अजीत की मां की मौत उसके जन्म लेते ही हो गई थी और उसके पिता 2 साल पहले एक रोड एक्सिडेंट में दुनियां से चल बसे । बचपन से अजीत को उसकी चाची स्नेहा जी ने पाला पोसा था इसलिए अजीत स्नेहा जी को ही अपनी मां मानता था । स्नेहा जी अजीत को अपना सगा बेटा और उनके दोनों बेटे आर्यन और अखिल उसे अपना सगा भाई ही मानते थे ।
अजीत और तृषा दोनों ही दो टूटे हुए इंसान थे जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में अपने लोगो को खोया था ।
रात का समय था अजीत जैसे ही सोने के लिए अपने बिस्तर पर बैठा बराबर में अपने पिता की तस्वीर देख कर उसने वो तस्वीर उठा ली और सीने से लगा कर रोने लगा ,
उसके मुंह से निकलने वाला हर शब्द चीत्कार से भरा था ।
डैड,,, मैं आपको नहीं बचा पाया डैड ,,मुझे माफ़ कर दीजिए प्लीज़ डैड आपको मेरी ज़रूरत थी उस वक्त मैं आपके पास नहीं था काश मैं कॉलेज टूर पर ना गया होता ,, आई एम् रियली सॉरी डैड ,,,,, कहते कहते और रोते रोते अपने पिता की तस्वीर हाथ में लिए ही अजीत सो गया ।
सुबह हो चुकी थी सुरेन्द्र जी (अजीत के चाचा जिन्हे अजीत पापा कह के बुलाता था ) उसके कमरे में आए ।
अजीत बेटा बहुत देर हो गई आज सुबह का 10 बज रहा है इतनी देर तक तो कभी नहीं सोता और ये हाथ में क्या है ,,
भैया की तस्वीर,,, सुरेन्द्र जी दुखी होकर बोले
तू रात भर रोता रहा ना इसलिए सुबह नहीं उठ पाया ,,,
अजीत नीचे सिर झुकाए अपने आंसू छुपाने की कोशिश कर रहा था पर सुरेन्द्र जी ने उसे गले से लगा लिया ।
अजीत भी उनसे लिपट कर रो पड़ा ।
पापा ,,, सॉरी पापा मैं आपको दुखी नहीं करना चाहता था,, पर मुझे डैड की याद आती है तो मैं खुद को संभाल नहीं पाता ,,
अजीत बेटा रो मत सुन इस दुनिया मे वहीं होता है जो उस ऊपर वाले की मर्ज़ी होती है ,,,चल अब रोना बन्द कर और नीचे आजा तेरी मम्मा कब से इंतज़ार कर रही है तेरे जगने का,,,
जी पापा मैं आता हूं नहा धो कर ,,,
सुरेन्द्र जी अजीत के कमरे से बाहर आकर नीचे आकर ड्रॉइंग रूम में बैठ गए तभी स्नेहा जी उनके पास आकर बोली ।
क्या हुआ अजीत ठीक तो है उठ गया वो कहीं उसकी तबीयत ,,,, स्नेहा जी घबराहट में पूछने लगी ।
अरे अरे स्नेहा जी सब ठीक है , भैया को याद कर रहा है अजीत इसीलिए रात भर नहीं सोया ये सच है उसे हमने पाला पोसा है पर वो था तो भैया का ही अंश तो याद में परेशान भी होना स्वाभाविक है ,,,
सुरेन्द्र जी आपका कहना ठीक है पर ये सिर्फ मैं समझ सकती हूं कि वो रात भर रोया क्यों ,,, ?
अच्छा वो कैसे केवल आप ही समझ सकती हैं स्नेहा जी,,,।
आखिर मैं मां जो हूं ,,,।
अच्छा तो उसके रोने का कारण भी आप ही बता दीजिए,,,,।
जी वो इसलिए रो रहा था क्योंकि भाई साहब के ऐक्सिडेंट के बाद उन्हें खून की ज़रूरत थी और उनका ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था जो कि बहुत ही कम लोगो का होता है अजीत का भी वही ब्लड ग्रुप है अगर वो उस समय भाईसाहब के साथ होता तो शायद वो आज.... इतना कहते कहते स्नेहा जी दुःखी होकर रोने लगी बस यही शर्मिंदगी उसे जीने नहीं देती ।
हां आप सही कह रही है स्नेहा जी ।,,,
अजीत नहा के बाथरूम से बाहर आया उसने देखा तृषा ने उसे कई बार कॉल किया था पर वो रिसीव नहीं कर पाया था । उसने तुरंत तृषा को कॉल किया किया -
क्या हुआ तृषा कॉल की थी तुमने,,,।
हां अजीत कैसे हो तुम पता नहीं क्यों तुम्हारी चिंता हो रही थी ,,,।
मैं ठीक हूं तृषा डोंट वरी " जान " । अजीत थोड़ा मज़ाक के मूड में था ।
हां क्या ? तृषा ने अचंभित होकर घबराते हुए पूछा ।
" जान " और क्या ? अजीत तृषा की टांग खीचने लगा ।
" जान " क्यों ? मैं तुम्हारी ' गर्लफ्रेंड ' हूं क्या ? चिढ़ते हुए तृषा बोली पर अजीत के मुंह से ये सुनकर उसे खुशी मिल रही थी ।
हाहाहाहा ,,, गर्लफ्रेंड " जान " थोड़े ही होती है हट ,, अपनी " जान " तो अपने सारे फ्रेंड्स हैं समझी पागल ,,,।
हहाहाहा ,,,, हां समझ गई ।
फिर स्नेहा जी की आवाज़ आती है । तृषा फोन पर रहती है।
अजीत कितनी देर है बेटा नाश्ता ठंडा हो गया कॉलेज नहीं जाना तुझे ,,,।
कॉलेज की छुट्टी है आज मम्मा अभी आया बस,,,।
तृषा फोन रखता हूं , मम्मा बुला रही हैं ,,,।
ओके बाय ,,।
बाय " जान" अजीत फिर से तृषा को चिढ़ाता है ।
हाहाहा..... हट,,। तृषा हंसते हुए फोन रख देती है ।
अजीत मुस्कुराते हुए रूम से बाहर आता है , स्नेहा जी उसे देख कर समझ गई ज़रूर तृषा से बात हुई होगी मन ही मन सोच कर मुस्कुराने लगती हैं और अपने मन से कहती हैं ।
" एक वही तो है जो मेरे बेटे के चेहरे पर मुस्कान ले आती है ।"
राधे - राधे 🙏
- श्रद्धा ' मीरा ' ✍️