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दूर

25 जनवरी 2016

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जब तू मुझसे जाने को है दूर,

तो भी ना जाने क्यों मै चाहती हूँ कि,

जब तक हो सके तुझको मैं,

अपने सीने से लगा के रखूँ ।

है पता मेरा नहीं तू,

साथ तेरा किसी और से है;

और तब तुझ पे ना मेरी,

एक भी कुछ भी चलेगी । 

लेकिन तू जब तक है अकेला 

इस कदर तुझसे जुड़ी रहूँ,

की तझसे जुदा हो के भी,

तेरा कुछ मुझ में बाकी रह जाए ।

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रचनाएँ
Doorvas_Voice
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दिल की आवाज़
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इश्क़- रज़ा या सज़ा

23 जनवरी 2016
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है खुदा की यह रज़ा,जैसे कर्म वैसी सज़ा;और जहां के लोगों ने भी,कुबूल इसको है किया |कि कैसी भी किसकी सज़ा,होती खुदा की वह रज़ा;तो आज तुम से पूछती हूं,ऐ जहां के ठेकेदारों|आज मुझको यह बताओ,इश्क ऐसा क्या करम है;जिस पर खुदा है खुश हुआ,और तुमने उसको दी सजा |किसी गली किसी किसी मोड़ पर,जब इश्क का एक गुल खिला;तो

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दूर

25 जनवरी 2016
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जब तू मुझसे जाने को है दूर,तो भी ना जाने क्यों मै चाहती हूँ कि,जब तक हो सके तुझको मैं,अपने सीने से लगा के रखूँ ।है पता मेरा नहीं तू,साथ तेरा किसी और से है;और तब तुझ पे ना मेरी,एक भी कुछ भी चलेगी । लेकिन तू जब तक है अकेला इस कदर तुझसे जुड़ी रहूँ,की तझसे जुदा हो के भी,तेरा कुछ मुझ में बाकी रह जाए ।

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