“एन्टी करप्शन सेल " ( दूसरी क़िश्त)
(अब तक -- कृष्णा साहू पटवारी कामता द्वारा ज़मीन के कागज़ात बनाने हेतु बार बार पैसा मांगने के कारण परेशान भी था और पैसों की व्यवस्था का रस्ता भी ढूंढ रहा था) इससे आगे।)
बेटी की शादी की तारीख आगे बढने से कृष्णा को बड़ी राहत मिली।समय मिलने से कृष्णा पैसों की व्यवस्था में लग गया, ताकि अपनी ज़मीन को बेचा जा सके और वैवाहिक कार्यक्रमों को ठीक से निपटाया जा सके ।
इस बीच एक दिन कृष्णा का लड़का कार्तिक अपने 3 साथियों के साथ छुट्टी बिताने भिलाई से देवकर आ गया । इस छुट्टी के दिनों में उन चारों को एक नाटक का रिहर्सल भी करना था । उस नाटक को अपने कालेज के सोसियल गेदरिंग के कार्यक्रम में उन्हें 10 दिनों बाद प्रस्तुत करना था । जिस नाटक को वे चारों तैयार कर रहे थे । उस नाटक का थीम एक मर्डर मिस्ट्री पर आधारित था । जिसमे ये चारों दोस्त पोलिस वालों की भूमिका निभाने वाले थे ।
एक दिन कार्तिक अपने पिता से बातें कर रहा था , तो उसे लगा कि उनके पिता चिन्ताग्रस्त हैं और साथ ही भयभीत भी हैं । राघव ने अपने पिता से पूछा कि आप इतना परेशान क्यूं हैं ? जवाब में उसके पिता ने ज़मीन बेचने की प्रक्रिया में पटवारी द्वारा बार बार विभिन्न कारण बताकर पैसे मांगकर परेशान करने की बात कही। उसे मै बहुत पैसा दे चुका हूं। और मांग रहा है। उसका क्या भरोसा कि फिर कोई कारण बताकर फिर कुछ पैसा न मांगने लगे ?
राघव ने सारी बातों को समझकर अपने साथियों को बताया तो उन्होंने निर्णय लिया कि हमें कुछ करना पड़ेगा । उन लोगों ने एन्टीकरप्शन ब्यूरो आफ़िस के फोन नंबर का पता लगाकर , आफ़िस में फोन लगाया । तो वहां से इन्सपेक्टर पटवा ने बताया कि हम उस पटवारी को ज़रूर ट्रेप करेंगे पर अभी हमारा सारा स्टाफ कुछ विशेष हाई प्रोफाइल केस मेँ फंसा है। हमें लगभग 1 महीने का समय चाहिये।
उधर क्रिष्ना साहू को पतवारी कामता ने खबर भिजवाई कि 4/5 दिनों में आकर अपना काम करवा लो क्यूंकि वर्तमान तहसील्दार साहब फिर कुछ महीनों की छूट्टी पर जा रहे हैं और उनके बदले में जिन्हें भी यहां का चार्ज मिलेगा पता नहीं वह तुम्हारा काम बिना पैसा लिए जल्द करेगा या नहीं ? इस बात को जब क्रिष्णा ने अपने बेटे व उनके दोस्तों को बताया तो वे पेशो-पेश में पड़ गए कि अब क्या करें ? एन्टी करप्शन वालों को 1 महीने तक फ़ुरसत नहीं है और उधर पटवारी तकादे पर तकादे कर रहा है ।
फिर कार्तिक व उनके दोस्तों ने आपस में मिलकर एक प्लान बनाया और उस प्लान को कार्तिक ने अपने पिता को बताया तो पहले तो क्रिष्णा कुछ झिझके पर जब कार्तिक व उनके दोस्तों ने कहा कि आप क्यूं हिचक रहे हो तब क्रिष्णा जी ने उन्हें इस प्लान के क्रियानवन लिए अपनी मन्ज़ूरी उन्हें दे दिया ।
अगले दिन प्लान के तहत क्रिष्णा साहू कामता पटवारी के घर की ओर रवाना हुआ । उसे उसके बेटे ने एक मोबाइल भी ऐसे सेट करके दे दिया था जिसमें कृष्णा और कामता के बीच जो भी संवाद होने वाला था , वह आटोमेटिक रिकार्ड हो जाता । जब कृष्णा ,पटवारी के घर पहुंचा तो पटवारी अपने घर में ही था । कृष्णा को देखते ही उसकी बांछे खिल गईं । कामता ने कृष्णा को प्रेम से बिठाते हुए कहा कि तुम्हारे काग़ज़ात बिल्कुल तैयार हैं और सारे के सारे मेरी ज़ेब में हैं । कलेक्टर आफ़िस संबंधित दक्षिणा मुझे दे दो और अपने कागज़ात ले जाकर कल ही रजिस्ट्री कार्यालाय में रजिस्ट्री करवा लो । जवाब में क्रिष्णा ने कहा कि अभी तो मेरे पास केवल 2 हज़ार रुपिए हैं । आज की तारीख़ में मेरी हैसियत नहीं है कि 10हज़ार रुपिए