मैं तुझसे शादी नही करूंगी 😡 मेरे पापा के खूनी के बेटे से मैं कभी शादी नही करूंगी कभी भी नहीं ।😡😡
तृषा के चेहरे पर गुस्से के साथ आंसू भी थे ।
तभी जनार्दन ने बंदूक तान ली और बड़े ही ताव में बोला ए लड़की,,,,, शादी के लिए मानेगी या,,,😡 और उसने बन्दूक उसके सामने तान दी ।
पर तृषा को अब उससे बिल्कुल डर नहीं लग रहा था उसने चीख कर गुस्से में कहा मुझे इन खिलौनों से डर नहीं लगता इस खिलौने से अपने पापा को न जाने कितनी बार मैने खेलते देखा है 😡😡 तृषा सिंह चौहान ऐसे खिलौनों से नही डरती 😡 ।
अच्छा तो ये खिलौना है हाहाहाहाहा,,,,,और तुझे इस खिलौने से डर नहीं लगता ,,, ए लड़की,,, क्या अब भी तेरा यही सोचना है । इतना कहकर जनार्दन ने बंदूक तृषा से हटाकर उसकी मां पर तान दी ।
ये देखकर तृषा की सांसे अटक गई उसने रोते हुए हाथ जोड़कर कर नहीं जनार्दन मां को न,,,,नहीं ,,, मेरी मां को नहीं ,,, प्लीज़,,, 🙏 इतना कहकर वो रोते रोते गिड़गिड़ाने लगी तभी अचानक
पुलिस का सायरन सुनाई दिया जनार्दन और उसके साथियों की हवाइयां उड़ गई , इतने में उसकी नजर तरुण पर पड़ी जो तिरछी मुस्कान के साथ एक भौंह ऊपर उठाए , आंखो में विजय की चमक लिए जनार्दन को ही घूर रहा था । जो जनार्दन और व्योम का गुस्सा बढ़ाने के लिए काफी था । गुस्से में जनार्दन तरुण के पास आकर उसकी तरफ गुस्से से घूरते हुए बोला,
ये सब तूने किया है ना हां ,,,😡😡😡
हां बिल्कुल मैने ही किया है ,,,तरुण पूरे एटीट्यूड में मुस्कुराते हुए बोला ,,
कैसे..... कैसे ..... कैसे आखिर कैसे हुआ ये.... हम्मम और गुस्से से अपने पैर पटकते हुए इधर उधर चलने लगा।
तभी तरुण की आवाज जनार्दन के कानों में पड़ी ।
सुन बे चूहे तुझे क्या लगा तू मुझे और मेरे परिवार को यहां लाया है,,, तू क्या इस पूरे भोपाल में किसी की हिम्मत नही की मेरे रहते मेरे परिवार को हाथ लगा सके या फिर मुझे यूं बांध सके ,,,, और सुन मेरे पापा ने तो केवल तेरे काले धंधों का अंत किया था । पर आज मेरे हाथो तेरा अंत होगा वो भी तेरा एनकाउंटर कर के ।
एनकाउंटर,,,😳😡 तू मेरा एनकाउंटर करेगा लगता है तुझे तेरे बाप की मौत याद नहीं और कौन है तू जो मेरा एनकाउंटर करेगा ।
तरुण मुस्कुराते हुए अपनी एक भौंह को ताव देकर बोला ।
चौहान , S.SP ( senior superintendent of police ) विराट सिंह चौहान का बेटा S.I. ( sub - inspector ) तरुण सिंह चौहान 😊😎
इतना सुनकर जनार्दन और व्योम के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई ।
पुलिस ने चारों ओर से उस जगह को घेर लिया भागने का रास्ता उनके पास न बचा था ।
जनार्दन ने अपने आदमियों से कहा बॉम्ब फिट कर दो इस जगह पर सबके चीथड़े उड़ जाने चाहिए । इतना कहकर जैसे ही जनार्दन अपने बेटे के साथ सुरंग के रास्ते निकलने ही वाले थे कि पीछे से किसी ने जनार्दन की गर्दन पकड़ ली और उसे पीछे खींच लिया उसने चीखते हुए व्योम से कहा
तू भाग जा यहां से भाग जा इन लोगो को छोड़ना नहीं भाग जा ,,,,,
इतना बोल ही रहा था कि उस इंसान ने जिसने जनार्दन को पकड़ रखा था वहीं अपनी गन का ट्रिगर दबाते ही ढेर कर दिया ।
उस इंसान को देख कर सब हैरान थे , जैसे सब उसे जानते थे उसकी आंखे गिद्ध के जैसी एक बार नजर उठा कर देखे तो टेररिस्ट की शामत आ जाए माथे पर तेज लंबी चौड़ी कद काठी गोरा रंग गुलाबी होठ लोगो के लिए उसका गुस्सा जैसे श्राप उसकी मुस्कान जैसे वरदान । गजब की पर्सनैलिटी थी उसकी , उस इंसान को देख कर पूरी पुलिस फोर्स में बाते होने लगी ,
एक ने पूछा - कौन हैं ये ?,,,,
दूसरे ने जवाब दिया - नए A.C.P. ( Assistant of police commissioner ) आज ही ट्रांसफर हुआ है इनका हमारे शहर भोपाल में ,,,
उसे देखते तरुण चौंक गया और उसके मुंह से निकला ,,
जय,,,,,
मुठभेड़ जारी थी अचानक व्योम ने तृषा पर गोली चलाई उसकी मां ने व्योम को देख लिया और वो बीच में आ गईं जिसने तुरंत वो मारी गई तृषा के दादा जी से ये बर्दाश्त न हुआ पहले बेटा फिर बहु भी मारी गई उसी तुरंत दिल का दौरा आने से वो भी चल बसे । लगातार 2 घंटे की मुठभेड़ के बाद जनार्दन के सभी आदमियों को पकड़ लिया गया था कुछ मुठभेड़ में मारे गए । पर व्योम बच कर भाग गया
राधे - राधे दोस्तों 🙏आज समय मिल गया तो दो पार्ट्स एक साथ अपलोड कर दिए । कौन है जय आगे क्या होगा कहानी के आगे आने वाले भाग में पता चल जायेगा । कॉमेंट्स बॉक्स में जरूर बताएं की आपको कहानी में सस्पेंस कैसे लग रहे हैं जिससे मुझे प्रोत्साहन मिल सके । और अगर कोई गलती हुई हो कहानी के लेखन में तो माफी चाहती हू 😊🙏🙏🙏
धन्यवाद 🙏😊
श्रद्धा मीरा ✍️