सुनसान जंगल में ,
व्योम ( जनार्दन का बेटा ) भागता चला जा रहा था उसके बाएं कंधे से खून बह रहा था पुलिस की गोली उसे छूकर निकल गई थी मुठभेड़ में , उसकी सांसें उखड़ रही थी जैसे तैसे हिम्मत से उसने जंगल पार किया । और सामने उसे एक गांव दिखा।
वो उस गांव की ओर जाने लगा तभी गांव वालो ने उसे देखा और पूछा ।
कौन हो तुम कहां से आए हो तुम्हारे हाथ में खून कैसे बह रहा है ।,,,,
राहगीर हूं कुछ बदमाशो ने मुझ पर हमला किया मैं बचने के लिए वहां से भाग निकला भागते भागते रास्ता भटक गया और जंगल के रास्ते यहां आ पहुंचा मेरी मदद करो प्लीज़ 🙏 ,,,,,,,
इतना कहते ही वो बेहोश हो गया ।
शाम का समय तृषा का घर ,
दी ,,, दी ,,, कहां हो तुम ? ,,,,तरुण थाने से वापस आया और बहुत जल्दी में था ।
हां क्या हुआ किचन में हूं खाने की तैयारी कर रही हूं क्या बनाऊं बता चाय बनाऊं क्या तू थक गया होगा ,,, तृषा ने किचन से ही कहा ।
तरुण सीधा किचन में आ गया और तृषा से बोला ,
खाना वाना सब छोड़ो तैयार हो जाओ और पैकिंग शुरू करो ,,,,
पैकिंग,,, 😳तृषा ने चौंकते हुए पूछा, हम कहीं जा रहे हैं क्या?
हां दी मुझे आज रात को एक केस के सिलसिले में बाहर जाना है इसलिए आपको कुछ दिनों के लिए धनन्जय ( मृत्युंजय के पिता )अंकल के घर रहना होगा ,,,।
क्यों वहां क्यों अपने घर में क्यों नहीं ,, मैं नहीं जाऊंगी ,,, तृषा ने साफ इंकार कर दिया ,,,।
दी मैने तुमसे कुछ पूछा नहीं सिर्फ कहा है चलो समान पैक करो ,,, एक बार मैने कह दिया ना बस अब चलो ,,,। तरुण इतना कहकर अपने कमरे की तरफ मुड़ गया ।
तृषा कुछ नही कह पाई और बस तरुण के कहने पर तैयार हो कर सारी पैकिंग कर ली । अब बारी थी राठौर मेंशन पहुंचने की ।
राठौर मेंशन -
धनंजय राज राठौर (रिटायर्ड पुलिस अफ़सर) सोफे पर टिक कर बैठे हुए थे एक हाथ सोफे से टिका कर उन्होंने अपने सर पर हल्का सा टिका रखा था और एक पैर दूसरे पैर पर रखा हुआ था । सामने ही दूसरे सोफे पर मृत्यंजय बैठा था ।
मधुरा ,,,,, धरा ,,,,, धनंजय जी ने आवाज दी
दोनो बहने अपने अपने रूम से बाहर आई ।
जी पापा ,,,, आकर एक साथ बोली ।
बेटा तृषा आ रही है आज से वो यहीं रहेगी ,,,, धनंजय जी ने कहा ।
वाओ तृषा आ रही ,,,, मधुरा ने खुशी से कहा
अब वो हमारे साथ हमारे घर में रहेगी आई एम सो हैप्पी पापा ,,,,, धरा भी एक्साइटेड हो कर बोली,, ।
हां बेटा जाओ उसके लिए एक रूम तैयार कर दो,,,। धनंजय जी ने कहा ।
मधुरा और धरा दोनो चली गई फिर धनंजय जी ने मृत्यंजय की तरफ देख कर कहा -
अच्छा किया जय ( मृत्युंजय का नाम जिसे शॉर्ट में जय कहा जाता था ) जो तुमने तरुण से तृषा को यहां छोड़ने के लिए कह दिया उसका मन भी लगा रहेगा । याद है मुझे विराट( तृषा के पिता ) ने मरने से पहले मुझसे कहा था कि मैं उसके परिवार का ध्यान रखूं , मैने कोशिश भी की पर भाभी जी और पिता जी,,,,,, इतना कहते धनंजय जी रुक गए उनकी आंखे नम हो गई ।
धनंजय जी और विराट सिंह चौहान बचपन के दोस्त थे साथ में एग्जाम क्लियर किया और पुलिस फोर्स में भर्ती हो गये , दोनो ने S.S.P. (senior superintendent of police ) विराट सिंह चौहान, D.S.P. (deputy superintendent of police) धनंजय राज राठौर की पोस्ट पर ज्वॉइन किया ।
तभी गाड़ी का हॉर्न बजा मधुरा ने तुरंत जाकर गेट खोला तो सामने तृषा और उसका भाई खड़े थे ।
तृषा अंदर आई सभी बहुत खुश हुए मृत्युंजय की मां( अर्चना जी ) ने किचन से बाहर आकर तुरंत तृषा को गले से लगा लिया फिर सभी ने साथ में डिनर किया और सब अपने अपने रूम की तरफ जाने लगे तभी अर्चना जी ( मृत्युंजय की मां ) ने धरा से कहा तृषा का रूम रेडी हो चुका है तुम उसके साथ उसके रूम में समान पहुंचा कर उसे रूम दिखा दो ।
तृषा धारा के साथ चली गई ।
