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एंटी करप्सन सेल ( कहानी प्रथम क़िश्त)

28 अप्रैल 2022

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“एन्टी करप्शन सेल “ ( कहानी प्रथम क़िश्त)

कृष्णासाहू नवागांव से अपने गांव देवकर लौटते वक़्त बहुत ख़ुश था ।उन्हें  अपनी लड़की के लिए जोहान साहू का लड़का योगेश भी पसंद आ गया था और जोहन साहू का परिवार भी सुसंस्कृत लगा। जोहन ने बताया कि  कहा कि योगेश मेरा इकलौता लड़का है । वह बीए करने के बाद दुर्ग कलेक्टरेट आफ़िस में बाबू के पद पर कार्यरत है । उसकी तन्ख़्वाह 20 हज़ार रुपिए महीना है । इसके अलावा हमारी 10एकड़ खेती की ज़मीन है । हमारी बस एक ही ख़्वाहिश अहि कि योगेश की शादी किसी पढी लिखी व सुसंस्क्रित लड़की से हो जाए। 
प्रतिउत्तर में कृष्णा ने कहा कि मेरी बेटी बीए पास है , बहुत सुन्दर है और घरेलू कार्य में बहुत दक्ष है । जहां तक हमारी आर्थिक स्थिति की बात है तो मेरे पास 5 एकड़ खेती की ज़मीन है । जिसकी आमदनी से घर – परिवार का गुज़ारा च्छे तरीके से हो जाता है । मेरा एक पुत्र है , कर्तिक जो साइन्स कालेज दुर्ग में बीए प्रथन वर्ष का छात्र है । 
इसके एक सप्ताह बाद जोहन और उसका लड़का योगेश कृष्णा की बेटी को देखने देवकर गए और कृष्णा के घर  एक घंटा बैठकर वापस अपने गांव ,नवागांव लौट आए। उन दोनों को कृष्णा की लड़की बेहद गुणवान व सुन्दर लगी । कुछ दिनों बाद जोहन ने कृष्णा को उनके घर रिश्ता बनाने की स्वीक्रिति दे दिया। इस तरह दोनों परिवार की सहमति से विवाह दिसंबर की 31 तारीख को तय हो गई । 

कृष्णा साहु अब शादी की व्यवस्था के नाम से चिन्तित रहने लगा । बारात को कहां ठहराना है ? उनके खाने पीने की क्या क्या व्यवस्था करनी है ? साथ ही दहेज में क्या क्या देना है ? इन सब कामों की वह लिस्ट बनाने लगा , ताकि कोई भारी चूक न हो जाए। वह यह भी सभावित हिसाब लगाने लगा कि आखिर लड़की की शादी में खर्च कितना आएगा । 

उसने जो हिसाब लगाया था उसके तहत शादी अगर ठीक ठाक से करनी है तो लगभग 1 लाख रुपिए खर्च आएगा । कृष्णा ने सोच लिया था कि पैसों के इंतजाम के लिए वह अपने 5 एकड़ ज़मीन में से एक एकड़ ज़मीन को बेचने का मन बना लिया था । वास्तव में उसका चार एकड़ खेत एक चक में थे वहीं एक एकड़ खेत अलग थलग गांव के भंडार दिशा में था । उसे उम्मीद थी कि एक एक्ड़ खेत को बेचने से उसे लगभग 2 लाख रुपिए प्राप्त  हो जाएगा । जिससे विवाह का सारा खर्च अच्छे से निभ जाएगा । 

