते हुए पहले मनन करने फिर क्रियान्वयन
*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य की आयु सौ वर्ष निर्धारित करते हुए चार आश्रमों की व्यवस्था बनाई गयी है | ये चार आश्रम हैं :- गृहस्थाश्रम , ब्रह्मचर्यआश्रम , वानप्रस्थ एवं संयास आश्रम | संयास आश्रम की आयु वैसे तो ७५ से १०० वर्ष के बीच की आयु को कहा गया है परंतु यह पूर्वकाल के लिए था जब मनुष्य की सैकड़
*इस धरा धाम पर आने के बाद मनुष्य का लक्ष्य होता है परमात्मा को प्राप्त करना | परमात्मा को प्राप्त करने के लिए कई साधन बताए गए हैं , परंतु सबसे सरल साधन है भगवान की भक्ति करना | भगवान की भक्ति करने के भी कई भेद बताये गये हैं | वैसे तो भगवान की भक्ति सभी करते हैं परंतु गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण भक्त
*संसार के सभी देशों में महान बना भारत देश | भारत को महान एवं विश्वगुरु बनाने में यहाँ के विद्वानों का विशेष योगदान रहा | अपने ज्ञान - विज्ञान का प्रसार करके यहाँ के विद्वानों ने श्रेष्ठता प्राप्त की थी | विद्वता प्राप्त कर लेना बहुत आसान नहीं तो कठिन भी नहीं है | कठिन है अपनी विद्वता को बनाये रखना ,
*ईश्वर की बनाई सृष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो न विद्यमान हो | यहाँ सुख है तो दुख भी है , गुण है तो अवगुण भी है , प्रकाश है तो अंधकार भी है | कहने का तात्पर्य यह है कि सब कुछ इस सृष्टि में है और प्रत्येक मनुष्य इसका अनुभव भी अपने जीवन में करता रहता है | यहाँ यह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वह क्
*सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की भक्ति करने का निर्देश दिया गया है , और लोग अपने अपने सामर्थ्यानुसार भक्ति करते भी हैं | किसी भी देवी - देवता की भक्ति करने के पहले यह जान लेना आवश्यक है कि भक्ति किसे कहते हैं ?? अर्थात भक्ति कैसे की जाती है ?? भक्ति का प्रथम चरण होता है उपासना | उपासना क
*सनातन काल से आध्यात्मिकता ही हमारी पहचान रही है | परंतु आज के परिवेश में यह मात्र दिखावा बनकर रह गयी है | हमारे भारतवर्ष के अधिकाँश लोगों का यह ख्याल है कि हम लोग संसार के सब देश वालों की अपेक्षा अधिक आध्यात्मिक हैं | हमारी निगाह में विदेशी नास्तिक हैं | मुसलमानों और यहूदियों आदि को भी हम आध्यात्मि
*सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया |* *शुभदास्तु सदा देवी, स्कन्दमाता यशस्विनी ||* *नवरात्र का पाँचवा दिन भगवती "स्कन्दमाता" को समर्पित है | नवरात्रि की नौ देवियों में ही नारी का सम्पूर्ण जीवन निहित है | गर्भधारण करके जो "कूष्माण्डा" कहलाती है वही पुत्र को जन्म जन्म देकर "स्
किसी भी घटना के कई पक्ष और पहलू होते हैं .हर घटना को अलग अलग चश्मों से गहरी या सतही पड़ताल के ज़रिये अलग अलग निष्कर्षों पर पहुंचा जा सकता है . निष्कर्ष वही होते हैं जो रायों में परिवर्तित हो जाते हैं और रायें पीढ़ी दर पीढ़ी , समाज की हर ईकाई के माध्यम से संस्थागत हो जाती हैं . और इस तरह वे अमूमन संस्कृ