वैसे तो साल में बारह एकादशी आती है किन्तु देवउठानी एकादशी जब आती है तब ऐसी मान्यता है की इस एकादशी को देव उठ जाते हाई और जो देव इस एकादशी को उठते है उनको हम भगवान विष्णु के नाम से जानते है वह योग निद्रा में चले जाते है एक वर्ष के लिये जिससे की पृथ्वी की सत्ता भगवान शिव के हाथों में आ जाती है और जैसे ही देव उठानी एकादशी आती है उस दिन भगवान नारायण उठ जाते है और उनको शौडशओपचार से भगवान श्री हरि को स्नान भोग आदि से नीरवत्त कर दिया जाता है और आज के दिन ऐसी मान्यता है की जो श्री हरि के नीम्मित हवन,दान,जप तप आदि करता है उसे श्री हरि लोक प्राप्त होता है|
ये तो सब ही जानते है की प्रभु श्री राम भगवान है किन्तु अगर देखा जावे तो किसी भी भगवान के सामने मर्यादा शब्द नही लगा है जैसा की हम सभी जानते है की सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता माने गये है किन्तु किसी भी देवी व देवता के सामने मर्यादा शब्द नही लगा यह मर्यादा शब्द केवल प्रभु श्री राम को ही मिला वो इसलिये की अयोध्या के राजा होते हुये भी प्रभु श्री राम में अहंकार,घृणा,द्वेष,बल भ्रस्टाचार इत्यादि रत्ति भर भी प्रभु श्री राम के व्यक्तित्व में नही था वो अयोध्या के राजा होते हुये भी अपने शासन व लोगों के बीच आम नागरिक की भांति रहते थे आम जीवन व्यतीत करते थे यही कारण होने के बावजूद प्रभु श्री राम ने कैकयी माता द्वारा दिया गया चौदह वर्ष का वनवास हँसते हँसते प्राप्त कर लिया था प्रभु श्री राम की सोच उनका साधारण व्यक्तित्व धैर्य की चरम प्रकाशठा स्नेह उदारता,सुंदर चरित्र,कठिन परिस्तिथियों में अव्वल,धैर्य की सीमा यह सभी प्रभु श्री राम को मर्यादा जैसे शब्द की और अग्रसर करते है प्रभु श्री राम ने न ही केवल मर्यादा में रहकर कार्यकिये बल्कि वह एक खुद मर्यादित राजा थे अयोध्या के जिनकी अगर मर्यादा का गुणगान कितना भी किया जावे उतना ही कम है इसलिये प्रभु श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम कहलाये |