एक दिन एक पंडित नदी किनारे टहल रहा था। तभी उसकी असावधानी से उसकी एक चप्पल नदी में गिर गई। उसने दूसरी चप्पल को भी बेकार समझकर नदी में फेंक दिया। वहां से कुछ आगे एक आदमी नदी में स्नान कर रहा था। उसने चप्पल को देखा तो उसे उठाकर नदी के किनारे फेंक दिया।
दुर्भाग्यवश वह चप्पल एक औरत के सिर पर रखे मटके पर जा गिरी। मटका फूट गया और पानी जमीन पर फैल गया। अचानक एक बाज नीचे उतरा और उस चप्पल को लेकर उड़ गया। जब वह आसमान में उड़ रहा था, वह चप्पल उसकी चोंच से छूटकर एक आदमी के खाने की थाली पर जा गिरी।
गुस्से में उसने चप्पल उठाकर फेंकी और वह एक गाय के सींग में अटक गई। जब उसका मालिक दूध निकालने के लिए आया तो उसने गाय के सींग पर वह चप्पल लटकी हुई देखी। उसने चप्पल को उठाकर नजदीक के ही घर में फेंक दिया। यह घर उसी पंडित का था।
चप्पल पंडित को ही आकर लगी। वह सोचने लगा मेरी चप्पल मेरे पास वापस आ गई। किसी ने सच ही कहा है- दुनिया गोल है।