तरुण धनंजय जी के पैर छूते हुए कहता है ,अंकल अब मैं भी चलता हूं अभी कुछ देर में निकलना है ओके जय चलता हूं ,,
ओके चल बाय मैं तुझे स्टेशन तक छोड़ देता हूं ।,,,जय मुस्कुराते हुए ।
ओके ,, चल ,,तरुण ने भी मुस्कुराते हुए कहा
बहुत रात हो चुकी थी मृत्युंजय भी तरुण को स्टेशन छोड़ कर वापस आ चुका था और अपने रूम में चला गया पर उसे नींद नहीं आ रही थी ।
इधर तृषा भी रूम में करवटें बदल रही थी पर उसे नींद नहीं आ रही थी फिर वो उठ कर बालकनी में चली गई वहां मृत्यंजय पहले से खड़ा था , क्योंकि तृषा और जय दोनो के रूम आमने सामने थे ।
अचानक तृषा उसके पास गई और गुस्से से बोली ,
क्यों आए हैं आप यहां आखिर किस लिए ,😡😡 आप तो चले गए थे न फिर अब क्यों आए हैं
मृत्युंजय ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और पूरी तरह इग्नोर कर दिया ।
इससे तृषा का गुस्सा और बढ़ गया , उसने मृत्युंजय की शर्ट का कॉलर पकड़ कर फिर कहा ,
आपने मेरी बात को सुना नहीं या अनसुना कर दिया ।😡उसकी आंखें गुस्से के साथ नम थी 😭।
मृत्युंजय ने अपने कॉलर से तृषा के दोनो हाथ छुड़ा कर उसे अपने करीब खींच कर कहा ,,
मैं तुम्हे बताना जरूरी नहीं समझता, बेकोज़ यू आर नथिंग फॉर मी ,, और तुमने जो किया है ना उसके बाद तो बिल्कुल नहीं 😡 कहते हुए मृत्युंजय की आंख में थोड़ी नमी ( आंसू होना ) थी 😭 । उसने तृषा को झटक दिया और वहां से जाने लगा ।
तभी तृषा ने पीछे आकर उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए , रियली आई एम नथिंग फॉर यू ,, और क्या किया है मैंने ,,, हां ,, और तुम भूल गए तुमने उस दिन क्या किया था ,,
मृत्युंजय ने अपना हाथ छुड़ा कर वापस उसका हाथ पकड़ लिया और अपने दूसरे हाथ से उसकी कमर से पकड़ कर उसे अपनी तरफ खीच लिया तृषा के एक हाथ को मृत्यंजय ने पकड़ रखा था और उसका दूसरा हाथ मृत्युंजय के सीने पर था । मृत्युंजय ने दूसरे हाथ से तृषा को कमर से कस कर पकड़ रखा था ।
हां हुई मुझसे गलती मैं उसके लिए शर्मिंदा भी था , उसके बाद तुमसे माफी मांगने की कोशिश की तुम्हारे पीछे क्लास रूम में आया तुमसे माफी मांगने तुमने मेरी बात न सुनने की जैसे कसम ही ले ली थी जब तुम वहां से पलट कर जाने लगी तब तुम्हारा दुपट्टा बेंच में फंस गया जिसे मैं निकल रहा था और तुमने मुझे पूरी क्लास के सामने थप्पड़ मार दिया , मिस तृषा सिंह चौहान मेरे लिए मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट सब कुछ है । पर तुम बताओ क्या वो जो हुआ उसमें तुम्हारी मर्जी नही थी बोलो ,,,😡कहते हुए मृत्युंजय की आंखों में गुस्सा 😡 और आसूं 😭दोनो थे। मृत्युंजय ने तृषा को और कस के पकड़ लिया अब तृषा को घुटन होने लगी थी उसने मृत्युंजय की पकड़ से खुद को आजाद करना चाहा पर ऐसा नही कर पाई ।
छोड़िए आप मुझे ,,,, प्लीज कहते हुए तृषा की आंखों में आसूं थे उसका गुस्सा आंसुओं में बह रहा था आसूं की बूंद टपक कर उसके गालों पर आ चुकी थी आंखे लाल हो चुकी थी ।
मृत्युंजय ने महसूस किया तृषा के हाथ की कलाई जोर से पकड़ने की वजह से उसके हाथ चूड़ी टूट गई है और उसे दर्द हो रहा हैं तो मृत्युंजय ने एक झटके से उसे खुद से अलग किया और पलट कर अपने रूम में चला गया ।
तृषा भी अपना हाथ संभाले जिससे खून बह रहा था रोते हुए अपने रूम में चली गई ।
राधे - राधे दोस्तों 🙏 आगे की कहानी नेक्स्ट पार्ट में नेक्स्ट पार्ट में कहानी फ़्लैश बैक में होगी आपके सभी सवालों के जवाबो के जवाब कहानी में ही मिलेंगे । मिलती हूं फ़्लैश बैक की कहानी के साथ , अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ कीजिएगा 🙏 और कॉमेंट बॉक्स में मुझे जरूर बताएं की आपको कहानी कैसी लगी धन्यवाद 🙏🤗🙏
श्रद्धा मीरा ✍️