एक बार की बात है, एक राज्य में एक राजा शासन करते थे। एक दिन उस राजा को पता चला कि उसके राज्य में एक ऐसा व्यक्ति रहता है जिसका सुबह-सुबह मुख दर्शन करने पर रात तक भोजन नहीं मिलता। राजा ने उस व्यक्ति को देखने की इच्छा जताई।
सच्चाई जानने के लिए राजा ने उसे अपने पास ही सुलाया। अगली सुबह राजा ने उठकर उसका ही मुख दर्शन किया। उस दिन किसी कारण राजकाज की कुछ इतनी व्यस्तता रही कि राजा शाम तक भोजन नहीं खा पाए।
इस बात से क्रुद्ध राजा ने उस व्यक्ति को तुरंत फांसी की सजा सुना दी। फांसी पर चढ़ाने से पहले उस व्यक्ति की इच्छा पूछी गई।
जब उस व्यक्ति से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उसने कहा कि मैं राजा से बात करना चाहता हूं। उसे राज दरबार में ले जाया गया। उसने कहा- राजन मेरा मुंह देखने भर से आपको सारा दिन खाना नसीब नहीं हुआ। लेकिन यह सोचिए आपको देखने से मुझे मौत मिलने वाली है।
इतना सुनते ही राजा लज्जित हो गए। उन्हें संत कबीर की वाणी याद आई-
बुरा जो देखन मैं चला
बुरा न मिलया कोई।
जो दिल खोजा आपणा,
मुझसे बुरा ना कोए।।