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एंटी करप्शन सेल ( कहानी अंतिम क़िश्त)

30 अप्रैल 2022

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“एन्टी करप्शन सेल " ( अंतिम क़िश्त)

( अब तक - कामता पटवारी को एक खास विधि से ट्रेप करवाने के बाद कृष्णा शादी तैयारी मेँ जुट गया।)

समय गुज़रता गया 15 मई की शाम कृष्णा के घर नवागांव से बारात आने वाली है । बारात की स्वागत की तैयारी खुद कृषना देख रहा है । खाने पीने का प्रबंध कार्तिक व उसके दोस्त देख रहे हैं । चौबे स्कूल के प्रांगण में बहुत बड़ा पंडाल लगा है । बहुत सारे मेहमान आ चुके हैं । हर तरफ़ उत्साह का माहौल है । पंडाल में अच्छी खासी रौशनी की गई है । पंडाल के बगल में पकवान बन रहे हैं, जिसकी भीनी भीनी खुशबू पंडाल के अंदर भी आ रही है । मेहमान गण दो- चार के समूह में बैठकर आपस में बतिया रहे हैं । मेहमानों की भीड़ में कामता पटवारी भी एक किनारे चुपचाप बैठा है । कार्तिक ने जब उसे देखा तो उसे नमस्कार करते हुए पूछा आपके लिए चाय नास्ता कुछ लाऊं । कार्तिक को देखकर एक बार तो कामता चौंका तो कार्तिक ने कहा मैं कृष्णा जी का सुपुत्र हूं। हम शायद पहली बार मिल रहे हैं फिर आप चौंके  कयूं ?  कामता ने कहा नहीं  कोई खास बात नहीं है। मुझे आपकी शक्ल एक मेरे पहचान वाले मिलती नुलती लगी 
इस्लिये । फिर उसने  बड़े ही अदब से भोजन के बारे में   कहा कि पहले बारात को आ जाने दो फिर देखेंगे । इसके बाद कामता को लगा कि अभी बारात को आने में देरी है अत: वह कृष्णा के पास पहुंचकर उसे बधाइयां दी साथ ही एक बड़े से डिब्बे में बंद गिफ़्ट भी सौंपा। बदले में कृष्णा ने उसे धन्यवाद दिया और कहा कि बिना भोजन किए घर वापस न जाइयेगा । अचानक कामता ने कृष्ना से पूछा कि तुमने तो ज़मीन बेची नहीं फ़िर पैसों का इंतजाम कहां से हुआ । जवाब में  कृष्णा ने कहा आप सबकी दुआ और एक स्कीम से मेरी कठिनाई का भी हल निकल गया ।  वैसे भी मुश्क़िलों में भगवान सबकी समस्या का निवारण करते ही हैं । कामता ने जब कृष्णा का जवाब सुना तो उसे अजीब लगा । उसे ऐसे लगा कि कृष्णा का इशारा मेरी तरफ़ ही है । मानो मेरे ही दं से उसकी समस्या का निवारण हुआ हो । 
वह वापस एक किनारे कुर्सी पर बैठकर बारात का इंतज़ार करने लगा । कामता को भूख़ लग रही थी पर उसका सिद्धान्त था कि बारात परघनी के पहले घरातियों को पेट पूजा नहीं करनी चाहिए। न जाने क्यूं बारती बहुत देर कर रहे थे ? अचानक दायीं तरफ़ कामता की नज़र गई तो उसे तीन जाने पहचाने चेहरे नज़र आए । जिन्हें  देखकर कामता बुरी तरह से डर गया । इतने में ही कार्तिक उसके पास पहुंचा और कहा  पटवारी जी आप कुछ परेशान दिख रहे हैं । कोई बात हो तो मुझे बताइए। यहां उपस्थित सारे लोग अपने खास हैं । आप अगर किसी को जानते हैं तो उनके साथ समूह बनाकर रहिए तो आप अकेलापन महसूस नहीं करेंगे । या फिर जल्द घर जाना चाहते हैं तो भोजन प्रारंभ कीजिए । कोई संकोच की बात नहीं है । लेकिन पटवारी ने डरते हुए कहा कि कार्तिक बेटा मुझे पेट में दर्द हो रहा है । शायद शौच जाना पड़े । अत: मैं आधे घंटे के अंदर वापस आता हूं । इतना कहते हुए कामता अपनी मोटर साइकिल के पास पहुंच कर उसे स्टार्ट करके अपने घर की ओर रवाना हो गया । जब वह घर पहुंचा तो रात के दस बज रहे थे । उसकी पत्नी सो रही थी । अत: दरवाज़ा खुलने में भी कुछ समय लगा । दरवाज़ा खुलते ही कामता ने अपनी पत्नी से पूछा कि खाने के लिए कुछ मिलेगा या नहीं । जवाब में पत्नी ने कहा कि हम लोग तो खाना खाकर सो भी चुके हैं , थोड़ा बहुर चांवल बचा था , उसे मैंने “ शेरू” को दे दिया है । अभी तो घर में आपके खाने के लिए कुछ भी नहीं है। तब कामता ने भिनभिनाते हुए कहा कि पता नहीं आज कौन सा नक्षत्र चल रहा है कि कृषना के बाराती शादी स्थल में पहुंचने की ज़रा भी कोशिश नहीं कर रहे हैं । साथ ही मुझे ऐसे लग रहा है कि कृष्णा  के घर में भी कुछ तो गड़बड़ी हुई है । हो सकता है या तो आपसी झगड़ा हुआ हो ,  कोई महंगी चीज़ गुम गई हो या लड़के वालों ने दहेज की मांग की हो । वहां तीन पोलिस वाले बहुत देर से इधर उधर घूमते नज़र आ रहे हैं । जिन्हें मैं अच्छे से पहचानता हूं । उनसे मेरा पाला पड़ चुका है । वे पोलिस वाले बड़े ही कठोर दिल  वाले हैं । वे किसी पर कोई मुरव्वत नहीं करते । कृष्णा  के घर में भी वे कहर ज़रूर ढाएंगे । उन पोलिस वालों को देखकर मुझे लगने लगा था कि कृषना के घर में कुछ न कुछ तमाशा होने वाला है । अत: मैं उस वातावरण से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझकर घर लौट आया हूं । भले ही मुझे आज भूखा ही सोना पड़े पर एक संभावित लफ़ड़े से तो सुरक्षित रहूंगा । 

