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आजकल

22 अक्टूबर 2015

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खूटी से यार जिश्म टांगते हैं आजकल

मेरे प्रभु से मिलन चाहते हैं आजकल 

©S.C. GUPTA

सतीश गुप्ता की अन्य किताबें

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जिन्दगी

19 सितम्बर 2015
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यो शायराना जिंदगी बेहिसाब होती हैउनकी मुस्कान मेरे चेहरे पर होती है मिलकर रहो,मिलते रहो हुनर जिन्हेंपल-पल जिन्दगी लाजबाब होती है ©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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कृपा-पात्र

19 सितम्बर 2015
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पात्र मेरा ख़ाली-खाली सा , टुकुर-टुकुर देखा करता हूँ पात्र मेरा ख़ाली-खाली सा, कृपा-कृपा सोचा करता हूँ मन विकृतियों का हुआ दीवाना भाव कृपा के रखता हूँ कृपा-पात्र हुआ ख़ाली-ख़ाली सा पल-पल रोया करता हूँ©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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नजर

15 अक्टूबर 2015
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नजर- नजर का शबाब है गर गिरा,अलग अंदाज है न अब शीतल आभास है न वो नजर का शबाब है ©सतीश गुप्ता

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दशहरा

22 अक्टूबर 2015
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दसों इन्द्रियों में पावन आस जगे ..विजय पर्व की शुभकामनायेंबस आदमी ,आदमी हो जाये फिर दशहरा , दशहरा हो जाये सासों का हिसाब न हो बेहिसाबराम के चरित्र का प्रणय हो जाये सतीश गुप्ता नरसिंहपुर२२-१०-२०१५

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आजकल

22 अक्टूबर 2015
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खूटी से यार जिश्म टांगते हैं आजकलमेरे प्रभु से मिलन चाहते हैं आजकल ©S.C. GUPTA

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हिन्दी

10 जनवरी 2016
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*हिंदी गर है बजूद महकता है* *हिंदी गर है बचपन मचलता है* *हिंदी गर नही कुछ भी नही दोस्तों**हिंदी गर है हिन्दोस्तान महकता है*©सतीश गुप्ता नरसिहपुर

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जीवन की सच्चाई

7 अप्रैल 2016
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१- चलती चक्की देखकर,चक्की दियो भुलाय .दो पाटन के बीच में ,डी जे दियो चलाय२- करनी कथनी देखकर दिया मुल्क है रोय .स्वारथ ही स्वारथ रहे वचन रहा है खोय३-प्रेम प्रेम कहता फिरे प्रेम न मिलया कोय .स्वारथ स्वारथ साथ हो,प्रेम कहा से होय सतीश गुप्ता

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कुर्सी

21 अगस्त 2016
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भाव कुभाव की चाह बनी जब

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कुर्सी

21 अगस्त 2016
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भाव कुभाव की चाह बनी जब, कुर्सी पे बैठ भयों अँधियारो मोल तौल सबही भूल गयो जब, कुर्सी ने दे दौ मोय ठिकानो धन दौलत की आस करूँ जब, ईमान धरम फिर दूर हिरानो यू अंतस भाव जब बिसर गयो तब, घर भी कहे क्यों बौरानो सतीश गुप्ता

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जीवन

22 अगस्त 2016
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शोर नही जीवन ,खामोशी का प्याला है बहम नही जीवन ,मधुशाला सी हाला है सतीश गुप्ता

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जीवन

22 अगस्त 2016
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शोर नही जीवन ,खामोशी का प्याला है बहम नही जीवन ,मधुशाला सी हाला है सतीश गुप्ता

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