मै सह्ज ,सरल हूँ
निःशुल्क
शोर नही जीवन ,खामोशी का प्याला है बहम नही जीवन ,मधुशाला सी हाला है सतीश गुप्ता
भाव कुभाव की चाह बनी जब, कुर्सी पे बैठ भयों अँधियारो मोल तौल सबही भूल गयो जब, कुर्सी ने दे दौ मोय ठिकानो धन दौलत की आस करूँ जब, ईमान धरम फिर दूर हिरानो यू अंतस भाव जब बिसर गयो तब, घर भी कहे क्यों बौरानो सतीश गुप्ता
भाव कुभाव की चाह बनी जब
१- चलती चक्की देखकर,चक्की दियो भुलाय .दो पाटन के बीच में ,डी जे दियो चलाय२- करनी कथनी देखकर दिया मुल्क है रोय .स्वारथ ही स्वारथ रहे वचन रहा है खोय३-प्रेम प्रेम कहता फिरे प्रेम न मिलया कोय .स्वारथ स्वारथ साथ हो,प्रेम कहा से होय सतीश गुप्ता
...नवरात्रि की शुभ कामनायेंध्यान पथ की शुरूआत हैआज शैलपुत्री का भाव है यू कलुष भाव फिर दूर होआज दिल में तेरी आस है©सतीश गुप्ता
बदले का भाव दिल का दुश्मन बना,दोस्ती की दास्तान लिखा कीजियेंअगर देर आओ दुरूस्त आओं फिरमेरे यार ये अल्फाज मान लीजियें सतीश गुप्ता
संतोष है जहाँ जहाँ शांति है वहाँ वहाँ तृष्णा है जहाँ जहाँ अशांति है वहाँ वहाँ काम क्रोध लोभ मोह जिसने भी परे किया फिर नाथ है वहाँ वहाँ अमन है वहाँ वहाँ स्वरचित©सतीश गुप्त
न हार से, न तलवार से जगह बनाओ, प्यार से स्वरचित©सतीशगुप्ता