सबसे पहले तो देश में कोई भी परिवर्तन लाया जावे या उस पर अम्ल किया जावे तो सबसे पहले तो उस पर राजनीति नही होनी चाहिये अगर किसी भी योजना या परिवर्तन पर नेता राजनीति करेंगे तो वह योजना या परिवर्तन भले ही लाया जावे वो लंबे समय नही टिकेगा अब बात करे निजीकरण की तो यह देश हित में बहुत ज्यादा जरुरी हैं जैसे की देश में बेरोजगारी के हालात बहुत ही विकट हो चुके है उन सबको मद्देनजर रखते हुये यह काफी उत्तम कदम है वो इसलिये की सरकारी नौकरी में लोग काम न करने के लिये जाना पसंद करते है की साठ वर्ष तक अपनी मर्जी से कार्य करेंगे कोई हटाने वाला तो है नही अब बात करे आज आज सरकारी नौकरी मे कर्मचारी लाखों-लाखों रूपये लेते है किन्तु भ्रस्टाचार व व कार्य करते है नही तन्ख्वाह लेने के बावजूद भी रिश्वत लगातार जारी है इसी को ध्यान में रखते हुये निजीकरण
बहुत ज्यादा जरुरी है ताकि सभी युवाओं को रोजगार मिले और सभी युवा अपना बेहबहतर प्रदर्शन कर सके रोजगार में |
ये तो सब ही जानते है की प्रभु श्री राम भगवान है किन्तु अगर देखा जावे तो किसी भी भगवान के सामने मर्यादा शब्द नही लगा है जैसा की हम सभी जानते है की सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता माने गये है किन्तु किसी भी देवी व देवता के सामने मर्यादा शब्द नही लगा यह मर्यादा शब्द केवल प्रभु श्री राम को ही मिला वो इसलिये की अयोध्या के राजा होते हुये भी प्रभु श्री राम में अहंकार,घृणा,द्वेष,बल भ्रस्टाचार इत्यादि रत्ति भर भी प्रभु श्री राम के व्यक्तित्व में नही था वो अयोध्या के राजा होते हुये भी अपने शासन व लोगों के बीच आम नागरिक की भांति रहते थे आम जीवन व्यतीत करते थे यही कारण होने के बावजूद प्रभु श्री राम ने कैकयी माता द्वारा दिया गया चौदह वर्ष का वनवास हँसते हँसते प्राप्त कर लिया था प्रभु श्री राम की सोच उनका साधारण व्यक्तित्व धैर्य की चरम प्रकाशठा स्नेह उदारता,सुंदर चरित्र,कठिन परिस्तिथियों में अव्वल,धैर्य की सीमा यह सभी प्रभु श्री राम को मर्यादा जैसे शब्द की और अग्रसर करते है प्रभु श्री राम ने न ही केवल मर्यादा में रहकर कार्यकिये बल्कि वह एक खुद मर्यादित राजा थे अयोध्या के जिनकी अगर मर्यादा का गुणगान कितना भी किया जावे उतना ही कम है इसलिये प्रभु श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम कहलाये |