मृत्युंजय ने महसूस किया तृषा के हाथ की कलाई जोर से पकड़ने की वजह से उसके हाथ की चूड़ी टूट गई है और उसे दर्द हो रहा है तो मृत्युंजय ने एक झटके से उसे खुद से अलग किया और पलट कर अपने रूम में चला गया ।
तृषा भी अपना हाथ संभाले जिससे खून बह रहा था रोते हुए अपने रूम में चली गई ।
मृत्युंजय का रूम -
जय इधर उधर अपने रूम में टहल रहा था , कभी बैड पर बैठता , कभी टहलने लगता तो कभी अपने एक हाथ की मुट्ठी बनाकर दूसरे हाथ की हथेली से पीटने लगता एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी उसे , उसकी आंखों के आगे तृषा का आंसूओं से भरा चेहरा घूम रहा था ।
जय से रहा न गया वो फर्स्ट एड बॉक्स उठाकर तृषा के रूम की तरफ चला गया दरवाजा नॉक किया पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो वो खुद अंदर आ गया , अंदर आ कर देखा तो तृषा सो चुकी थी उसकी पलकों पर आंसुओं की हल्की हल्की बूंदे थी जैसे रोते रोते सोई थी उसने अपने हाथ का घाव भी साफ नहीं किया था । जय ने फर्स्ट एड बॉक्स खोला फिर उसमे से डेटॉल और कॉटन निकाल कर उसे भिगो कर तृषा का घाव साफ करने लगा।
तृषा को घाव में थोड़ी जलन महसूस हुई और वो जाग गई
उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया और उठ कर बैठ गई ।
आप ,,,, यहां ,,,, इस वक्त क्यों आए हैं ,,,,, कोई देख लेगा आप जाइए यहां से ,,,,,तृषा ने घबरा कर कहा ।
जय ने कुछ नही कहा दोबारा तृषा का हाथ पकड़ कर कॉटन से उसका घाव साफ करने लगा ,
देखिए , मेरी बात,,,, तृषा कह ही रही थी की जय ने अपनी उंगली उसके होठों पर रख दी ।
श्,,श्,,,,, शशश चुप एक दम चुप ,,, जय के इतना कहते ही तृषा कुछ ना बोल सकी ।
दवा लगाकर मृत्युंजय वापस अपने रूम में चला गया तृषा बस उसे जाते देख रही थी ।
इन्हे अब भी मेरी उतनी ही चिंता है जितनी पहले थी ,,,,,तृषा ने मन ही मन कहा । और गहरी सोच में डूब गई ।
फ़्लैश बैक की कहानी -
कॉलेज का पहला दिन था तृषा और तरुण कॉलेज पहुंचे ( तृषा और तरुण दोनो ही ट्विंस हैं पर तृषा तरुण से कुछ मिनट बड़ी है इसलिए तरुण उसे दी कहता है )
सभी की रैगिंग चल रही थी , सभी जूनियर्स एक लाइन में खड़े थे ।
अजीत सिंह रावल ( तृषा और तरुण का बचपन का दोस्त ) , पिया राजवंश ( तृषा और तरुण की बहन, मौसी की बेटी ) दोनो की रैगिंग ली जा चुकी थी बारी थी तरुण और तृषा की ।
सामने एक लड़का आकर खड़ा हुआ और तरुण से बोला तुम्हे नागिन डांस करना चलो करो ।
और नही किया तो? ,,,तरुण ने चिढ़ते हुए कहा
बेटा तू जानता नही है मैं कौन हूं,,, व्योम बक्शी ,,,,, नाम है मेरा ।तुझ जैसे पानी भरते हैं मेरे आगे पीछे ।
तरुण को बहुत गुस्सा आया पर वो अपना गुस्सा पी गया कॉलेज में पहले दिन वो तमाशा नही करना चाहता था इसलिए चुप चाप उसकी बात मान ली ।
व्योम तृषा के पास आया और उससे कहा तुम बहुत खूबसूरत हो , तुम्हे मुझे हग करना है । ,,,
जैसे ही व्योम ने ये बोला तरुण और अजीत और पिया गुस्से से चीख पड़े सीनियर हो इसका ये मतलब नहीं अपनी हद भूल जाओ।
ओह दोस्ती गहरी है,,, व्योम ने हंसते हुए कहा , फिर तृषा की तरफ देखा डर की वजह से उसके आंसू आंखों में उतर आए थे ।व्योम आगे बोला चलो मुझे नही तो इन दोनो को छोड़कर ( अजीत और तरुण) कॉलेज में किसी भी लड़के को हग करो चलो ।
तृषा ये सुनकर और भी सहम गई । फिर सामने कॉलेज के एंट्री गेट से एक लंबा चौड़ा नौजवान आया तृषा उसे देखते ही उसकी तरफ दौड़ कर गई और उसके सीने से लग कर धीरे से बोली अच्छा,,, हुआ ,,, आप आ गए ,,, मैं बहुत डर गई थी । उसके रूंधे हुए गले की वजह से मुंह से ये शब्द बहुत मुश्किल से निकले । वो नौजवान मृत्युंजय था अब जय उसका चेहरा और वहां का माहौल देख कर सब समझ चुका था ।
राधे राधे दोस्तों 🙏आगे की कहानी अगले पार्ट में आपके मन में सवाल होगा तृषा आखिर जय के सीने से क्यों जा लगी तो आपको बता दूं मैंने पिछले भाग में ज़िक्र किया था कि जय और तृषा दोनो के पिता बहुत अच्छे दोस्त थे, तो तृषा जय को पहले से ही जानती थी । अब आगे क्या करेगा जय क्या मोड़ आएगा अजीत पिया जय और तृषा की लाइफ में आप सब पता चलेगा आगे आने वाले पार्ट्स में , आपको कहानी कैसी लग रही है प्लीजमुझे कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं धन्यवाद 🙏😊
श्रद्धा मीरा ✍️