अगले दिन कामता ने अखबार में पढा कि कृषना की बेटी की शादी बड़े ही धूमधाम से कल संपन्न हुई। गांव के सभी गणमान्य लोग नवविवाहित जोड़े को आशिर्वाद देने पहुंचे थे । 
इस शादी में लड़की वालों ने एक नया ट्रेन्ड अपनाया था । पाणीग्रहण व फ़ेरे की रस्म तो प्रात: 3 बजे हुई । इस बीच बारातियों के मनोरंजन के लिए लड़की वालों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था । जिसमेँ  लड़की के परिवार के बहुत सारे सदस्यों ने अपनी अपनी प्रस्तुति दी और लोगों का मनोरंजन किया । सारे कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा सराहना एक लंबे नाटक को मिली जिसका थीम और शीर्षक था “ एन्टी कर्प्शन ब्यूरो “ ।  जिसमें क्रिष्ना के बेटे कार्तिक और उसके कालेज के तीन साथियों ने बेहतरीन अदाकारी करके लोगों का दिल जीत लिया ।

( समाप्त )
भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया कहानी 👌🏻👌🏻

1 मई 2022

Sanjay Dani

Sanjay Dani

1 मई 2022

Thanks Bhaarati ji

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रचनाएँ
एंटी करप्शन सेल ( कहानी प्रथम क़िश्त)
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देवकर के एक किसान कृष्णा साहू को अपनी लड़की की शादी मे होने वाले खर्च के इंतजाम के लिये अपना एक एकड खेत बेचना था । जिसके लिये गांव में ही खरीदार मिल गया था। अब वह पटवारी कामता से रजिस्टरी हेतु कागज़ात तैयार करने हेतु निवेदन करने गया तो पटावारी उससे कई बार विभिन्न कारणों को बताकर पैसा मांगने लगा 3 बार तो उसने जैसे तैसे इंतजाम करके पैसा पटवारी को दिया। पर उसके बाद वह परेशान होकर सोचने लगा कि आगे क्या किया जाए जिससे सांप भी मर जाए और काम भी हो जाए ।
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