सुख शान्ति और समृद्धि का पर्व है दीपावली ।
----- भारतीय जन जीवन और भारतीय संस्कृति में सांस्कृतिक पर्व और हर त्योहार आनन्द मंगल के परिचायक है ।
इसी तरह दीपावली तो जन जन के तन मन को आलोकित करते हुए लोक आस्था को सुदृढ़ करने में सहायक रही है।
जीवन में उत्साह उमंग जाग्रत करने वाले दीप पर्व के पावन आदर्श हमें भरपूर ताजगी से भर देता है ।
इस प्रकाशोत्सव में दीपक की विशिष्ट भूमिका है । देवी लक्ष्मी की पूजा और इसके स्वरूप में परिवर्तन की भांति दीपक के रंग रूप ,आकार भी बदलते रहे हैं । मिट्टी से बने दीपकों के साथ साथ देश के विभिन्न भागों में उत्खनन के दौरान विभिन्न धातुओं से बने दीपक भी प्राप्त हुए हैं ।
इससे सिद्ध होता है कि दीपावली का त्योहार पीढ़ियों से परम्परागत रूप से मनाया जाता रहा है ।
यह दीप ज्योति उजास का प्रतीक है । हमें अंधेरे के रूप में गरीबी , बेकारी , भ्रष्टाचार, पाखंडवाद, पुरातनपंथी, भुखमरी , अशिक्षा , असमानता तथा अभाव से जुड़ी चुनौतियों का मुकाबला करते हुए सर्वत्र उजास की छाया घनीभूत करने के दृढ़ संकल्प को मन वचन कर्म से पूर्ण करने की पहल करनी होगी, तभी हमारे परिवारों की समाज की तथा देश की एकता अखंडता संप्रभुता और संस्कृति से अनुप्राणित इस पर्व को मनाने की सार्थकता सिद्ध होगी ।
दीपावली पर्व पर संयुक्त परिवारों का मिलन और बड़े-बुजुर्गों का सानिध्य प्राप्त होने से अच्छे संस्कारों का बीजारोपण भी हमें संयुक्त परिवार की नींव मजबूत करता है ।
अंत में आप सभी आदरणीय सम्मानिय जनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं सा ।