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वह साल सन चौहत्तर था। दिसंबर महीने की सुनहरी धूप पीली चिड़िया की जैसी फुर्र से देखते ही देखते आसमान के उस पार निकल जाती। दिन बड़े लुभावने लगते। तब की बात है मैं पटना में रहकर पढ़ाई करने लगा