किसी आंखों में आंसू जो दिख जाते है
परिंदे मोहब्बत पे टिक जाते है
जो कुकर्ने लगी कुछ लबों की कथा
बिखरती हुई आ रही है सदा...
ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा...
गरीबों की आंखे दिखाती ज़हां (जहांन)
दुनिया है क्या?, ये बताती यहां
फूल गुलाबो के छाया सुखाती कहां!
मधुप करने लगे है दुआ
कलियों से खुशबू हो रही है जुदा...
ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा...
वर्षा में छत जो यू गिर जाते है
बाजू खुदा से गुजर जाते है
फूल कलियों में बिखर जाते है
कहा दूर से आ रही है हवा
फितरत बदलने लगी है खुदा...
ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा