अजीत मुस्कुराते हुए रूम से बाहर आता है , स्नेहा जी उसे देख कर समझ गई ज़रूर तृषा से बात हुई होगी मन ही मन सोच कर मुस्कुराने लगती हैं और अपने मन से कहती हैं ।
" एक वही तो है जो मेरे बेटे के चेहरे पर मुस्कान ले आती है ।"
अगले दिन कॉलेज में
एक पेड़ के नीचे उसके तने पर हाथ रखे हुए अजीत खड़ा आकाश की ओर देखते हुए गहरे विचारों में डूबा था ।
तभी अचानक -
अजीत , अजीत , अजीत ,,,
हां ! अरे तृषा तुम ,,, अजीत अचंभित हो कर कहता है ।
हां , मैं कब से तुम्हे ढूढ़ रही थी । और तुम क्या हमेशा इस पेड़ के नीचे आ जाते हो ? आखिर क्या सोचते रहते हो अकेले में तुम अजीत ।
थोड़ा रुककर गहरी सांस छोड़ते हुए अजीत तृषा से कहता है ।
हम्मम,,, मैं जब भी अकेला होता हूं तृषा तो अतीत में कहीं खो जाता हूं वहां जाकर अपनी गलतियों पर विचार करता हूं , हमे अपनी गलतियों से हमेशा सीखना चाहिए तृषा । हमेशा सीखना चाहिए कि वो गलतियां हम फिर न दोहरा सके ।
सच कह रहे हो तुम अजीत मैं इस बात से सहमत हूं ,,। इतना कहकर तृषा किसी गहरी सोच में डूब जाती है ।
ए अब तुम कहां खो गई तृषा ,,।
कुछ नहीं बस तुम्हारी बातों पर विचार कर रही थी ,,। सर ने प्रोजेक्ट दिया है उसे पूरा भी करना है ।
अच्छा ,टॉपिक क्या है तुम्हारा ,,। अजीत तृषा से पूछता है ।
" मानव व्यवहार " मनोविज्ञान सब्जेक्ट से मिला है ,,। और तुम्हारा क्या है,, ?
मुझे भी मनोविज्ञान से ही मिला है टॉपिक " चिंतन" ।
अच्छा जी तभी आज कल ज़्यादा विचारों में खोए रहते हैं आप ? तृषा ने मुस्कुराकर कहा ।
हम्मम,,,, अच्छा कैंटीन चलें , चाय पीते हैं , कुछ खाते हैं ।
वही पर प्रोजेक्ट के बारे में भी बात हो जाएगी,, ।
हां चलो ,,।
तृषा और अजीत कॉलेज कैंटीन में चले जाते हैं , वहां दोनों चाय पीते हैं और कुछ स्नैक्स लेते हैं ।
अचानक तृषा को खून की उल्टी होती है और वो बेहोश होने लगती है ये देखकर अजीत घबरा जाता है ।
तृषा , तृषा, क्या हुआ तृषा,,, ?
तृषा बेहोश हो चुकी थी अजीत उसे गोद में उठा कर कैंटीन से बाहर आता सारे फ्रेंड्स भी इकट्ठा हो जाते हैं और तृषा को हॉस्पिटल ले जाया जाता है ।
अखिल और आर्यन ( अजीत के चचेरे भाई ) भी हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं। अजीत आर्यन के सीने से लग जाता है और कहता है ।
भैया पता नहीं तृषा को...... ,,,।
उसकी आवाज़ रूंध जाती है वो कुछ नहीं कह पाता ।
तू रो क्यों रहा है अजीत तृषा ठीक हो जाएगी तू बिल्कुल चिंता मत कर बेटा,,, ।
आर्यन अजीत को समझाता है और उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे सांत्वना देता है ।
तृषा को देखकर डॉक्टर बाहर आते है । तृषा की मां दिशा जी भी हॉस्पिटल पहुंच चुकी थी ।
अजीत डॉक्टर के पास आकर रोते हुए पूछता है ।
अंकल तृषा ठीक तो हो जाएगी ना,,, ।
डॉक्टर साहब अजीत के रिश्तेदार थे इसलिए वो उनके हॉस्पिटल में ही तृषा को इलाज के लिए ले आया ।
देखो बेटा मैं तुम्हारा अपना हूं इसीलिए बता रहा हूं ,
उसकी हालत बहुत सीरियस है ,, अब उसे ऊपर वाला ही बचा सकता है ।
लेकिन अंकल उसे हुआ क्या है ?,,,अजीत रोते हुए पूछता है ।
देखो बेटा अजीत उसे एक ज़हर दिया गया है ।
क्या अंकल ये क्या कह रहे हैं आप,,।
मैं सच कह रहा हूं । तृषा को बहुत ही खतनाक ज़हर दिया गया है । उस ज़हर का नाम है " थिलियम"
अजीत की आंखे एक दम आश्चर्य से डॉक्टर को देखने लगती है
आगे जारी रहेगी ।
राधे - राधे 🙏
श्रद्धा " मीरा "