कुछ दिनों में ही गांव के एक किसान नरेश यादव से उस खेत का सौदा एक लाख अस्सी हज़ार रुपए में हो गया । पर नरेश यादव ने सिर्फ 100 रुपिये टोकन मनी देकर कहा बाक़ी सारा पैसा रजिस्टरी के समय दूंगा।
देखते ही देखते दिसंबर का महीना आ गया। अब शादी की तैयारियां युद्ध स्तर पर करनी थीं, पर उसके लिए ज़ेब में पैसा होना ज़रूरी था । अत: कृष्ना साहू ने उस एरिए के पटवारी कामता प्रसाद से संपर्क कर अपनी बात बताई कि मुझे अपना एक खेत नरेश यादव को बेचना है , आप उस संबंधित सारे कागजात तैयार कर दीजिए या मुझे समझा दीजिए कि क्या क्या करना पड़ेगा ? उसने पटवारी को अपने काम में उचित सहयोग के लिए 500 रुपिए  दक्षिणा स्वरूप देकर भी आ गया । ्कामता पटवारी ने उसे कहा तुम्हारा काम मैं अच्छे से निपटा दूंगा । तुम खरीदार नरेश को कह दो कि वह पैसा तैयार रखे। जल्द ही मैं ज़मीन की रजिस्ट्री करवा दूंगा और तब तक क्रय विक्रय के सारे कागज़ात मैं तैयार करवा लूंगा । सबसे ज़रूरी बात है कि तुम अपनी, बेचने वाली ज़मीन की ऋण  पुस्तिका मुझे उपलब्ध कर दो , बाक़ी चीज़े मैं दुरुस्त कर लूंगा । कामता पटवारी के आश्वासन प्राप्त करके क्रिष्णा ख़ुशी ख़ुशी अपने घर चला गया । उसने अगले दिन ही ज़मीन के खरीदार नरेश यादव को बताया कि तुम पैसा तैयार रखो इस महीने की 15 तारीख के आस पास ज़मीन की रजिस्ट्री हो जाएगी । ऐसा मुझे पटवारी ने भरोसा दिलाया है । जवाब में नरेश यादव ने कहा कि मेरे पास पैसा तैयार है । तुम जिस दिन भी रजिस्ट्री करोगे , उस दिन तुम्हें पैसा मिल जाएगा ।
चार दिनों बाद कृष्ना फिर पतवारी कामता से मिलने गया तो उसने लंबी चौड़ी बातें करते हुए कहा कि हाल में कलेक्टर  के आदेश प्राप्त हुआ है , जिसके तहत ज़मीन के क्रय विक्रय की प्रक्रिया को ज़रा जटिल कर दिया गया । यह सब कुछ लोगों के साथ फ़्राड होने के कारण किया गया है , ऐसा मुझे लगता है । वर्तमान प्रक्रिया के तहत मुझे कुछ और काग़ज़ात तहसील आफ़िस व रजिस्ट्री आफ़िस से बनवाना पड़ेगा । तहसीलदार का भी ज़मीन संबंदित एक रिपोर्ट लेना ज़रूरी कर दिया गया है । इसलिए सामान्यत: अब इस प्रक्रिया में कम से कम एक महीन तो लग ही जाएगा । 
यह सुनकर कृष्ना परेशान हो कर , लगभग गिड़गिड़ाते हुए कामता से कहने लगा कि साहब मेरी बेटी की शादी के इंतजाम के लिए ही मैं अपनी ज़मीन बेच रहा हूं । उसकी शादी की तारीख 31 दिसंबर तह हुई है । अगर उसके पहले रजिस्ट्री नहीं हुई तो मैं बहुत परेशानी में पड़ जाऊंगा । आप कोई रास्ता निकालिए न जिससे मेरा काम 20/ 25 दिसंबर तक हो जाए और मेरे हाथ में पैसा आ जाए। आप इस काम को जल्दी करने हेतु जो भी अतिरिक्त ख़र्च बताओगे मैं करने को तैयार हूं । मेरे पास पैसों का इंतजाम करने बाबत और कोई रस्ता नहीं है। यह सुनकर कामता के मु:ख मंडल पर एक कुटिल मुस्कान बिखरी । फिर वह कुछ सोचने का नाटक करते हुए कहा कि इस हेतु तहसीलदार साहब को सेट करना होगा और वे जितनी कहे उतनी रकम से उनकी पूजा करनी होगी । मैंने हाल ही में ऐसा ही एक काम उनके मार्फ़त करवाया हूं । जिसके लिए उन्हें 10 हज़ार रुपिए पार्टी को देना पड़ा । तुम 10 हज़ार और देने के लिए तैयार हो तो दो दिनों में ही रजिस्ट्री करवाया जा सकता है । जवाब में कृष्णा ने कहा कि पैसों का इंतजाम करने के लिए मुझे दो दिनों का समय चाहिए , परसों मैं तहसीलदार साहब को भेंट चढाने वाला  पैसा  आपको सौंप दूंगा । 
दो दिनों बाद क्रिष्णा ने देवकर के सेठ मिठाईलाल से ब्याज में 10 हज़ार रुपिए उधार लेकर पटवारी कामता को दे आया।पैसा मिलते ही काम्ता पटवारी ने उसे कहा कि दो दिनों में तुम्हारा काम हो जाएगा । जाओ घर जाओ अब फ़िक्र करने की कोई बात नहीं है । 
दो दिनों बाद जब कृष्णा पटवारी कामता के घर गया तो कामता ने उसे बड़े ही प्यार से बिठाया और चाय नास्ता करवाते हुए कहा , कि तुम्हारा पैसा तो मैं तहसीलदार साहब को दे आया हूं , पर एक पेंच अब भी बाक़ी है । तहसील दार साहब ने मुझे बताया है कि आजकल ज़मीन के क्रय विक्रय के सारे काग़ज़ात दुर्ग कलेक्टरेट  में नो-ड्यूस लेने भेजना पड़ता है । वहां से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही रजीस्ट्री हेतु परमिशन दिया जाता है । लेकिन वहां से ग्रीन सिग्नल कलेक्टर के बड़े बाबू दास बाबू को 10 हज़ार का चढावा देने के बाद ही मिल पाता है । यह बात सुनकर कृष्ना किसान परेशान हो गया । उसे इस बात का दुख होने लगा कि 1लाखअस्सी हज़ार रुपिए की ज़मीन बेचने हेतु उसे 20000 सरकारी नुमाइंदों को बतौर चढावा देना पड़ रहा है । यह तो पूरी तरह से अन्याय है । मान लो इसे मैं स्वीकार कर भी लूं तो  10 हज़ार रुपिए लाऊंगा कहां से । पहले ही 10 हज़ार रुपिए की जुगाड़ में मुझे कितनी मश्क्कत करनी पड़ी थी । कितने सारे कागजों पर अंगूठा लगाना पड़ा था । कृष्णा ने निराश भाव में कामता पटवारी से कहा ठीक है मैं इंत्जाम करता हूं । दो तीन दिन तो लगेंगे ही । जवाब में कामता पटवारी ने कहा बेफ़िक्र रहो तुम पैसे का इंतजाम करो और फिर एक हाथ से चढावा चढाओ और दूसरे हाथ से परमिशन के कागज़ लेकर रजिस्ट्री करवाओ । 
इसी बीच कृष्ण के हक में एक अच्छी खबर आई कि जोहन साहू के कोई नज़दीकी रिश्तेदार की ग़मी हो गई। इसलिए शादी की तारीख़ को 6 महीने आगे बढानी होगी । अब मई जून में ही शादी होगी उसके पहले हम कोई शुभ काम नहीं कर सकते । 

