सभी विद्यार्थी पिकनिक पर जाने के लिए उत्सुक थे। अध्यापिका ने अर्जुन को मॉनिटर बनाते हुए कहा- अर्जुन सभी विद्यार्थियों की गतिविधियों पर तुम निगाह रखना। ध्यान रखना कोई भी विद्यार्थी बस की खिड़की से अपना हाथ या फिर बाहर ना निकालें और पिकनिक में जाने से पहले मैंने विद्यार्थियों को गिन लिया है आते समय तुम भी विद्यार्थियों को अवश्य गिन लेना।
अर्जुन बोला जी मैम आपने जैसे कहा है मैं वैसा ही करूंगा। आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा। सभी बच्चे पिकनिक पर गए, सब ने खूब मजे किए। फिर सब लोग वापस आने के लिए बस में बैठ गए। अध्यापिका ने देखा- अर्जुन अपना सिर बस से निकाल कर बाहर जा रहा है। अध्यापिका को बहुत गुस्सा आया। उस ने अर्जुन को डांटते हुए कहा- अर्जुन तुम दायित्व उठाने के लायक नहीं हो। मैंने तुम्हें जिम्मेदारी देकर मॉनिटर बनाया और तुम नियमों का स्वयं ही उल्लंघन कर रहे हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए।
अर्जुन ने अपना सिर झुका लिया और कहा मैम मुझे माफ कर दीजिए। लेकिन मैं तो आपकी ही आदेश का पालन कर रहा था। मैं यह देख रहा था कि कहीं कोई विद्यार्थी पीछे तो नहीं छूट गया। अध्यापिका उसकी बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुई और समझ गई कि अर्जुन एक अच्छा और जिम्मेदार मॉनिटर है।