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गमन गीत

14 मार्च 2022

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भैया छोटू चले शहर रहने नए किराए घर

वहाँ करेंगे खूब पढ़ाई गांव से होगी शहर चढ़ाई

भैया अब ना घर आएंगे वहीं बनाएंगे खाएंगे 

मम्मी का है गजब तमाशा सुबह शाम बस आशा झांसा

चावल दाल वही तरकारी छोड़ेंगे शाला सरकारी

सुबह नाश्ता पोहा मैगी शाला होगी कॉन्वेंट मैरी

वहाँ सड़क भी चौडी होगी जेब मे अपने कौड़ी होगी

चौराहे पर बत्ती होगी गुल्ल कभी न बत्ती होगी

होगा न मेले का रोना मेला सा होगा हर कोना

सुबह में उठना जल्दी सोना टूटी से फिर खूब नहाना 

वीम बार से धुलेंगे बर्तन नही राख का कोई अरचन

अब न हम दातून करेंगे मंजन खूब बबूल करेंगे

सायकल से स्कूल चलेंगे  शाम को थोड़ी सैर करेंगे

गांव के छोड़ो संजू मंजू सैम सोम से दोस्त बनेंगे

कभी कभी जो घर आएँगे सभी देखने घर आएंगे

ठाट बाट से बात करेंगे बोली शहर की बोलेंगे

कहेगी मम्मी कोई कष्ट तो राज कोई न खोलेंगे

आना जाना लगा रहेगा ऐसे ही माहौल बनेगा

भैया भले भाव मे बहना छोटू तो बस शहर रहेगा

भैया बोले वाह रे छोटू छोटू बोले भैया भैया

दोनो भाई पहुच सहर में खूब करेंगे त त थैया।।

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रचनाएँ
छोटू , भैया
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यह कविता गांव से शहर जाकर पढ़ने वाले बच्चों के उत्साह उत्पात और उत्थान को देखते हुए मनोरंजक परिदृश्य में लिखी गई है। कही कुछ यथार्थ बाते भी है फिर भी मैं कोई संदेश देने का दावा नहीं करता हूं। जो भी किसी कस्बे या शहर जाकर पढ़े बढ़े वो पढ़े और संबद्ध होता दिखे तो सूचित करे।

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