मुठभेड़ जारी थी अचानक व्योम ने तृषा पर गोली चलाई उसकी मां ने व्योम को देख लिया और वो बीच में आ गईं जिसने तुरंत वो मारी गई तृषा के दादा जी से ये बर्दाश्त न हुआ पहले बेटा फिर बहु भी मारी गई उसी समय तुरंत दिल का दौरा आने से वो भी चल बसे । लगातार 2 घंटे की मुठभेड़ के बाद जनार्दन के सभी आदमियों को पकड़ लिया गया था कुछ मुठभेड़ में मारे गए । पर व्योम बच कर भाग गया।
तरुण नए एसीपी को देख कर शॉक में था इतने में ही उस एसीपी ने अपनी जेब से फोन निकाला और ,,
हैलो,,,,
एसीपी मृत्युंजय राज राठौर स्पीकिंग सर , सिचुएशन इस अंडर कन्ट्रोल ,,,,😊
वैल डन एसीपी राठौर ,😊
थैंक यू सर 😊,,,
तरुण अब भी मृत्युंजय को एकटक देख रहा था फिर तुरंत उसने खुद को नॉर्मल किया और पास जाकर ,उसके सामने सैल्यूट करते हुए ,
सब -इंस्पैक्टर तरुण सिंह चौहान जय हिन्द सर,,,,
मृत्युंजय मुस्कुराते हुए अपनी पलके झपका कर जय हिंद,,, बस इतना कहा तभी तरुण ने मुस्कुराकर कहा ।
एसीपी 😊 हम्मम बहुत खुशी हुई तुझे देख कर,,, जय,,, कहां था तू इतने दिन ?,,,
तरुण बात कर ही रहा था इस बात से अनजान कि मुठभेड़ में गोली उसकी मां को भी लगी थी और वो अब इस दुनियां में नही थी और न ही उसके दादा जी । क्योंकि उसका और मृत्यंजय का सारा ध्यान तो जनार्दन और उसके आदमियों को पकड़ने में था ।
बातचीत के वक्त उनके कानों में किसी के तेज से रोने की आवाज पड़ी ,आवाज तृषा की थी जो चीख चीख कर फफक फफक कर रो रही थी ।
मां ,,,,, मां उठो ना मां,,,,दादा जी,,,,,दादा जी😭😭😭😭😭
तरुण ने उस तरफ सर झटक कर जब ये नज़ारा देखा उसके पैरो से जमीन खिसक गई । उसकी मां जमीन पर पड़ी थी जिनमे कोई हरकत नहीं थी ,उनके सीने से खून बह रहा था तृषा अपनी गोद में उनका सर लिए रो रही थी।
तरुण ने दूसरी तरफ साइड में देखा तो उसके दादा जी बेसुध पड़े थे वो दौड़ कर उनके पास पहुंचा तो उसे धक्का लगा उसके दादा जी अब कभी नही उठने वाले थे । तृषा , तरुण और मृत्यंजय तीनो की आंखे नम हो चुकी थी एक पल में तरुण और तृषा का सब खत्म हो चुका था , तृषा बहुत कमज़ोर दिल की थी वो जब भी कुछ घटना देखती तो बेहाल हो जाती, और ये बात तरुण को अच्छे से पता थी उसके माता पिता और दादा जी तो पहले ही जा चुके थे अब तरुण अपनी बहन को नहीं खोना चाहता था उसने तुरंत तृषा को गले से लिया और अपने आंसुओं को पूरी तरह पी गया ताकि वो उसे संभाल सके । और उसे अपनी ड्यूटी भी पूरी करनी थी खुद को नॉर्मल करके उसने एसीपी से कहा , शहर से दूर ये जनार्दन की वही फैक्ट्री है जिसे पापा ने सालों पहले सील किया था ड्रग स्मगलिंग के केस में । जनार्दन मुझे और मेरे परिवार को यहां इसीलिए लाया ताकि हमे जिंदा जला दे और अपना बदला ले सके।
इतना सुनकर मृत्यंजय आगे बढ़ कर वहां का मुआयना करने लगा कुछ देर बाद और फिर तरुण के साथ उसके घर चला गया । रात बीच चुकी थी सुबह होने को थी ।
अगली सुबह -
तरुण की मां और उसके दादा जी का अन्तिम संस्कार और सारा क्रिया कर्म हो चुका था । वो अंदर से टूट चुका था पर उसे अपनी बहन और अपनी ड्यूटी पर भी ध्यान देना था इसलिए वो खुद को नॉर्मल रखने की कोशिश करता था ।
एक दिन पुलिस स्टेशन में ,,
तरुण अपने कैबिन में शांत बैठा जनार्दन के केस की फाइल के साथ उलझा हुआ था तभी मृत्युंजय वहां आया पर उसकी खबर तरुण को बिल्कुल भी नही थी क्योंकि तरुण का ध्यान तो कही और था , तरुण गहरी सोच में डूबा था मृत्यंजय उसे बहुत देर से देख रहा था फिर कुछ देर में उसके कंधे पर हाथ रख कर मृत्युंजय ने पूछा -
क्या हुआ तरुण मैं कब से यहां खड़ा हूं तू क्या सोच रहा है ?
