छोटू बोला छोड़ दो भैया
नही रहूंगा अब ए ठैया
बात बात मालिक की किच किच
बैठा एक कमरे में पिच पिच
रात को रोटी टेढ़ी मेढ़ी
पल पल गलती की तेरी मेरी
दार भात से दहल गया हूँ
लगता है मैं बदल गया हूँ
नींद न आये काटे मच्छर
सबै रातभर खूना खच्चर
खुले नींद न मिले नास्ता
मैगी रोये लड़े पास्ता
कॉकपिट सा है शौचालय
वायुमार्ग से लगे रास्ता
अकाल पड़ा है टूटी में
टंकी में पानी नही बचा है
सड़क में धक्कम पेल मचा है
जेब मे पैसा नही बचा है
चौराहे की बत्ती गुल है
घर मे बलफ से मीटर फुल है
विमबार बर्तन पर जिसके
जीता टॉस जो धोये उठके
कल से साइकल पड़ी है पंचर
सारा शहर को पैदल भटके
मुँह में बोली बसी देहाती
सुन अंग्रेजी सुलगे छाती
कान्वेंट मैरी का कसा शिकंजा
खेल न पाए छक्का पंजा
और परसो जब गॉव गए थे
और परसो जब गॉव गए
हमी अकेले घर बैठे थे
हम क्यों मिले लाटसाहब से
बोली चाची हम कम किससे
मम्मी खुशी से झूल रही थी
कैसे कह दे फांसी शूल लगी थी
कहा सभी कुछ अच्छा है भै या बोले छोटू तू बच्चा है
सब जीवन का खेल अनोखा कभी शहर कभी गॉव है सूखा
चल जब अबकी बार चलेंगेप हले समोसा चार घलेगे
पाढ लिखकर हम बड़े बनेंगे, गांव शहर जब जहां रहेंगे
पढ़ लिखकर हम बड़े बनेंगे गांव शहर जब जहाँ रहेंगे