( क्रमशः)
भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया कहानी की शुरुआत 👌🏻👌🏻

30 अप्रैल 2022

Sanjay Dani

Sanjay Dani

1 मई 2022

Thanks Bhaarati ji.

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रचनाएँ
एंटी करप्शन सेल ( कहानी प्रथम क़िश्त)
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देवकर के एक किसान कृष्णा साहू को अपनी लड़की की शादी मे होने वाले खर्च के इंतजाम के लिये अपना एक एकड खेत बेचना था । जिसके लिये गांव में ही खरीदार मिल गया था। अब वह पटवारी कामता से रजिस्टरी हेतु कागज़ात तैयार करने हेतु निवेदन करने गया तो पटावारी उससे कई बार विभिन्न कारणों को बताकर पैसा मांगने लगा 3 बार तो उसने जैसे तैसे इंतजाम करके पैसा पटवारी को दिया। पर उसके बाद वह परेशान होकर सोचने लगा कि आगे क्या किया जाए जिससे सांप भी मर जाए और काम भी हो जाए ।
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एंटी करप्सन सेल ( कहानी प्रथम क़िश्त)

28 अप्रैल 2022
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“एन्टी करप्शन सेल “ ( कहानी प्रथम क़िश्त)कृष्णासाहू नवागांव से अपने गांव देवकर लौटते वक़्त बहुत ख़ुश था ।उन्हें अपनी लड़की के लिए जोहान साहू का लड़का योगेश भी पसंद आ गया था और जोहन साहू का परिवार भी

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एंटी करप्शन सेल ( कहानी दूसरी क़िश्त)

29 अप्रैल 2022
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“एन्टी करप्शन सेल " ( दूसरी क़िश्त)(अब तक -- कृष्णा साहू पटवारी कामता द्वारा ज़मीन के कागज़ात बनाने हेतु बार बार पैसा मांगने के कारण परेशान भी था और पैसों की व्यवस्था का रस्ता भी ढूंढ रहा था) इससे

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एंटी करप्शन सेल ( कहानी अंतिम क़िश्त)

30 अप्रैल 2022
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“एन्टी करप्शन सेल " ( अंतिम क़िश्त)( अब तक - कामता पटवारी को एक खास विधि से ट्रेप करवाने के बाद कृष्णा शादी तैयारी मेँ जुट गया।)समय गुज़रता गया 15 मई की शाम कृष्णा के घर नवागांव से बारात आने वाली है । ब

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