1 जुलाई 2022
शुक्रवार
समय- 05:40 शाम
डियर डायरी,
संपूर्ण राजस्थान में नेट सुविधाएं अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी गई है। उदयपुर में हुई घटना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। अत्याचार हमेशा कमजोर पर ही होते आए हैं चिरकाल से।
आज हमारी माननीय भावनाएं दुर्भावना में तब्दील हो चुकी हैं। हम सिर्फ और सिर्फ किसी भी धर्म के अंधभक्त बनने की कोशिश कर रहे हैं। नेट की वजह से आज राजस्थान को कितना नुकसान, कितना खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दफ्तर से लेकर आम जीवन तक नेट ने अपना प्रभाव स्थापित कर रखा है। वही नेट के बंद होने पर जन जीवन बेहद प्रभावित होने लगा है। आज तीसरा दिन है जब नेट बंद है। ऐसी हालत में हम अनुमान लगा सकते हैं उन लोगों का जो अपने पास पॉकेट में पैसा रखना जरूरी नहीं समझते। सिर्फ और सिर्फ नेट बैंकिंग के जरिए ही अपना काम पूरा करते हैं। हमारा व्यापारी वर्ग जो कि नेट बैंकिंग के जरिए ही फलीभूत हो रहा है, बढ़ रहा है, पल रहा है बिना नेट के उनका काम भी बेहद सोचनीय है। परेशानी तो हम प्रतिलिपि पर लिखने वालों को भी बहुत हो रही है।
आज कल विद्यार्थी गण भी नेट के जरिए ही अपनी पढ़ाई करते हैं। अब मेरे बेटे को ही देख लो आज उसका पेपर था पर बिना नेट के कैसे पढ़ता?
आम लोगों को हो रही परेशानियों का भुगतान कौन करेगा? इसके लिए हमारे प्रशासन को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। बेगुनाह खुलेआम घूमते रहते हैं परेशानी गरीब इंसान को या आम जनता को उठानी पड़ती है। राजनैतिक दल तो गर्म तवे पर रोटियां सेकने में व्यस्त हैं। उन्हें जनता के दुःख दर्द से क्या लेना देना?
आज डॉक्टर्स डे है। मेरे सहपाठी गणों में तो कुछ जानकारों में डॉक्टर हैं। पर बिना नेट के उन्हें संदेश कैसे कैसे मिल पाए? 2 दिन पहले नेट कनेक्शन के लिए वाईफाई लगवा लिया था पर मेजर फाॅल्ट आने के तहत वह कनेक्शन भी कट हो गया। अब जाकर कुछ देर पहले नेट का कनेक्शन आने लगा है।
यदि प्रत्येक नागरिक अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। अपने अधिकारों से ज्यादा अपने कर्तव्यों की प्रधानता को समझे तो शायद हम अपने देश को ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। इसके विपरीत लोग अपने अधिकारों की बातें करते हुए नहीं थकते। सिर्फ और सिर्फ मुझे चाहिए इसी नीति को अपनाते हुए कदम बढ़ाते हैं। रात में चलते हुए यदि हमारा पैर किसी पत्थर से टकरा कर लहूलुहान हो जाए तो हम पांव का इलाज अवश्य कराएंगे पर उस पत्थर को उस स्थान से हटा कर किनारे नहीं रखेंगे। वरण उसके स्थान पर उस पत्थर के कारण 2-4 अपशब्द कहने में भी नहीं चुकेंगे।
बचपन में हम लोग नैतिक शिक्षा की किताबें पढ़ा करते थे। शायद अब उन किताबों की शिक्षाओं को पुनश्च दैनिक जीवन में अपनाएं जाने की महती आवश्यकता प्रतीत हो रही है।
भगवान से प्रार्थना है पुनश्च मुलाकात हो। सरकार शायद फैसला ले रही है कि वाईफाई के कनेक्शन भी अनिश्चित काल के लिए कट करने की। देखते हैं आगे आगे क्या-क्या होता है?