एक सिपाही के पास एक गधा और एक घोड़ा था। वह घोड़े को युद्ध के मैदान में उपयोग करता था। जब युद्ध नहीं होता, तब वह गधे की तरह उस पर सामान रखकर ढोने का कार्य करता था।
इस तरह उसे कुछ पैसा भी मिल जाता था। गधा घोड़े से ईर्ष्या करता था। गधा सोचता था कि घोड़े की जिंदगी उसकी तुलना में ज्यादा आसान है। उसे कोई परिश्रम भी नहीं करना पड़ता।
एक दिन युद्ध की सूचना आई। यह खबर सुनकर गधे की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने सोचा बहुत अच्छी खबर है। घोड़ा युद्ध के मैदान में जाएगा और मैं यहां आजाद रहूंगा। इस कारण गधे ने घोड़े को छेड़ना शुरू किया।
लेकिन जल्दी ही यह खबर आ गई कि संधि पर हस्ताक्षर कर दिए गए हैं। इस वजह से युद्ध नहीं होगा। यह जानकर धोबी फिर से गधे को सामान ढोने के लिए ले जाने लगा। इस प्रकार गधे की आशाओं पर पानी फिर गया।