इस तरह अजीत दूसरे का शहर चला जाता है और तृषा वही अकेली रह जाती है। इधर मृत्युंजय का भी कुछ पता नही था ।
समय बीतने लगा तृषा अकेली हो गई उसका दोस्त अजीत भी तो नहीं था अब उसके साथ जो उसे हर एक खतरे से बचाता था ।
एक दिन अपना लेक्चर खत्म करके तृषा कॉलेज से बाहर निकली कि अचानक एक नीले रंग की कार में तृषा को कुछ लोगो ने खीच के बंद कर लिया और उसे ले गए । इससे पहले कि वो उनका चेहरा देख पाती उन लोगो ने उसे क्लोरोफॉर्म सुंघा कर बेहोश कर दिया ।
जब उसे होश आया तो उसे कुछ समझ नहीं आया की वो कहां है सामने सब कुछ धुंधला दिखाई दे रहा था उसने देखा कि एक औरत ने उसे पकड़ कर बैठा रखा है सामने अग्निकुंड में आग जल रही थी एक लड़का उसके बराबर में बैठा था पर धुंधला दिखने की वजह से उसका चेहरा ठीक से पहचान नहीं पा रही थी , अगले पल उसकी नजर खुद पर पड़ी और उसने खुद को शादी के लाल जोड़े में पाया वो बहुत घबरा गई घबरा कर रोते हुए उसने अपने परिवार को आवाज लगाई , मां ,,,,,,,, मां,,,,,,, दादाजी,,,, दादाजी ,,,,,,,, तरुण,, ( तृषा का छोटा भाई )
तभी उसके कानो में एक जोरदार आवाज पड़ी
ए ,,, चुप,,,,,😡
उसने सामने देखा और डर कर उसने चीख कर कहा जनार्दन ,,,,, डर और घबराहट से तृषा के माथे पर पसीना छा गया उसका गला सूख गया और आंखे नम हो चली । लंबी चौड़ी कद काठी काला रंग आंखे इतनी भयानक की कोई भी देख कर डर जाए मानो आग बरसाती हुई बड़ी दाढ़ी मूछ माथे पर चंदन का टीका सर पर बालो के बीच में छूटी चोटी गले में रुद्राक्ष की माला व्हाइट कलर की धोती और क्रीम कलर कुर्ता पहने हुए उसके ऊपर से ब्लैक कलर की जैकट पहने हुए था । उसने अपने दाएं हाथ की कलाई में रुद्राक्ष की माला को लपेटा हुआ था और अपने हाथ की पांचों उंगलियां में रत्नों से जड़ित अंगूठियां पहनी हुई थी । उम्र कुछ 50 साल होगी जनार्दन की
तृषा जनार्दन को देख कर डर से एक दम सहम गई थी , उसने डरते हुए पूछा मे,,, मेरी मां ,,, मां कहा है , दा,,,,दादा जी ,,उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे वो डर रही थी कुछ कह नहीं पा रही थी उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे । तभी अट्टहास कर वो इंसान हंसा और उसने दूसरी तरफ इशारा किया ।👉
उसकी नजर सामने पड़ी जहां उसकी मां उसका भाई और उसके दादाजी को रस्सियों से बांधा हुआ था । अपने परिवार को इस हालत में देख कर तृषा का डर जैसे हवा हो गया उसने गुस्से में जनार्दन से पूछा ।
आखिर,,, चाहते क्या हो तुम ,,,, 😡😡😡 मेरे पापा को तो मार दिया तुमने तुम्हारी दुश्मनी तो उन्ही से थी ना तो अब क्या चाहते हो तुम 😡😡
ए,,, चुप,,,, 😡जनार्दन ने अपना सर दूसरी तरफ झटकते हुए जिस औरत ने तृषा को पकड़ कर बैठा रखा था उससे कहा - मुहूर्त का टाइम निकला जा रहा है फेरों के लिए खड़ा कर इसे,,, आज मेरे बेटे की शादी है । इतना कहकर वो फिर वही राक्षसी हंसी हसने लगा ।
इतना सुनते ही तृषा एक झटके से उठी उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था , उसके बराबर से बैठा वो लड़का भी खड़ा हो गया।
तृषा ने फिर अपने बराबर से देखा अब उसे सब साफ दिखने लगा था और अपने बराबर में देखते ही स्तब्ध रह गई ,, व्योम तुम ,,, 😳 इतना कहकर तृषा जम सी गई ।
हां,,,, मैं,,,, मेरे पापा को जेल तक पहुंचा कर मेरा बचपन बरबाद किया था ना तुम्हारे बाप ने अब तुम्हारी पूरी जिंदगी खराब हो जायेगी ।
तृषा ने गुस्से में चिढ़ कर कहा , तुम इसके बेटे हो इस जनार्दन के 😡😡😡
हां ,,, हां ,,, मेरा ही बेटा है व्योम हाहहहाह
तृषा ने गुस्से से घूर कर पहले जनार्दन और फिर व्योम की तरफ देखा और बोली ,
बेशक ,, बेशक तुम इसी का बेटे हो तभी कॉलेज में ही तुम्हारी हरकतें देख कर समझ जाना चाहिए था मुझे 😭😡 कि ऐसी हरकतें एक गुंडे के बेटे की ही हो सकती हैं ।
इतना सुनते ही व्योम गुस्से से भर गया उसने तृषा को जोर से एक तमाचा मारा तृषा खुद को संभाल ना सकी और जमीन पर गिर गई । उसे इस तरह गिरते देख तृषा के दादा जी और मां एक साथ चीखे तृषा उनकी आंखों से आंसू बह निकले ।
तरुण भी चीखा , तूने मेरी दी को हाथ भी कैसे लगाया एक बार मेरे हाथ खोल दे तेरे टुकड़े कर दूंगा मैं साले😡😡😡 तभी व्योम ने आगे बढ़ कर तरुण के मुंह पर मुक्का मारा उसके मुंह से खून निकलने लगा ।
ये नजारा देख जनार्दन खुशी से फूला नहीं समा रहा था ।
व्योम ने तृषा को उसकी बांह पकड़ कर पूरा जोर लगा कर जबरदस्ती खड़ा किया और उसका हाथ पकड़कर व्योम ने वहां मौजूद पंडित से कहा
ए ,,पंडित,,, मंत्र पढ़ इतना कहकर अग्निकुंड के चारो ओर घूमने की कोशिश करने लगा तभी तृषा ने उसका हाथ झटक दिया और गुस्से से बोली ।
मैं तुझसे शादी नही करूंगी 😡 मेरे पापा के खूनी के बेटे से मैं कभी शादी नही करूंगी कभी भी नहीं ।😡😡
तृषा के चेहरे पर गुस्से के साथ आंसू भी थे ।
राधे - राधे दोस्तो 🙏
तृषा और अजीत की दोस्ती की कहानी आगे जारी रहेगी आप सबके मन में सवाल आ रहे होंगे कि आखिर मृत्युंजय कहां चला गया , जनार्दन कौन है और अतीत में क्या हुआ था ऐसा , क्या दुश्मनी थी जनार्दन और तृषा के पिता की सभी राज खुलेंगे आगे आने वाले पार्ट्स में ,
दोस्तों समय नहीं मिल पता तो जब समय मिलता है तभी लिख देती हूं आप सबसे माफी चाहती हूं इसके लिए ।🙏🙏 आपको कहानी कैसी लगी 😊प्लीज मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं इससे मुझे कहानी जल्दी लिखने का प्रोत्साहन मिलेगा धन्यवाद 🙏
श्रद्धा मीरा ✍️