हॉस्पिटल में डॉक्टर अजीत को बताते हैं कि उसकी दोस्त तृषा को ज़हर दिया गया है जिससे वो अचंभित हो जाता है।
डॉक्टर के जाने के बाद वो सोच में पड़ जाता है आख़िर कौन है जिसने तृषा को ज़हर दिया है ? कहीं वो मृत्युंजय तो नहीं ?
मृत्युंजय तृषा और अजीत का क्लासमेट है जो तृषा से प्यार करता है । मृत्युंजय ने जब तृषा को अपने मन की बात बताई तो उसने इनकार कर दिया था ।
एक बार क्लास में तृषा का दुपट्टा किसी चीज़ में अटक कर फट गया पीछे मृत्युंजय खड़ा था तृषा को गलतफहमी हो गई कि उसका दुपट्टा मृत्युंजय ने पकड़ कर फाड़ दिया है उसे लगा कि मृत्युंजय ने गलत मंशा से ऐसा किया है क्योंकि उसने मृत्युंजय का प्रपोज़ल स्वीकार नहीं किया था। तृषा ने उसे एक ज़ोरदार तमाचा जड़ दिया ।
इस सबकी जानकारी अजीत को थी , अजीत गुस्से में तमतमाता हुआ मृत्युंजय के घर पहुंचा पर मृत्युंजय वहां नहीं मिला । अजीत वहां से निराश होकर लौट आया ।
दिन बीतते गए कुछ दिनों बाद ही फाइनल ईयर के एग्जाम्स थे तृषा भी लगभग ठीक हो चुकी थी ।
फाइनल ईयर के एग्जाम्स के बीच मृत्युंजय से अजीत का मिलना नही हो पा रहा था ताकि वो मृत्यंजय से बात कर सके क्योंकि अजीत काफी समझदार था । कॉलेज में सबके सामने वो मृत्युंजय को बेइज्जत कर तृषा का तमाशा नही बनाना चाहता था इसलिए मृत्युंजय से अकेले ही बात करना उसने सही समझा पर जब तक एग्जाम्स हुए दोनो का आमना सामना होता रहता था पर बात आई गई हो गई।
फाइनल ईयर के एग्जाम्स हो गए उसके बाद मृत्युंजय अचानक कही गायब हो गया ।
मनोविज्ञान से स्नातक( graduation ) के बाद अजीत ने लॉ कॉलेज में एडमिशन ले कर अपना रुझान वकालत की ओर मोड़ लिया और एक काबिल वकील बन गया । लेकिन तृषा ने मनोविज्ञान से ही स्नातकोत्तर ( post graduation ) कर पीएचडी डिग्री के बाद डिग्री कॉलेज में मनोविज्ञान की प्रोफेसर बनी ।
पर इस सबके चलते अजीब बात यह भी थी कि तृषा के साथ घटनाएं भी बराबर होती रही कभी रोड ऐक्सिडेंट , कभी पानी में करेंट , कभी कोई हमला पर इस सबसे हमेशा अजीत उसे बचा लेता था ।
समय तेजी से बीत रहा था एक दिन -
तृषा मोबाइल पर कॉल आता है ।
हेलो ,,,,,
हेलो,, तृषा तुमसे मिलना है क्या अभी आ सकती हो पंच वाटिका में ।
ओके अजीत अभी आती हूं ।
तृषा अजीत से मिलने पहुंच जाती है ।
क्या हुआ अजीत ऐसे अचानक क्यों बुलाया 😊
बुलाना ही पड़ा बात जरूरी है ।
क्यों क्या हुआ तुम इतना टेंशन में क्यों हो ?
सुनो तृषा मेरा ट्रांसफर हो गया है और मुझे जाना है पर तुम पर बार बार हो रहे हमलों की वजह से मैं चिंतित हूं । ऊपर से उस मृत्युंजय का कोई पता नहीं है ।
अजीत मैं अपना ध्यान रखूंगी सच में डोंट वरी और तुम्हे कॉल भी करती रहूंगी तुम अपनी जॉब पर फोकस करो ।
ओके चलता हूं सुबह ही निकलना है जल्दी लौटूंगा अपना ध्यान रखना तृषा ।
ओके बाय,,अजीत तुम्हारी यात्रा शुभ हो ।
बाय तृषा अपना ध्यान रखना ।
इस तरह अजीत दूसरे का शहर चला जाता है और तृषा वही अकेली रह जाती है।
आगे जारी है ।
राधे - राधे 🙏
श्रद्धा ' मीरा ' ✍️