पिया , पिया रुको , पिया मेरी बात सुनो , प्लीज़ रुक जाओ पिया अजीत तुम्हारे बिना जी नहीं पाएंगे पिया ऐसे उन्हें मत छोड़ के जाओ पिया ,,,
तृषा रोते हुए पिया के पैरो में गिर गई और हाथ जोड़ते हुए उससे रिक्वेस्ट करने लगी ।
मैं नहीं रुकने वाली अब , मुझे अजीत के साथ अपनी लाइफ बरबाद नहीं करनी , क्या कर पाया है वो आज तक और क्या कर ही पाएगा । बारह करोड़ की जायदाद का मालिक ऐसे दो दो हज़ार रुपए में ट्यूशन पढ़ाता है अगर उसके पैरेंट्स होते तो ऐसा बरताव नहीं होता उसके साथ उसके परिवार में , मेरी कुछ इच्छाएं हैं, मेरी अपनी एक ज़िन्दगी है , मैं किसी के लिए खराब नहीं कर सकती ,,,,
पिया इतना कहकर तृषा का हाथ झटक कर चली गई ।
और तृषा वहीं रोती रही । तभी उसके मोबाइल पर कॉल आता है -
तृषा ,,, तृषा जल्दी से घर आ जाओ तृषा भाई ने खुद को रूम में लॉक कर लिया है,,,। कॉल अजीत के चचेरे भाई अखिल ने किया था ।
क्या? हां अखिल मैं आती हूं अभी आती हूं ,,,।
तृषा भागती हुई अजीत के घर पहुंची ।
अजीत ,,, अजीत दरवाज़ा खोलो अजीत प्लीज़ अजीत दरवाज़ा खोलो देखो मेरी बात सुनो,,,, । तृषा ने रोते हुए उससे रिक्वेस्ट की
मुझे कुछ नहीं सुनना,,, मैं पिया के बिना नहीं रह पाऊंगा,,, मैं उससे प्यार करता हूं,,,। अजीत का हाल बहुत बुरा था ।
ठीक है मत खोलो दरवाज़ा मैं भी यही बैठी रहूंगी दरवाज़े के बाहर इंतज़ार करूंगी तुम्हारा,,,,।
हां भाई हम दोनों यही रहेंगे जब तक आप बाहर नहीं आते ,,,। अखिल भी रोते हुए बोला ।
तृषा रोती रही पर अजीत ने दरवाज़ा नहीं खोला पूरा दिन और पूरी रात यूं ही बीत गई , अजीत का भाई अखिल भी वहीं बैठा रहा । दूसरे दिन दरवाज़े के बाहर अजीत ने सुना ।
तृषा बेटा ऐसे कब तक दरवाज़े के बाहर बैठी रहेगी अजीत तब तक बाहर नहीं आएगा जब तक वो खुद नहीं आना चाहेगा , तूने कुछ खाया भी नहीं है कल से बैठी है आजा पहले कुछ खा ले,,,,। स्नेहा जी ने तृषा से कहा जो कि अजीत की चाची है पर अजीत उन्हें ही अपनी मां मानता है।
नहीं मैं यहां तब तक बैठी रहूंगी जब तक अजीब बाहर नहीं आ जाते,,,,, ।
तृषा अब भी रो रही थी , अजीत ने जैसे ही सुना उससे रहा न गया पहले उसने खुद को संभाला और फिर वो रूम से बाहर आ गया ।
तृषा,, आई एम सॉरी, रियली सॉरी , उठो पहले कुछ खा लो कल से अब तक तुम ऐसे ही बैठी रोती रही क्यों यार कोई नहीं करता इतना ,,,,। अजीत ने भीगती आंखो से कहा ।
दोस्त हो मेरे तुम्हे तकलीफ में देखकर तकलीफ होती है मुझे ,,,। तृषा भी रो रही थी।
पहले रोना बन्द करो और कुछ खा लो वरना गिर पड़ोगी तो मुझे ही हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा,,,। अजीत आंखो में आंसू लिए हल्की सी हंसी के साथ तृषा के आंसू पोंछते हुए बोला ।
पहले तुम रोना बन्द करो और मेरे साथ चलो खाना खाओ अभी वरना मैं भी नहीं खाने वाली कुछ,,,।
बच्चों मैंने खाना लगा दिया है आओ खाना खा लो,,, । चाची ने आवाज़ दी ।
ठीक है मां मैं आता हूं भाई और तृषा को लेकर ,,। अब चलें,,।
रुक,,,। अजीत ने ऐसा बोलकर उसे सीने से लगा लिया ।
सॉरी छोटे माफ कर दे मैंने एक बार भी नहीं सोचा मेरे ऐसे बरताव से घर पर मेरे अपनो पर क्या असर पड़ेगा सॉरी ।
छोड़िए ना भाई , अब चलिए भी बहुत भूख लग रही है ,,,।
अखिल , अजीत और तृषा के साथ खाने की टेबल पर पहुंच गया और फिर तीनों ने स्नेहा जी के साथ खाना खाया ।
धन्यवाद 🙏
आगे जारी रहेगी ✍️..........
राधे - राधे 🙏
- श्रद्धा श्रोत्रिय ' मीरा '