ये सुनकर तरुण अपने विचारो से बाहर आया ।
कुछ नही थोड़ा टेंशन में हूं ,,
क्या टेंशन है तेरी मुझे बता शायद मैं कुछ हेल्प कर सकूं मृत्युंजय ने तुरंत पूछा ।
तब तरुण ने कहा,,, देख जय मैं केस के सिलसिले में अक्सर बाहर जाता रहता हूं तब दी ( तृषा) घर पर अकेली होती है मुझे उसकी बहुत चिंता होती है यार अब मां और दादा जी भी नही हैं बस यही टेंशन है ।,,,
मृत्यंजय ने इतना सुना ही था की वो बोल पड़ा ,,
इसमें टेंशन वाली क्या बात है मेरा घर है ना सुन तू तृषा को मेरे घर पर छोड़ दे , वहां मधुरा और धरा ( मृत्युंजय की बहने ) भी होंगी उनके साथ तृषा का मन भी लगा रहेगा और तृषा पर कोई खतरा भी नहीं होगा ।
तू सही कह रहा है,,, सुन मुझे आज ही इंदौर के लिए निकलना है तरुण बोला ।
इसीलिए तू आज ही तृषा को मेरे घर छोड़ देना । मृत्यंजय ने इतना कहा ही था कि कैबिन के बाहर एक आवाज आई।
मे आई कम इन सर ,,,,,,,, आवाज किसी लड़की की थी ।
येस कम इन ,,,, मृत्यंजय ने कहा ।
तभी वो लड़की अंदर आई , और उसने सैल्यूट करते हुए कहा A.S.I. ( असिस्टेंट ऑफ सब इंस्पैक्टर) पिया राजवंश न्यू ज्वाइनिंग रिपोर्टिंग सर वो लड़की तरुण और मृत्युंजय की जानी पहचानी थी मृत्युंजय और तरुण ने मुस्कुरा कर जय हिंद कहा ।
बधाई हो पिया,,, मृत्यंजय ने कहा,😊
थैंक यू सर ,,,,,😊
बधाई हो पिया तेरी ज्वाइनिंग से मैं बहुत खुश हूं 😊,,,,तरुण ने कहा ।
थैंक यू भैया ओह सॉरी 🤦ऑफिस में नो भैया ऑनली कॉल यू सर ,,, 😊😊😊
तरुण और मृत्युंजय उसकी बात पर मुस्कुरा दिए बस ।
राधे - राधे दोस्तों 🙏 आगे की कहानी अगले पार्ट में इस पार्ट में जो पिया राजवंश का मैने जिक्र किया ये वही पिया ( अजीत की गर्लफ्रेंड) है , या फिर है उसी की शक्ल में कोई और,, जिसका जिक्र मैने फर्स्ट पार्ट में किया था । मृत्युंजय और पिया का वापस आना संयोग है या साजिश , अजीत वापस कब लौटेगा या फिर नहीं भी लौटेगा जानने के लिए इस कहानी के आगे आने पार्टस को पढ़ना होगा तब तक के लिए मुझे इजाज़त दिए ।🙏
और कहानी लिखने में कोई गलती हुई हो तो माफी चाहती हूं😊 आपको कहानी कैसी लग रही है मुझे कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं धन्यवाद 😊🙏
श्रद्धा मीरा ✍️