दसों इन्द्रियों में पावन आस जगे ..विजय पर्व की शुभकामनायें
बस आदमी ,आदमी हो जाये
फिर दशहरा , दशहरा हो जाये
सासों का हिसाब न हो बेहिसाब
राम के चरित्र का प्रणय हो जाये
सतीश गुप्ता नरसिंहपुर
२२-१०-२०१५
22 अक्टूबर 2015
दसों इन्द्रियों में पावन आस जगे ..विजय पर्व की शुभकामनायें
बस आदमी ,आदमी हो जाये
फिर दशहरा , दशहरा हो जाये
सासों का हिसाब न हो बेहिसाब
राम के चरित्र का प्रणय हो जाये
सतीश गुप्ता नरसिंहपुर
२२-१०-२०१५
चंद शब्दों में बड़ी बात पूरी कर दी, 'बस आदमी, आदमी हो जाये'... वाह, बहुत सुन्दर ! सतीश जी, आपको भी विजय पर्व की मंगल कामनाएं !
22 अक्टूबर 2015