हम हर साल चौदह नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरु की जयंती के उपलक्ष्य में बाल दिवस मनाया जाता है बालक पण्डित जवाहर लाल नेहरु को चाचा नेहरु कहकर भी बुलाते थे व पंडित जवाहर लाल नेहरु जी भी बच्चों से बहुत अधिक प्रेम करना पसंद करते थे आज बाल दिवस पर कुछ अपने विचार रखता हूँ की अपने बच्चों को संस्कारवान बनाईये जिससे की ज्यादा मजबूत आपके बालक के संस्कार होंगे उतने ही आपके बालक,देश,दुनिया व समाज में आपके व आपके परिवार का नाम रोशन करेंगे शिक्षा अगर बिना संस्कार के दी जाती हो तो उस शिक्षा का कोई मह्त्व नही रह जाता है इसलिये संस्कार पहले है शिक्षा बाद में इसलिये अपने बच्चों को विरासत में संस्कार दे ना की धन दौलत संस्कार होंगे तो धन अपने आप ही आ जायेगा किन्तु संस्कार अगर नही होंगे तो हर जगह धिक्कार ही मिलेगी |
ये तो सब ही जानते है की प्रभु श्री राम भगवान है किन्तु अगर देखा जावे तो किसी भी भगवान के सामने मर्यादा शब्द नही लगा है जैसा की हम सभी जानते है की सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता माने गये है किन्तु किसी भी देवी व देवता के सामने मर्यादा शब्द नही लगा यह मर्यादा शब्द केवल प्रभु श्री राम को ही मिला वो इसलिये की अयोध्या के राजा होते हुये भी प्रभु श्री राम में अहंकार,घृणा,द्वेष,बल भ्रस्टाचार इत्यादि रत्ति भर भी प्रभु श्री राम के व्यक्तित्व में नही था वो अयोध्या के राजा होते हुये भी अपने शासन व लोगों के बीच आम नागरिक की भांति रहते थे आम जीवन व्यतीत करते थे यही कारण होने के बावजूद प्रभु श्री राम ने कैकयी माता द्वारा दिया गया चौदह वर्ष का वनवास हँसते हँसते प्राप्त कर लिया था प्रभु श्री राम की सोच उनका साधारण व्यक्तित्व धैर्य की चरम प्रकाशठा स्नेह उदारता,सुंदर चरित्र,कठिन परिस्तिथियों में अव्वल,धैर्य की सीमा यह सभी प्रभु श्री राम को मर्यादा जैसे शब्द की और अग्रसर करते है प्रभु श्री राम ने न ही केवल मर्यादा में रहकर कार्यकिये बल्कि वह एक खुद मर्यादित राजा थे अयोध्या के जिनकी अगर मर्यादा का गुणगान कितना भी किया जावे उतना ही कम है इसलिये प्रभु श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम कहलाये |