कुछ दिनों के अंतराल में और कहीं से जुगाड़ कर सकूं । चाहो तो 2000 रुपिए ले लो बाक़ी मेरे उपर उधार रहेगा । अभी आप कहीं और से पैसे का जुगाड़ कर दुर्ग भिजवा दीजिए । इतने सुनते ही कामता पटवारी बेहद नाराज़ हो गया और कहने लगा ये बड़े लोगों का पैसा है । इसमे न तो मोल भाव होता है ना ही उन पैसों को देने में आगे पीछे किया जाता है । वे एक बार किसी पार्टी से नाराज़ हुए तो फिर उनका काम उनके रहते कभी नहीं हो पाता । दस हज़ार रुपिए नहीं दे सकते तो जाओ घर जाकर सो जाओ और रजिस्ट्री की बातें भूल जाओ । तब कृष्णा ने कहा कि रहम करो कामता जी । जवाब में कामता ने कहा कि तुम्हें ज़मीन बेचकर 2 लाख रुपिए मिलेंगे ही । इसमें रहम की क्या बात ? फिर यह तो सरकारी प्रक्रिया है । हम भीख तो नहीं मांग रहे हैं । इसे तो सबको निभाना पड़ता है । उधर कृष्णा जानबूझकर संवाद को लंबा करते जा रहा था , ताकि पटवारी के मुंह से अधिक से अधिक बातें निकलवाकर मोबाइल पर रिकार्ड किया जा सके । बातों का अंत होते ही कृष्णा ने 50/50 के दो बंडल निकालकर कामता पटवारी के हाथ में सौंप दिया । पैसा देखकर कामता पटवारी बेहद खुश हुआ और कहने लगा कि अब तुम्हारा काम ब्रह्मा भी नहीं रोक सकता । इतना कहते हुए उसने पैसों को ज़ेब में रखा और अपने थैली से कुछ काग़ज़ात निकालकर कृष्णा को सौंपते हुए कहा जाओ इन कागजों से तुम्हारा काम पूरा हो जाएगा ।
जैसे ही पटवारी कामता ने काग़ज़ात कृष्णा को दिए वैसे ही चार पोलिस वाले पटवारी के घर में दाखिल हुए और कामता की तलाशी लेते हुए उसकी ज़ेब से सारा पैसा निकलवा लिया और नोटों की गिनती करते हुए नोटों का नंबर लिखने लगे । साथ ही कामता पटवारी को धमकाते हुए कहने लगे तुम्हें एक ग़रीब किसान से रजिस्ट्री के परमिशन हेतु घूस लेने के मामले में गिरफ़्तार किया जाता है । तुम चाहो तो कल सुबह कोर्ट में ज़मानत की अर्ज़ी दे सकते हो ।
पोलिस वालों को देखते ही कामता की सिट्टी पिट्टि गुम हो गई और हाथ जोड़कर सबके आगे रहम की फ़रियाद करहे हुए गिड़गिड़ाने लगा । साहब जी मेरे छोटे छोटे बच्चे हैं । अगर मुझे सज़ा हो गई और मेरी नौकरी चली जाएगी तो वे सब कहीं के न रहेंगे । तब चारों पोलिस वालों में से एक ने जो उस टीम का मुखिया था ने कहा कि नौकरी तो तुम्हारी जाएगी । साथ ही कम से कम पांच साल की सज़ा भी होगी ही ।
जहां तक रहम बात है , सरकारी प्रक्रियाओं में रहम नाम की चीज़ सिर्फ़ रकम के बदले मिलती है । तुमने आज तक किसी पर रहम किया है । जो हमसे रहम की फ़रियाद कर रहे हो ।
कामता पटवारी उस पोलिस वाले की बातों को समझ गया और उससे केस न बनाने की फ़रियाद करने लगा । इसके साथ ही अपनी तरफ़ से कुछ पैसा देने की बात करने लगा । तब उस पोलिस के मुखिया ने कहा ऐसे केसों में हम पांच लाख रुपिए से कम नहीं लेते। 15 मिनट्स के अंदर कामता ने 2 लाख रुपिए में केस न करने हेतु सौदा पटा लिया । उसने तुरंत ही घर के अंदर से 2 लाख रुपिए लाकर पोलिस वाले के मुखिया को सौंप दिया । कामता ने क्रिष्णा के दस हज़ार रुपिए भी उन्हें दे दिया। तब एक पोलिस वाले ने कहा कि कुछ दिनों पहले लिए 10 हज़ार रुपिए भी वापस कीजिए । साथ ही उन लोगों ने कामता से कई कोरे कागाजों पर यह कहते हुए दस्तखत करवा लिए कि ये काग़ज़ात हमारी सुरक्षा के लिए है । अगर तुम हम पर भविष्य में कोई आरोप लगाते हुए तब हम इन कोरे कागजों का अपने बचाव हेतु उपयोग करेंगे । इसके बाद पोलिस टीम अपने साथ कृष्णा साहू को लेकर कामता के घर से चले गए । तब कहीं जाकर कामता ने राहत की सांस लिया ।
( क्रमशः)