इज़हारे इश्क की तलब क्या होती है
देखा है मैंने
उन्हें किसी ओर की बाहों में
देखा है मैंने
हंसते मुस्कुराते चेहरों का राज़ ना पूछो हमसे
अक्सर तन्हाइयों में इन चेहरों को रोता हुआ
देखा है मैंने
जो कहते हर वक्त में साथ देंगे तुम्हारा
उन्हें अक्सर बुरे वक्त में दूर जाते हुए
देखा है मैंने
इक छोटी सी उम्र में बहुत कुछ
देखा है मैंने।।